दिल्ली के सुनहरी बाग मस्जिद मामले में सुनवाई आज | दिल्ली के सुनहरी बाग मस्जिद केस में सुनवाई आज: एनडीएमसी ने 172 साल पुरानी मस्जिद को तोड़ने का नोटिस दिया है; 100 मील दूर राष्ट्रपति भवन

नई दिल्ली44 मिनट पहले

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दिल्ली की सुनहरी मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह में बनी है।  यहां पर बने स्मारक जहां मौलाना आजाद मार्ग, मोतीलाल नेहरू मार्ग, सुनहरी बाग मार्ग और रफी मार्ग मिलते हैं।  - दैनिक भास्कर

दिल्ली की सुनहरी मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह में बनी है। यहां पर बने स्मारक जहां मौलाना आजाद मार्ग, मोतीलाल नेहरू मार्ग, सुनहरी बाग मार्ग और रफी मार्ग मिलते हैं।

दिल्ली की सुनहरी बाग मस्जिद को ढहाए जाने के खिलाफ एनडीएमसी की ओर से आज (11 जनवरी) को दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।

जज की छुट्टी की वजह 8 जनवरी को मामले की सुनवाई की गई थी। मामले की सुनवाई सचिन तेंदुलकर की अदालत में होनी चाहिए।

मस्जिद पक्ष के वकील रसायन शास्त्र ने बताया कि नई दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल (एनडीएमसी) की ओर से जो नोटिस दिया गया है, वह संदेहास्पद है। इसमें कोई अधिनियम नहीं बताया गया है, कोई तारीख लिखी नहीं गई है। इसके अलावा मस्जिद हेरिटेज लिस्ट में शामिल है। मस्जिद के साथ लगा गड्ढा भी विरासत है।

दिल्ली में यह मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह पर बनी हुई है।  मस्जिद एक गोल चक्कर पर है।

दिल्ली में यह मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह पर बनी हुई है। मस्जिद एक गोल चक्कर पर है।

एनडीएमसी ने 24 दिसंबर को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें 172 साल पुरानी मस्जिद को ध्वस्त करने का नोटिस दिया गया है। तर्क दिया गया कि इसका कच्चा माल जैम हो जाता है। मस्जिद के इमाम ने 30 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट के खिलाफ यह प्रस्ताव दाखिल किया था।

दिल्ली में यह मस्जिद करीब 125 वर्ग मीटर जगह पर बनी हुई है। मस्जिद एक गोलचक्कर पर है, जहां मौलाना आजाद मार्ग, मोतीलाल नेहरू मार्ग, सुनहरी बाग मार्ग और रफी मार्ग मिलते हैं। यहां से 100 मीटर दूर है राष्ट्रपति भवन। प्रधानमंत्री कार्यालय भी पास में है।

जानिए क्या है पूरा मामला…

22 जून को असेंबलील सीपी ने पत्र लिखा था
सुनहरी बाग गोलचक्कर पर चूना समस्या के बारे में जोन-2 के असेंबली कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) आर सत्यसुंदरम ने 22 जून, 2023 को दिल्ली नगर निगम, यानी एनडीएमसी को पत्र लिखा था। लेटर में रसेल सीपी ने बताया था कि गोलचक्कर पर कंबाइन भारी मात्रा में हो गया है। ऐसे में इस गोलचक्कर को पढ़ें।

पत्र बैठक के बाद एनडीएमसी ने 28 जून, 2023 को सीमेंट पुलिस, लैंड लैबोरेटरीज के साथ मिलकर कंपनियों का निरीक्षण किया। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2023 को पिटिशनर दिल्ली वक्फ बोर्ड के साथ संयुक्त निरीक्षण करने का आदेश दिया। 12 जुलाई, 2023 को इस जोड़ का निरीक्षण किया गया।

VIPs का काफिला देवता,आदिवासियों की मुसीबतें आती हैं
वक्फ बोर्ड के साथ जो निरीक्षण हुआ, उसमें शामिल टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सुनहरी बाग गोलचक्कर पर सीमेंट काफी मात्रा में है। पास में ही मेट्रो स्टेशन भी है। यहां से वीआईपी का काफिला भी मिलता है। मस्जिद के यहां होने से लेकर ईसा मसीह तक पर भी विवाद है।

देश की आजादी के लिए प्रतिद्वंद्वी से छूट दी गई: जामा मस्जिद इमाम
नई दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद अब्बास नदवी का कहना है, ये मस्जिद भारत की आजादी के सन्दर्भ में भी महत्वपूर्ण है। फ्रीडम फाइटर और इस्लामिक स्कोलर हसरतनी मोह जो नाबालिग भी रह रहे हैं, वे भी हमेशा इसी मस्जिद में नमाज अदा करते हैं।

मौलाना आजाद भी नमाज़ पढ़ते थे। वे देश की आजादी के लिए भी वोट से वंचित थे। हम अपने फ्रीडम फाइटर्स की निशानी को किस स्थान पर रखते हैं?

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- मस्जिद को हटाने से विरासत को नुकसान
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 28 दिसंबर को एनडीएमसी को पत्र लिखकर सुनहरी मस्जिद हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने लिखा कि इतनी पुरानी मस्जिद हटाई गई है, तो इससे भारत की विरासत को नुकसान पहुंचेगा।

ओसीसी ने लिखा है कि मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व है। एनडीएमसी का काम विरासत को संरक्षित करना है, लेकिन वो अपने काम की अनदेखी कर रहा है। न्यूड डेनिश अली और कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने भी एनएमडीसी के लिए डेमोडिशियल प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा है।

सुनहरी मस्जिद में रहे थे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा देने वाले हसरत मोहानी
अपने दौर के मशहूर शायर और आज़ादी की लड़ाई में शामिल रहे हसरत मोहानी जब भी दिल्ली आए थे, सुनहरी मस्जिद में ही रुकते थे। मोहानी ने 1921 में ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा दिया था। हसरत मोहानी यूपी से संविधान सभा के सदस्य चुने गए।

इतिहासकार राना सफ़वी ने लिखा है कि इस मस्जिद में मौलाना हसरत मोहानी की संसद सत्र में भाग लेने के दौरान रुकते थे। उन्होंने सरकारी घर और कलाकारों से मिलने वाले वेतन-भत्ते को अस्वीकार कर दिया था। राणा सफ़वी के अनुसार, मॉन्यूमेंट ऑफ़ दिल्ली (1919) की किताब में भी यह मस्जिद का ज़िक्र है।

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