नांदेड़ अस्पताल विवाद; मौत का ट्रोल बढ़ा | सीएम शिंदे बोले- सब ठीक है; बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- दवा की कमी नहीं

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मुंबईएक घंटा पहले

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कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।  उन्होंने गुरुवार तक स्वास्थ्य बजट का खरीदार मांगा है।  - दैनिक भास्कर

कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। उन्होंने गुरुवार तक स्वास्थ्य बजट का खरीदार मांगा है।

महाराष्ट्र के नांदेड़ में डॉ. शंकरराव चौहान मेडिकल कॉलेज एवं सरकारी अस्पताल में डेथ का निर्देशन है। 72 घंटे में 38 लोगों की जान गई। इस बीच अस्पताल की सामुहिक को लेकर सरकार में ही समानता सामने आई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सब ठीक होने का दावा किया है।

वहीं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने स्टाफ की कमी की बात कही है। अस्पताल में डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी और उपकरण बंद होने के आरोप हैं। महाराष्ट्र सरकार ने तीन साझीदार समिति की जांच के लिए आवेदन किया है। समिति ने मंगलवार से ही काम शुरू कर दिया है।

इधर, बॉम्बे हाई कोर्ट ने नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी जजमेंट में जज को नामांकित कर लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। उच्च न्यायालय ने कहा- मूल बातें में दवाओं की कमी होने का कारण स्वीकार नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार से गुरुवार तक स्वास्थ्य बजट का बिल मांगा है।

इससे पहले, 3 अक्टूबर की शाम को नांदेड़ के अस्पताल में रहने वाले और मृतकों के मामले की समीक्षा के लिए डीन एसआर वाकोडे से सचिवालय साफा गांव की रैली निकाली गई थी। घटना का फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने वैशाली पाटिल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। डीन ने आरोप लगाया है कि मिनिमम ने उनसे अपनी ड्यूटी छीन ली और बेइज्जत कर ली।

साहिल साफा करवाते।

साहिल साफा करवाते।

छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पताल में 18 गरीबों की मौत
छत्रपति संभाजीनगर के चर्च मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 24 घंटे में 18 बच्चों की मौत हो गई, इनमें 2 नवजात शामिल थे। हॉस्पिटल के डॉक्टर कैप्टन ने कहा कि ये डॉक्टर 2 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से 3 अक्टूबर को सुबह 8 बजे के बीच गायब हो गए।

शंकरराव चौहान 70 वर्ष की आयु में गंभीर
नांदेड़ के शंकरराव चौहान के सरकारी अस्पताल में हुई 38 लोगों की मौत, इनमें 16 बच्चे थे। इस अस्पताल में 30 सितंबर की रात से रेस्तरां का थिएटर जारी है। यहां अभी भी 70 बच्चों की गंभीर स्थिति बताई जा रही है, इनमें 38 नवजात हैं। अस्पताल में 138 नवजात शिशुओं का इलाज चल रहा है।

नांदेड़ अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में 65 बच्चे भर्ती हैं, जबकि क्षमता सिर्फ 24 बच्चों की है। हॉस्पिटल में 500 बेड की व्यवस्था है, लेकिन 1200 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 70 उम्मीदवारों की स्थिति अभी भी गंभीर है।

एसोसिएट्स ने लगाया आरोप
गरीबों का आरोप है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में विभिन्नता के कारण गरीबों की मौत हो रही है। शंकरराव चौहान अस्पताल के अधीक्षक डॉ. गणेश मनुरकर ने बताया कि गंभीर गरीबों की जान बचाने के लिए खास प्रयास किए जा रहे हैं। नवजात शिशुओं के लिए 42 बिस्तरों की व्यवस्था की गई, जो कर्मचारी छुट्टी पर हैं उन्हें वापस बुलाया गया है।

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि सरकारी अस्पताल में हर मरीज की मौत की जांच होगी। अगले 15 दिनों में अस्पताल में हालात बेहतर होंगे।

अस्पताल के दीन ने कहा- यहां दूर-दूर से मरीज आते हैं।  कुछ दिनों में सूची की संख्या में वृद्धि होती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा होती है।

अस्पताल के दीन ने कहा- यहां दूर-दूर से मरीज आते हैं। कुछ दिनों में सूची की संख्या में वृद्धि होती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा होती है।

शंकरराव चौहान अस्पताल में मृतकों की मौत का मामला 2 अक्टूबर को मीडिया में आया था। इस बारे में जब अस्पताल प्रशासन से पूछा गया तो मरीज़ (2 अक्टूबर) को रेस्तरां में सामान्य कार्यक्रम की जानकारी दी गई।

प्रशासन ने कहा कि 4 गरीबों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। 1 मरीज का लीवर फेल हो गया। 1 मरीज की मौत जहर खाने, 2 की संक्रमण और 1 महिला की मौत की पुष्टि के साथ वक्त में ब्लड की मात्रा बढ़ी। वहीं, अन्य दुकानदारों की जांच चल रही है।

हाफकिन कंपनी ने औषधियों की आपूर्ति बंद कर दी
2 अक्टूबर की शाम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. श्याम राव वाकोडे ने कहा कि अस्पताल में सांप के काटने वाले और अन्य गंभीर गोलियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली चॉकलेट की कमी होती है। हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी है। हॉस्पिटल से कॉन्स्टेंट कर्मचारियों का काम जारी है, ऐसे में हमारे पास के स्टाफ भी कम हैं।

70-80 किमी के हिस्से में एक सरकारी अस्पताल
अस्पताल के डीन ने बताया कि पिछले 24 घंटों में 6 लड़के और 6 लड़कियों की मौत हो गई है। हम तीर्थयात्रियों के देखभाल केंद्र और 70 से 80 समूहों में निजी सरकारी अस्पताल हैं। इसलिए दूर-दूर से हमारे पास मेहमान आते हैं।

डीन ने बताया कि हमें हाफकिन नाम के एक संस्थान से खरीददारी करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं मिला। इसलिए हमने स्थानीय स्तरों पर लाभांवित और व्यापारियों को खरीददारी की। कुछ दिनों में सूची की संख्या में वृद्धि होती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा होती है।

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महाराष्ट्र के ठाणे में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 48 घंटे में 18 दिनों की मौत हो गई। इनमें 10 महिलाएं और 8 पुरुष हैं। नगर निगम आयुक्त अभिजीत बांगर ने बताया- कुछ मरीज़ पहले से ही मरीज़, निमोनिया, लकवा जैसे प्रयोगशाला से सीख रहे थे। पूरी खबर पढ़ें…

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