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नई दिल्ली13 मिनट पहले
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दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (16 नवंबर) को केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को लेकर एक प्रतिभूतियां बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य कार्यकारी अधिकारी और न्यायाधीश मिनी पीटरसन की बेंच ने कहा कि यह मामला 5 साल से कोर्ट में है। इसलिए केंद्र सरकार को मामले में आश्वासन का आखिरी मौका दिया जा रहा है।
अदालत ने कहा कि यदि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो मामले में संबंधित संयुक्त सचिव की अगली तारीख को अदालत में व्यक्तिगत रूप से सुनवाई की जाएगी। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि 28 अगस्त 2018 को दवाओं की ऑनलाइन बिक्री से संबंधित अधिसूचना पर अभी परामर्श और विचार-विमर्श चल रहा है।
बीमा कंपनी का आखिरी मौका
कोर्ट ने कहा, ‘अदालत का मानना है कि 5 साल से ज्यादा समय चुकाया गया है।’ केंद्र के लिए लाइसेंस तैयारी के लिए यह पर्याप्त समय है। फिर भी कोर्ट 8 सप्ताह में काउंसलिंग तैयारी का एक आखिरी मौका दे रही है। यदि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के संबंध में नीति नहीं बनाई गई है, तो अगली सुनवाई में जॉइन्ट केंसिया सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश किया जाएगा।
अवैध बिक्री पर प्रतिबंध की मांग पर सुनवाई
बार एंड ऑफिसियल के अनुसार, कोर्ट ने ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री पर रोक लगाने की मांग करते हुए पिट सुनवाई करने का आदेश दिया है। दस्तावेजों में गैजेट्स और बिजनेस नियम और संशोधन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित मसौदे को भी चुनौती दी गई है।
कोर्ट ने 2018 में ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था
बता दें कि दिसंबर 2018 में हाई कोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था, क्योंकि स्ट्रेंथ एंड बिजनेस एक्ट, 1940 और शीट एक्ट, 1948 के तहत इसकी अनुमति नहीं थी।
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक कंटेम्प्ट पिटीशन का भी खुलासा किया गया है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री जारी रखने के लिए ई-फार्मेसी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है। इसमें कोर्ट के निष्कासन के बावजूद ई-फार्मेसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है।