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- दिल्ली मुख्य सचिव विवाद | अरविंद केजरीवाल बनाम केंद्र सरकार
नई दिल्ली15 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के प्रमुखों को राज्य सरकार की मंजूरी का पालन करना होगा। मुख्य जांच दल के कर्मचारियों या कर्मचारियों का प्रभाव सरकारी कार्य पर नहीं होना चाहिए।
सिविल सेवकों को पॉलिटिकली विश्विद्यालय में रहने की आवश्यकता है। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, लेकिन उन्हें अन्य विषयों पर सरकार द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिए, जो उनकी कार्यकारी क्षमता के कार्य में आते हैं।
सीजेई दिवाई चंद्रचूड़ की गांधी जयंती बेंच ने 29 नवंबर को यह निर्णय लिया था। बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। इस बेंच में जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार की उस याचिका में आया है, जिसमें दिल्ली सरकार ने बिना किसी सलाहकार के नए प्रमुख के साथ मिलकर केंद्र के कदम बढ़ाने का विरोध किया है। नरेश कुमार 30 नवंबर को पद ग्रहण करने वाले थे।
कोर्ट ने 1973 के एक फैसले का खुलासा किया
अपने 28 नामांकितों के जजमेंट में बेंच ने शीर्ष अदालत के 1973 के एक फैसले की हत्या कर दी और कहा कि यह देखा गया कि प्रमुखों का पद बड़े विश्वास का पद और प्रशासन में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 5 जजों की संविधान पीठ के 11 मई के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को प्रशासन के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए दिल्ली सरकार के अधीन हैं।