दैनिक भास्कर प्रेरणा उत्सव वेदांता ग्रुप के संस्थापक अनिल अग्रवाल टॉकशो | वेदांता ग्रुप के संस्थापक बोले- सफलता तो तब तक… जब सिर पर कफन बांध बनेगा

भोपाल4 मिनट पहले

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आप और मैं जिंदगी में सिर्फ चांस ले सकते हैं। जिसके पास कुछ नहीं है…वही तो चांस नहीं। यदि आप अंतिम जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो अवसरों को कभी मत छोड़िए। जब तक सिर पर कफ़न नहीं बांधेंगे कि कुछ कर रियाज़ है तब तक सफलता नहीं मिलेगी।

गीता में लिखा है- तुम कैसे आगे बढ़ सकते हो? उनका जवाब है- अभय। बिना डरे आगे बढ़ती जाइए… हमेशा फ्रंटफुट पर खेलिए। कार्यक्रम था- मोटिवेशन फेस्टिवल और ऑर्केस्ट्रा से स्टाक थे वेदांता ग्रुप के संस्थापक और सुपरस्टार अनिल अग्रवाल।

दैनिक भास्कर ग्रुप के सुपरस्टार स्व. रमेशचंद्र अग्रवाल की स्मृति में प्रेरणा उत्सव के दूसरे दिन भोपाल में वेदांता ग्रुप के संस्थापक-चेयरमैन अनिल अग्रवाल का टॉक शो हुआ। टॉक शो में भास्कर ग्रुप के संचालक गिरीश अग्रवाल ने अनिल अग्रवाल से बातचीत की।

प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम में दीप तारामंडल करते हैं वेदांता ग्रुप के संस्थापक-चेयरमैन अनिल अग्रवाल और भास्कर ग्रुप के संचालक गिरीश अग्रवाल।

प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम में दीप तारामंडल करते हैं वेदांता ग्रुप के संस्थापक-चेयरमैन अनिल अग्रवाल और भास्कर ग्रुप के संचालक गिरीश अग्रवाल।

पढ़ें… अनिल अग्रवाल से जीवन की वो सीख… जो आपको आगे बढ़ा सकता है…

प्रश्न : बिहार से बम्बई पहुँचने की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है। उसके बारे में बताइये।
उत्तर उत्तर :
मैं जैसा कि आप ही हूं, कोई फ़र्क नहीं है आपमें और मुझसे। मैं बिहार में पला बढ़ाऊंगा। मैंने बॉलीवुड फिल्में देखीं। इच्छा थी कि कभी डबल डेकर बस देखूं। कभी वहां की मल्टी स्टोरी बिल्डिंग देखें। सोचा बंबई रेस्तरां तो वो सब देखूंगा। बिज़नेस तो करना ही था.

असल में जो इच्छाएँ हमारे अंदर होती हैं… वही हमें आगे बढ़ाती हैं। मेरी माँ का मैं बहुत कर्जदार हूँ। मैं जो कुछ भी हूं। माँ की वजह से हूँ। मेरी माँ ने हम चार भाई-बहनों को बहुत अच्छे से पाला। उन्हें घर पर सिर्फ चार सौ रुपये मिले थे। दोस्ती में घर का तोड़ देना और हम भाई-बहनों को निभाना…बड़ी बात थी।

मुझे मेरी याद है अद्भुत के पास लैमरेटा कलाकार था और मैं पीछे मुड़कर देखता था। मेरी एक ही ख्वाहिश थी कभी मैं सच में वापस आ जाऊं और वो मेरे पीछे बैठ जाए।

सवाल: मान लीजिए कि आपकी नाती 15 साल की उम्र में बोली जाती है कि मैं पढ़ाई लिखाई चाहता हूं तो…आप क्या नाती हैं?
उत्तर उत्तर:
एक बात तो पक्की है कि हम अपने बच्चों की तक़दीर नहीं लिख सकते। हम उन्हें सिर्फ संस्कार दे सकते हैं। हमारा कांधा हमारे बच्चों के लिए हरदम तैयार है। वो कभी भी हमारे कंधे पर सिर रख सकते हैं। तक़दीर तो वो अपने लिखे हुए हैं, उसे हम बदल नहीं सकते। और जो लोग अपने बच्चों के प्यार में गलतियाँ करते हैं… वो सबसे बड़े गुनहगार हैं।

प्रोग्राम में अनिल अग्रवाल ने अपनी जिंदगी के किस्से और सबक साझा किए।  उन्होंने कहा कि सिर्फ काम करो और ईश्वर का हथियार बनो।  हर रास्ता आपके लिए खुला रहेगा।

प्रोग्राम में अनिल अग्रवाल ने अपनी जिंदगी के किस्से और सबक साझा किए। उन्होंने कहा कि सिर्फ काम करो और ईश्वर का हथियार बनो। हर रास्ता आपके लिए खुला रहेगा।

प्रश्न: आपके पास वो कौन सी प्रेरणा थी, जिसने आपको पटना से मुंबई पहुंचाया था?
उत्तर उत्तर:
हम सभी में कुछ खास बातें होती हैं। कुछ इच्छाएँ होती हैं। कुछ आग होती है. बस उस आग को हमें दिखाना है। मेरा एक ही सपना था… मुझे उद्योगपति बनाना ही है। मैंने टाटा, बिड़ला के अखबारों में गोयनका के बारे में पढ़ा था। मुझे लगता है कि यह तो मैं भी बन सकता हूं। बस यही सोच बम्बई ले आये। शुरुआत में नौकरी की। उसके बाद फोटोग्राफर ने काम किया। एक के बाद एक मेरा नौ बिजनेस फेल हो गया।

एक दिन मैं ओबेरॉय के सामने गुजरात से। सिर उठाया तो नहीं उठाया गया। इतनी सारी बिल्डिंग…जिंदगी में मैंने कभी नहीं देखा था। मुझे पता चला… इसमें रहने का कितना पैसा लगता है तो किसी ने कहा- दो सौ रुपये बचे हैं। मैंने सोचा- दो सौ रुपये का जुगाड़ तो मैं कर लूंगा, लेकिन इनसाइडर इंग्लिश बोलकर चेक-इन कैसे करेगा? अंग्रेजी बोलना नहीं आता था। और किसी दरबान ने रोक लिया तो मेरी क्या समानता रहेगी?

कालिंदी में एक अशोक नाम का आदमी रहता था। अच्छी अंग्रेजी बोली थी। वह मुझे चेक इन उबालें। अंदर पर्यटक… जो कमरा मुझे महसूस हुआ… उसे बता नहीं सकते। ओबेरॉय के 17वें माले पर मैं मनो यू खड़ा था…जैसे मैंने कुछ हासिल किया।

मेरी छोटी-छोटी इच्छाएँ क्या थीं। पहली इच्छा थी- देवानंद को देखूं… तो किसी ने बताया कि वो एक होटल में आएं हैं। तो मैं रोज उस होटल के बाहर खड़ा हो जाता हूं…सिर्फ देवानंद को देखने के लिए। किसी ने कहा… कचिन्स में अमिताभ बच्चन जैसे बड़े लोग ड्रेस सिलवाते हैं। मेरी भी इच्छा हुई-वाहन तीर्थयात्री सौरवत् सिलवाँ। मैंने सिलवाया। यही कहना चाहता है कि जो भी करिए…पायसा के साथ करिए।

प्रश्न : क्या बच्चे को जोखिम नहीं लेना चाहिए? आप क्या सीखेंगे?
उत्तर उत्तर:
मैं आपसे आशामत हूं। आज के बच्चे हमारे समय से बहुत अलग हैं। हम तो हर छोटी बात पर झूठ बोल देते थे। आज का बच्चा झूठ नहीं बोला। ये वो बच्चे हैं, जिनके पास मौजूद साधन हैं…जानते हैं दुनिया में क्या हो रहा है। और यही बच्चा हिंदुस्तान को आगे बढ़ाएगा।

अमेरिका और भारत में सबसे ज्यादा फर्क नहीं है। भारत की तरह अमेरिका भी अवसरों का देश है… वह भी आंत्रप्रेन्योरशिप की धरती है। वहाँ धन है… अमेरिका दुनिया पर राज करता है। लेकिन वहाँ संस्कार नहीं हैं। हमारे बच्चे… खासकर बच्चे हमें बहुत आगे ले जाएं। हमें अपनी बेटियां-बहुएं और बहुओं पर भरोसा करना। वे कर्मचारी हैं…नई सोचती हैं। ऑडीअस्टिओक ऑर्थोपेडिक…समर्थन देना साथ में। वे ही हमें सबसे आगे लेकर सुझाव देते हैं।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत अमेरिका की तरह ही अवसरों का देश है।  वहाँ तत्व हैं, पर संस्कार नहीं हैं।  हमारे देश की संतानें हमें बहुत आगे ले जाएं।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि भारत अमेरिका की तरह ही अवसरों का देश है। वहाँ तत्व हैं, पर संस्कार नहीं हैं। हमारे देश की संतानें हमें बहुत आगे ले जाएं।

सवाल : आपका एक धीरू भाई वाला किस्सा बहुत दिलचस्प है…आप सुनेंगे?
उत्तर उत्तर:
मैं बम्बई आया तो मुझे पता चला कि मैं बड़ा आदमी हूँ। तब धीरू भाई का नाम सबसे बड़ा था। मैंने पता लगाया कि कहां कहां हैं? कैसे हमसे मिला जा सकता है। पता चला कि सुबह साढ़े पांच बजे ओबेरॉय के हेल्थ क्लब में जाते हैं।

मैं किसी भी तरह हेल्थ क्लब तक पहुंच गया। वहां बड़े-बड़े लोग आये थे। आदित्य बिरला, धीरूभाई। मैं पटने में मास्टर था. मैं किसी भी तरह उन तक पहुंच गया। जब वहां पहुंचें तो वहां बातें हो रही थीं। मैंने थोड़ी देर तक उन्हें सुना। फिर कहा- एक बिहारी जो तुम्हें सुनाएगा? उन्होंने कहा- सुनाओ-सुनाओ. मेरा जोक सुनकर वे बोले तुम रोज आओ करो।

अब मुझे वहां की एंट्री मिली। मैं रोज वहां आता हूं। रोज जोक सुनाता। इस बीच मेरा काम भी बढ़ गया। मुझे कोई 25-30 लाख रुपए का लोन मिला था। मैंने सिंडिकेट बैंक में एप्लीकेशन डाल रखा था। वहां एक रघुपति साहब थे। आपकी बात की. मैंने उनसे कहा- आपके लिए एक कॉकटेल रखा है। उन्होंने कहा- नहीं-नहीं मैं अनैतिक में नहीं। तो मैंने कहा…वहां धीरूभाई आने वाले हैं। तैयारी करके आने पर उन्हें आश्चर्य हुआ।

इसके बाद मैं धीरू भाई के पास पहुंचाता हूं। मैंने उनसे कहा- शाम को ताज में एक कॉकटेल रखा गया है। और वहां रघुपति जी भी आने वाले हैं। मैंने उन्हें कहा है कि आप भी आने वाले हैं। उन्होंने इतना ही कहा- तू तो बहुत बदमाश है. मैंने कहा- धीरूभाईगलत हो गई। आपको तीन जोक सुनाए हैं। यही वजह है।

तो बात ख़त्म हो गयी. मैं इनसिक्योर था. शाम को सब लोग आ गए। रघुपति भी गए। बस मुझसे दस परसेंट को उम्मीद थी कि शायद धीरूभाई आ जाएं…लेकिन वो आ गए। आप सोच नहीं सकते…मेरा कद कहीं और बढ़ गया। जाने समय पता चला…धीरूभाई बिल भी पे करके चले गए हैं। आप और हम तो चांस ही ले सकते हैं ना। और जो पास नहीं है…वही चांस उपकरण ना। जो पास नोट हैं वो तो बस नोट गिनता रहेगा।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि बिजनेस बिक्री तब होगी जब देश में सरकारी और निजी स्तर पर उद्यमियों के साथ भेदभाव बंद हो जाएगा।  अगर भेदभाव रुका तो हम तेजी से आगे बढ़ेंगे।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि बिजनेस बिक्री तब होगी जब देश में सरकारी और निजी स्तर पर उद्यमियों के साथ भेदभाव बंद हो जाएगा। अगर भेदभाव रुका तो हम तेजी से आगे बढ़ेंगे।

प्रश्न: क्या आप अमेरिका में भी चार साल के हैं?
उत्तर उत्तर:
मेरी लड़की का जन्म कहीं हुआ। किसी ने मुझसे कहा था कि अगर तुम्हारे बच्चे अमेरिका में पैदा हुए तो तुम पैसे वाले हो जाओगे। वहां से जाने पहले पांच सौ डॉलर मिले थे। उन्हें माँ ने जेब के साथ सिल दिया। कहा था- जब मुश्किल में हो तभी निकलना।

हम फ्लाइट में ही थे। हमने सोचा न्यूयॉर्क में जाएंगे तो उतरेंगे कहां? तो देखा बगल में एक और परिवार था। तो मैंने अपनी ऐसी ही बातें की…उनका मन लगाया। उनके बच्चे को … उनके लिए डांस किया … सब किया। तो जेन्सेन सज्जन ने ही पूछा। न्यूयॉर्क में रुकेंगे। मैंने तपाक से कह दिया-आपकी छवि तो आप यहां रुक जाएंगे।

दिसंबर का महीना था, उन्होंने अपना ओवरकोट भी हमें दिया और हम नीजी के साथ नीजी के घर में मंथली रिकॉर्डिंग करते हैं। इस उद्देश्य माह में हमने उनका सारा काम किया। बच्चे को स्कूल कर्मचारी। ड्राइव करना… यहां तक ​​कि उनके वकील भी मनोरंजन करना।

मैं दो बातें हमेशा बिलीव करता हूं: ड्रेस और एड्रेस… ये सबसे अच्छा होना चाहिए
अनिल अग्रवाल ने कहा, मैंने अपनी कंपनी को आठ-नौ करोड़ में सूचीबद्ध किया था। लेकिन वैल्यूएशन घाट रही थी। मैं तब सीएनएन और ब्लूमबर्ग जरूर देखता था। अंग्रेजी नहीं देखी थी, फिर भी देखी थी। एक दिन पत्नी से कहा- चलो लंदन चलो। पत्नी ने पूछा- अचानक क्या हो गया? व्यापारी, बच्चे स्कूल से निकलवाया और हम लंदन पहुँचे। मुझे याद है…पत्नी ने बच्चों के स्कूल में बताया था- उदाहरण के तौर पर एक मानसिक समस्या है, इसलिए कुछ महीनों के लिए लंदन जा रहे हैं। जब लौटें तो कृपया बच्चों को फिल्म स्टूडियो दे दीजिए।

मैं दो साल की उम्र में हमेशा बिलीव करता था। पोशाक और एड्रेस….. ये दोनों बेस्ट होने चाहिए। मैं कपड़े पहने अच्छा था। और अच्छी जगह पर घर लेकर रहते थे। खैर ही छोटा हो। मेरी पत्नी का खाना अच्छा था। मैं कभी-कभी लॉयर को घर बुलाता हूं, कभी-कभी अकनोटेंट को…। लोगों से मेरे लिए आकर्षक बन रहे हैं। मैंने यहां से अपनी कंपनी डी-लिस्ट मांगी और उसे 14 हजार करोड़ रुपए की लिस्ट में डाल दिया।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि आपको अंग्रेजी आती है या नहीं आती...कोई फर्क नहीं पड़ता।  दुनिया में 60-70 प्रतिशत लोगों को अंग्रेजी नहीं आती।  अगर सामान है तो आपके लिए दरवाजे खोलते हैं।

अनिल अग्रवाल ने कहा कि आपको अंग्रेजी आती है या नहीं आती…कोई फर्क नहीं पड़ता। दुनिया में 60-70 प्रतिशत लोगों को अंग्रेजी नहीं आती। अगर सामान है तो आपके लिए दरवाजे खोलते हैं।

मार खाना मेरी खुराक है…जितना मारोगे…मैं मजबूत मजबूत बन गया हूं
अनिल अग्रवाल बोले- दारा सिंह की कुश्ती देखें। वो मार खाता रहता है…और उसके बाद जब भी वह मार खाता है तो उसे फेंक देता है। जिंदगी की मुश्किलें देखकर मुझे भी लगा कि खाना ही मेरी खुराक है। लेकिन आप कैसे मरोगे मैं रेगिस्तान मजबूत बन गया।

हिंदुस्तान का वक्त आ रहा है…
आज हिंदुस्तान को पूरी दुनिया देख रही है। यहां 65 फीसदी लोग मिडिल क्लास से नीचे हैं। लेकिन यकीन मानो अगले तीन-चार साल में वे मिडिल क्लास में होंगे। वो तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है, जहां की सरकार को भारतीय ना चला रहे हों। अमेरिका के व्हाइट हाउस में जाइए…वहां हिंदुस्तानी ही मिलेंगे। आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी 80 में सीईओ या सी फ़ोबिया हिंदुस्थानी कंपनी। हमारा वक्त आ गया है। आज चीन-रूस की कहीं कोई बात नहीं हो रही है।

विकास बढ़ाने के लिए सरकार को ये तीन बदलाव करने चाहिए…

  • आंत्रप्रेन्योर्स के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सरकारी और निजी स्तर पर…। अगर भेदभाव रुका तो हम तेजी से आगे बढ़ेंगे।
  • लैंड रि फॉर्म बहुत जरूरी है। विदेशी व्यापारी भारत आना चाहते हैं, लेकिन जमीन उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है। इसमें सुधार लाना चाहिए।
  • हथियार एवं गोला बारूद होना चाहिए। दुनिया को पता होना चाहिए कि भारत के पास की तलवारें हैं, भले ही हम इसे ना लें।

अनिल अग्रवाल के चार बड़े सबक: चांस लेते रहिए, जाने कब आपका रास्ता खुलेगा

  • आलस्य कभी मत करिए। यह आपका सबसे बड़ा दुश्मन है।
  • हनुमान, राम के हथियार थे। अर्जुन…कृष्ण के। सिर्फ काम करो और ईश्वर का हथियार बन जाओ। आप रहेंगे तो हर राह पर खुले रहेंगे।
  • कोई भी काम करें तो यह स्टॉक मार्केट से जुड़ना है। नौकरी भी करें तो ऐसी ही जगह करें। छोटी-छोटी बातों से आपकी कमाई बढ़ गई है।
  • चांस हमेशा लेते रहो। अवसरों को कभी मत जाने दो।

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