नई दिल्ली4 मिनट पहले
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दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा- ईडी की 365 दिन की जांच में अगर आरोप साबित नहीं हुआ तो प्रीवेंसन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग केस (पीएमएलए) के तहत जब्त की गई संपत्ति को वापस कर दिया जाएगा।
कोर्ट ने यह फैसला लिया – BPCL के महेंद्र कुमार खंडेलवाल की कंपनी की फाइल पर सहमति। महेंद्र ने अपनी याचिका में कहा था कि ईडी ने कुमार की जब्ती में सोने और गोदाम की संपत्ति सहित संपत्ति के रिकॉर्ड दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 85 लाख रुपये से अधिक है। ईडी की संपत्ति को 1 साल से ज्यादा समय हो गया लेकिन अभी तक जब्त की गई रकम वापस नहीं की गई।
![प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सेंट्रल फाइनेंशियल एंजेसी है, जो आपराधिक मामलों पर नजर रखती है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/02/03/untitled-design-47_1706949122.jpg)
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सेंट्रल फाइनेंशियल एंजेसी है, जो आपराधिक मामलों पर नजर रखती है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नवीन राइसा ने कहा कि ईडी की जांच में 365 दिनों के अंदर किसी भी अपराध में कोई दस्तावेज नहीं निकला है तो पीएमएलए के धारा 8(3) के तहत संपत्ति को सीज करने का समय प्रयोगशाला प्रयोगशालाओं में रखा जा रहा है। ।। ऐसे में जब्त की गई संपत्ति को उस व्यक्ति को वापस लौटाया जाना चाहिए जिससे उसे जब्त कर लिया गया था।
महेंद्र कुमार की जब्त संपत्ति ईडी द्वारा लौटाई गई
हाई नो ने ईडी को आदेश दिया कि 19 और 20 अगस्त 2020 को सामानों के तहत जब्त किए गए दस्तावेजों, डिजिटल उपकरणों, संपत्ति और अन्य वस्तुओं को जब्त कर लिया जाए।
पीएमएलए कानून क्या है?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को शेयर कर शेयरधारक के कानून। यह अधिनियम मनी-लॉन्ड्रिंग को प्रतिबंधित करता है, मनी-लॉन्ड्रिंग को प्राप्त करने या इसमें शामिल करने के लिए संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके असमान मामलों के लिए प्रस्ताव रखता है।
पीएमएलए के तहत ईडी के तहत संपत्ति को बहाल करना, उसकी संपत्ति को जब्त करना, उसके अपराधी द्वारा जमानत मिलने की सख्त शर्त और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान अदालत में साक्ष्य के रूप में मनी होने जैसे नियम उसे बनाते हैं।
पीएमएलए, 2002 में एनडीए के शासनकाल में बनाया गया था। यह कानून 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में लागू हुआ, जब पी. राक्षसी देश के वित्त मंत्री थे। पीएमएलए कानून में पहली बार बदलाव 2005 में ही हुआ था।
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सुप्रीम कोर्ट ने एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) को मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामलों में अरेस्ट पर रोक लगा दी। जस्टिस ए एस बोपन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कहा कि जांच एजेंसी को पूरी तरह से काम करना चाहिए और बदलाव की प्रवृत्ति को बनाए रखने से बचना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…
पीएमएलए के दो निर्णायकों की समीक्षा के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा: केंद्र को नोटिस भेजा गया- मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर नहीं, परफॉर्म विचार की जरूरत
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सुप्रीम कोर्ट प्रिप्रिवेशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) पर अपने फैसले की समीक्षा दी गई है। पिटीशन की समीक्षा के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम काला धन और मनी लॉन्ड्रिंग विवाद के समर्थन में हैं, लेकिन हमें लगता है कि कुछ शांति पर फिर से विचार करने की जरूरत है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिनियम के दो प्रावधानों को लेकर केंद्र को नोटिस भेजा है। पूरी खबर पढ़ें…