नई दिल्ली1 मिनट पहले
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देश की मशहूर डिश बटर चिकन और दाल मखनी का इजाद किया गया, इसका फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला। दिल्ली के मोती महल रेस्तरां (रूपा गुजरात) और दरियागंज रेस्तरां (दरियागंज हॉस्पिटलिटी प्राइवेट लिमिटेड) दो साल से इन दोनों डिश पर अपना-अपना दावा करते आए हैं।
मोती महल रेस्तरां ने दरियागंज रेस्तरां पर ‘बटर चिकन और दाल मखनी के निर्माता’ टैगलाइन के इस्तेमाल को लेकर दर्ज किया है। मोती महल का दावा है कि दरियागंज के रेस्तरां और मोती महल के बीच कोई संबंध नहीं है, क्योंकि मोती महल की पहली दुकान दिल्ली के दरियागंज इलाके में खुली थी।
जस्टिस संजीव नरूला ने 16 जनवरी को मामले की सुनवाई और दरियागंज रेस्तरां के अनहोनी को एक महीने में अपना लिखित जवाब देने को कहा था। जस्टिस नरूला ने मामले की अगली सुनवाई 26 मई की तारीख तय की है।
![दरियागंज रेस्तरां के बदमाशों का दावा है कि उनके पूर्वज स्काईलाटरी रेड जग्गी ने इन सीरियल की रेसिपी इजाद की थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/20/daryaganj_1705734919.jpg)
दरियागंज रेस्तरां के बदमाशों का दावा है कि उनके पूर्वज स्काईलाटरी रेड जग्गी ने इन सीरियल की रेसिपी इजाद की थी।
दोनों रेस्तरां के पूर्वज का नाम क्रिस्टोफर लाल है
दरियागंज रेस्तरां के बदमाशों का दावा है कि उनके पूर्वज स्काईलाटरी रेड जग्गी ने इन सीरियल की रेसिपी इजाद की थी। वहीं, मोती महल के पहले शैतान का कहना है कि उनके पूर्वज स्टूडियो लाल गुजरात ने इन तुलनीयों को बार-बार बनाया था।
मोती महल में यह भी कहा गया है कि सबसे पहली बार लाल रंग के ग़र्जाल में तंदूरी चिकन बनाया गया था और उसके बाद बटर चिकन और दाल मखनी बनाई गई। भारत-प्रवीणिस्तान के रेगिस्तान के बाद वे इन व्यंजनों को भारत लेकर आए थे। पुराने समय में जो चिकिन बिक नहीं मिलता था, उसे रेफ्रीजरेटर में नहीं रखा जा सकता था। तब गुजरात को चिल्लाते हुए चिकिन के डांस होने की चिंता लगी। इसलिए उन्होंने ऐसा मसाला बनाया जिससे चिकन पिज्जा न हो।
उन्होंने टमाटर, बटर, क्रीम और मसालों को बड़े पैमाने पर ग्रेवी बनाया, जिससे इस डिश में नया स्वाद आ गया। मोती महल ने अपनी याचिका में कहा कि इसी तरह की मांग पर गुजराल ने दाल मखनी बनवाई। उन्होंने काली दाल के साथ येही रेसिपी अपनाई और इससे दाल मखनी बनी।
![मोती महल के अनइस्ट का कहना है कि उनके पूर्व आकाशीय तारामंडल लाल गुजराल ने पहली बार इन मूर्तियों का निर्माण किया था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/20/moti-mahal_1705734925.jpg)
मोती महल के अनइस्ट का कहना है कि उनके पूर्व आकाशीय तारामंडल लाल गुजराल ने पहली बार इन मूर्तियों का निर्माण किया था।
दरियागंज रेस्तरां का दावा- पहला पर्ल महल रेस्तरां रेस्तरां अनाथालय की शुरुआत हुई थी
इस मामले में दरियागंज की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। हालाँकि, 16 जनवरी की सुनवाई में दरियागंज रेस्तरां की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखा और पूरे केस को आधारहीन और बेमतलब बताया। दरियागंज रेस्तरां का कहना है कि पहला मोती महल रेस्तरां पेशावर में दोनों रेस्तरां के पुराने बच्चे (मोती महल के गुजराल और दरियागंज के जग्गी) समूह ने खोला था।