निसार| नासा-इसरो रडार मिशन | वनों, आर्द्रभूमियों का गतिशील दृश्य प्रदान करें | क्लिकमेंट चांग को लेकर जानकारी एकत्रित करना; इससे संबंधित आपदाओं की सूचना पहले मिल शिक्षण

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13 मिनट पहले

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इसरो और नासा ने मिलकर पृथ्वी पर नज़र रखने वाला एक वार्षिक मिशन लॉन्च किया। इसे NISAR नाम दिया गया है। यह मिशन क्लाईमेट चैनल के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। इससे संबंधित जंगल और वेटलैंड (नामी या बोमी भूमि वाले क्षेत्र) पर निगरानी रखी जाती है।

असल, स्पेस जनरल पता चलता है कि फा रेस्टोरेंट्स और वेटलैंड में कार्बन सैलून पर क्या असर हो रहा है और इससे जुड़े क्लिमेट कंपनी कैसे हो रही है। इसके साथ ही आपको पहले से ही आने वाली आपदाओं के बारे में जानकारी मिल जाएगी।

नासा-इसरो का निसार मिशन क्लाईमेट चेंज के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।  (फ़ॉलो फोटो)

नासा-इसरो का निसार मिशन क्लाईमेट चेंज के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। (फ़ॉलो फोटो)

2024 में लॉन्च किया गया NISAR
इसरो का कहना है कि 2024 की शुरुआत में NISAR सैटेलाइट को लॉन्च किया जा सकता है। यह पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया गया, जो हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी और चंद्रमा का विश्लेषण करेगा। इससे मिले आंकड़ों से पता चलता है कि जंगल और वेटलैंड में कार्बन के रेगुलेशन में कितने अहम हैं।

असल में, क्लाइमेट मंगल ग्रह से जंगल और वेटलैंड की स्थापना काफी अहम है। मित्रता की वजह से पर्यावरण में सौम्य गैसों का रेगुलेशन होता है।

कैसा उपग्रह है निसार
यह आधुनिक सैटेलाइट रॉकेट का आकार है, जिसे दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) में विकसित किया गया है। इसरो की ओर से बताया गया है कि यह हमारी व्यापक मोटरसाइकिल का एक उदाहरण है। 2,800 रिज के इस सैटेलाइट में 39 फुट का फिक्स्ड एंटीना रिफ्लेक्टर है, जो सोने के हिस्से वाले तार की जाली से बना है। यह एंटीना में छोटे से छोटे बदलाव को पकड़ने की क्षमता है।

कितनी दूर की तस्वीरें?
​​सैटेलाइट के पांच साल तक लगातार काम करने की उम्मीद है। इसरो ने इस प्रोजेक्ट पर 788 करोड़ रुपये का योगदान दिया है, जबकि नासा ने 80.8 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है। इसमें 240 किमी तक के सबसे खूबसूरत और खूबसूरत तस्वीरें होंगी। यह धरती का पूरा एक चक्कर में 12 दिन का सफर है।

इसरो ने इस प्रोजेक्ट पर 788 करोड़ रुपये का योगदान दिया है, जबकि नासा ने 80.8 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है।

इसरो ने इस प्रोजेक्ट पर 788 करोड़ रुपये का योगदान दिया है, जबकि नासा ने 80.8 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है।

क्या-क्या जानकारी?
ये हैं उपग्रह बवंडर, तूफ़ान, राक्षस, भूकंप, भूकंप के झटके, समुद्री तूफ़ान, जंगली आग, समुद्र में डूबी झीलें, खेती, जादुई धरती, बर्फ़ का कम होना आदि की पहली जानकारी ही दे दीजिए। धरती के चारों ओर जमा हो रहे अवशेष और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले आकर्षण की भी जानकारी इस उपग्रह से मिल द्वीप। पेड़-पौधों की बढ़ती-बढ़ती संख्या पर नज़र। निसार से प्रकाश की कमी और इसमें गोपालगंज की भी जानकारी शामिल है।

तस्वीर तुर्किये के हटाये इलाके की है।  यहां जनवरी 2023 में भूंकप से 100 से ज्यादा बड़ी इमारतें भूकंप की वजह से गिर गईं।  इस मिशन के माध्यम से आने वाली आपदाओं के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।

तस्वीर तुर्किये के हटाये इलाके की है। यहां जनवरी 2023 में भूंकप से 100 से ज्यादा बड़ी इमारतें भूकंप की वजह से गिर गईं। इस मिशन के माध्यम से आने वाली आपदाओं के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।

भारत की सीमा पर अनोखी नजरें
हां, इस सैटेलाइट से मिलने वाली हाई-रिजॉल्यूशन की तश्वीरें हिमालय में निवेशकों की निगरानी में भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों की मदद से। यह चीन और पाकिस्तान से लगी भारत की यात्रा पर नज़र रखने के लिए सरकार की मदद ले सकते हैं।

भारत के लिए ये क्यों अहम है?
​इसरो ने 1979 से अब तक 30 से अधिक पृथ्वी उपग्रह उपग्रह लॉन्च किए हैं। इसका उद्देश्य बेहतर योजना, कृषि और मौसम से संबंधित अंतरिक्ष उद्यम हासिल करना है। निसार में सुजुकी अपर्चर की छवि लाई गई है, जिस देश के किसी भी अन्य उपग्रहों से मिलने वाली स्थिति की तुलना में अत्यधिक उच्च रिजोल्यूशन की छवि भेजी गई है। इसमें पुरातन के पीछे और अंधेरे में भी देखने की क्षमता है। ये सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग उपग्रहों में से एक होगा।

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