नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहलेलेखक: सुजीत ठाकुर
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5 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में भाजपा चुनाव में जीत दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
आमचुनाव से पहले बीजेपी का मिशन साउथ बेपटरी हो रहा है। पार्टी ने चार साल में दक्षिण के 6 राज्यों को जोड़ने वाले 130 रेज़्यूमे को साधने के सामान्य दांव पर लगा दिया, वे परवान चढ़ते नहीं दिख रहे। ताजा झटका कर्नाटक से लगा, जहां राज्य के वरिष्ठ नेताओं के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ नारे लगाए गए हैं।
असल में, हाल ही में बीजेपी ने पूर्व एचडी देवेगौड़ा की राजधानी वाले जेडी-एस से गठबंधन का फैसला किया। इसके कर्नाटक बीजेपी के ही नेता इसके खिलाफ बोलने लगे हैं। आम तौर पर अनुशासित पार्टी मणि जाने वाली भाजपा के लिए यह एक तरह का संकेत है।
जेडीएस को चुना तो लिंगायत समर्थक नाराज हो गये
भाजपा नेता, कर्नाटक के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने सार्वजनिक रूप से कहा, जेडीएस ने राज्य इकाई पर विश्वास नहीं लिया। इस बीच नेतृत्व ने दावा किया है कि केंद्र के इस फैसले से नाराज भाजपा के कई नेता, अल्पसंख्यक और आम लोग पार्टी छोड़कर भी कदम उठा सकते हैं। कर्नाटक भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, जेडीएस के साथ जाने से लिंगायत समर्थक भाजपा से नाराज हैं।
आंध्र प्रदेश: असमंजस में बीजेपी, सीएम जगन के साथ। या चंद्रबाबू नायडू को बचाएं…
आंध्र प्रदेश में टीआईपी से गठबंधन की कोशिश में लगी बीजेपी को चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के मामले में झटका लगा है। वाईएसआरसीपी प्रमुखों और राज्य के सीएम जगनमोहन रेडडी ने इस कार्रवाई को हरी जिम्मेदारी दी। अब बीजेपी इस असमंजस में है कि वह जगन के साथ जुड़े या चंद्रबाबू को बचाकर उनका साथ ले लें।
जगन के साथ जाने पर उनके विधानसभा क्षेत्र के साथ लोकसभा चुनाव में भी जूनियर राजभवन रहेंगे। वहीं, टीआईपी के साथ वह कम से कम अध्येता पर सीट शेयर कर सकती है। हालांकि ऐसे में बीजेपी के खिलाफ आरोपों को झटका लगा, क्योंकि नायडू इसी तरह के आरोप में जेल में हैं।
दूसरी ओर, भाजपा की सहयोगी रही जनसेना पहले ही कह चुकी है कि वह चुनावी मैदान में उतरेगी।
तेलांगना: सत्ताविरोधी विकेन्द्रीकृत
बीजेपी ने जिस मजबूत ताकत की भूमिका निभाई, वह कर्नाटक की हार से टूट गई। कर्नाटक की जीत से डेमोक्रेट कांग्रेस फ्रंटफुट पर है। चौथे का कहना है कि बीजेपी ने राज्य में जो सत्ता विरोधी रुझान बनाया था, पार्टी के समर्थक उसका फायदा उठाकर कांग्रेस को उठा रही है।
केरल और तमिल का हाल
तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने भाजपा से नाता तोड़ लिया। प्रयासों के बाद भी भाजपा अन्नाद्रमुक को सफलता नहीं मिली। ऐसे में अकेले उसकी राह आसान नहीं दिख रही। वहीं, केरल में बीजेपी की जनजाति में जमीनी स्तर पर अब तक कोई बदलाव नहीं हो पाया है।
पार्टी नेताओं का भी मानना है कि बीजेपी के लिए जगह नहीं बनी रही। ऐसे में 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को केरल से बड़ी उम्मीद नहीं है.