द वायर के संपादकों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लौटाएगी दिल्ली पुलिस | कोर्ट ने कहा- उनकी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें

नई दिल्ली4 मिनट पहले

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केस की सुनवाई के दौरान जज पवन सिंह राजावत ने केस की सुनवाई की।  उन्होंने कहा- प्रेस ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया, तो इससे हमारे लोकतंत्र की लोकतंत्र को गंभीर चोट पहुंच सकती है।  - दैनिक भास्कर

केस की सुनवाई के दौरान जज पवन सिंह राजावत ने केस की सुनवाई की। उन्होंने कहा- प्रेस ने स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया, तो इससे हमारे लोकतंत्र की लोकतंत्र को गंभीर चोट पहुंच सकती है।

दिल्ली पुलिस को न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के स्टॉक्स के इलेक्ट्रॉनिक जर्नल वापस लेने पड़ेंगे। दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने गुरुवार (19 अक्टूबर) को मजिस्ट्रेट अदालत के जज को दोषी ठहराया है, जिसमें अदालत ने दिल्ली पुलिस को ‘द वायर’ के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने का आदेश दिया था। पुलिस ने इस फैसले को तीस हजारी कोर्ट में चुनौती दी थी।

रॉयल सेशन जज पवन सिंह राजावत ने केस की सुनवाई करते हुए कहा- प्रेस को हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। यदि इसे स्वतंत्र रूप से काम नहीं किया गया, तो यह हमारे लोकतंत्र की शिक्षा को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस के इलेक्ट्रॉनिक जनरल की कॉन्स्टेंसी ज़ैजी से उत्पादों के लिए कोई एकमात्र समस्या पैदा नहीं हो रही है, बल्कि उनके प्रोफेशन, स्पीच और एक्सप्रेशन के मूल अधिकारों का उल्लंघन भी हो रहा है।

31 अक्टूबर को क्रोम ऑटोमोबाइल ने द वायर्स के एसोसिएट्स के घर पर छापा मारा था।

31 अक्टूबर को क्रोम ऑटोमोबाइल ने द वायर्स के एसोसिएट्स के घर पर छापा मारा था।

दिल्ली पुलिस को सभी समुद्री यात्रियों से सुरक्षित रखना होगा
जज पवन ने कहा कि द वायर्स के एसोसिएट्स पोर्टल के लिए काम कर रहे हैं जो पीपल तक न्यूज और इन फॉर्मेशन डॉक्युमेंट में लगा हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के लिए उनका काम अत्यंत आवश्यक है। वो अपने काम में इस्तेमाल किये जाते हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे सभी वाहनों को टेम्परिंग से सुरक्षित रखें।

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा- व्यापारियों के जमा भंडार का आधार नहीं
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 23 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि पोर्टल के सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, डिप्टी जाहन्वी सेन और प्रोडक्ट्स कम बिजनेस हेड मिथुन किदांबी के लिए कोई आधार नहीं है। इसलिए उनकी ऑनलाइन वापसी होनी चाहिए।

5 पॉइंट में समझें पूरा विवाद…

  • मीडिया वैज्ञानिक के मुताबिक, यह विवाद पिछले साल 6 अक्टूबर को शुरू हुआ था। द वायर्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मेटा (फेसबुक और इंटेलीजेंस ग्रुप) ने एक निजी अकाउंट क्रिंगआर्चिविस्ट द्वारा अपलोड किए गए एक वैल्यूएशन पोस्ट को कुछ ही मिनटों में हटा दिया था।
  • रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित इंजील ने अपने स्वामित्व का इस्तेमाल करते हुए आसनसोल से पोस्ट हटवाई है। इस रिपोर्ट को लेकर द वायर्स के हिस्से की साझा पर सवाल उठाए गए थे। न्यूज वेबसाइट शुरू में अपनी रिपोर्ट पर पार्टियल रही थी।
  • एडवास्ट सिद्धार्थ ने कहा था- इस रिपोर्ट में कई डेटा के दस्तावेज सामने आए हैं। प्राचीन कंफर्म हैं, जिन्हें हम जानते हैं, मिले हैं और प्रमाणित हैं।
  • इसके बाद 11 अक्टूबर 2022 को मेटा के कम्युनिकेशन हेड एंडी स्टोन ने इस रिपोर्ट का खंडन किया। उन्होंने कहा- द वायर की रिपोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज मानगढ़ंत थे। बाद में द वायर ने अपनी रिपोर्ट वापस ले ली और माफ़ी भी दे दी गई।
  • वहीं, अमित इंट्रेस्ट ने इसे लेकर दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद 31 अक्टूबर को द वॉरियर्स के घर वालों पर हमला कर दिया गया। इसी दौरान उनके सभी इलेक्ट्रॉनिक ज़मानत जब्त कर लिये गये।

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