तेलंगाना चुनाव 2023 | बीआरएस बीजेपी कांग्रेस में त्रिकोणीय मुकाबला | बीआरके को सबसे बड़ी चुनौती- कांग्रेस बढ़ रही; भाजपा की लय

राज26 मिनट पहलेलेखक: प्रदीप पांडे

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इस बार तेलंगाना का चुनाव में कहानियां और करिश्मा की विशेष लड़ाई बेहद रोमांचक है। भारतीय जनता पार्टी तीसरे कोने में है।

बीआरके के पास तेलंगाना निर्माण के लिए लड़ने वाले के। चन्द्रशेखर राव (केसीआर) और राज्य सरकार के 10 साल के कर्मचारियों की फेहरिस्त है।

वहीं, कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस के पास भारत जोड़ो यात्रा की कहानियां और ‘गारंटी’ की बिक्री हुई है।

दूसरी ओर, भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मा और केंद्र की मान्यता मैदान में है।

तेलंगाना के लिए लड़ाई और उसे बनाने वालों के बीच लड़ाई
रेजिडेंट में मिले ऑटो वालों से लेकर डियोड्रिया तक, पॉलिटिकल टोकियो से लेकर रेस्टॉरिटी तक, ओल्ड सिटी के स्टोरिज तक, एक बात पर साफ है कि लड़ाई के लिए तेलंगाना और तेलंगाना बनाने वाले के बीच है। केसीआर ने अलग-अलग राज्यों के लिए संघर्ष किया था, जहां कांग्रेस ने 2014 में तेलंगाना का गठन किया था।

यही कारण है कि एक दशक बाद भी यह आबादियों के केंद्र में है। तेलंगाना आंदोलन के दौरान हुई ज्यादतियों को याद करा रही है, जहां कांग्रेस की ओर से माइक्रोवेव ने इसके लिए छूट दी है।

तेलंगाना के मंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बी.आर.के.) के नेता टी.  हरीश राव 18 नवंबर को निज़ामाबाद में चुनावी प्रचार कर रहे थे।

तेलंगाना के मंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बी.आर.के.) के नेता टी. हरीश राव 18 नवंबर को निज़ामाबाद में चुनावी प्रचार कर रहे थे।

पढ़ें बीआरएस-कांग्रेस की ताकत और चुनौती क्या है

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस)

ताकत- के क्रिक का चेहरा और हर वर्ग के लिए : केसीआर ने अक्टूबर में पार्टी का नाम तेलंगाना नेशनल कमेटी (टी रिजर्व) से डेमोक्रेटिक इंडिया नेशन कमेटी (बी रिजर्व) किया तो राष्ट्रीय राजनीति में क्रांतिकारी बदलाव की घोषणा की। बी सर्जक का कहना है कि के तीन बार सरकार बना रहे हैं। पार्टी के सचिव के. नरेंद्र रेडडी कहते हैं- केक सिनर्स के लिए बेटे, महिलाओं के लिए भाई और किशोरों के लिए ‘मामा’ हैं। जन्म, पढ़ाई, शादी, इलाज, खेती-किसानी तक हर कदम पर कोई न कोई योजना दी गई है।

चुनौती – चुनौती के ख़िलाफ़ फिर भी 95% चुनौती: धरनी पोर्टल में कलाकारों से छोटे-मझोले किसानों को ठगने और बड़े किसानों को लाभ पहुंचाने का आरोप है। 1.10 लाख करोड़ के कालेश्वरम प्रोजेक्ट में बेरोजगारों से भी मजदूरों को बल मिल गया है।

कांग्रेस

ताकत-कर्नाटक मॉडल पर चुनाव लड़ रही… यहां 6 सद्भावना पर विश्वास : 2018 के चुनाव में कांग्रेस 19 मंत्रियों की पार्टी बनी। 11 बदनाम के पाला गठबंधन से कांग्रेस में 8 बदनाम। हालाँकि, कर्नाटक की जीत ने संजीवनी दी। कांग्रेस के प्रवक्ता रोहन गुप्ता कहते हैं- भारत जोड़ो यात्रा ने संगठन को सक्रिय किया है। हमारे यहां भी 6 महानताएं दी गई हैं। इन महिलाओं के सरकारी पर्चे में मुफ्त यात्रा, 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी घोषणाएं हैं। हम जीत रहे हैं, इसी तरह 3 पूर्व समाजवादी और 22 पूर्व नेता बीजेपी-बीआरके कांग्रेस छोड़ कर आ गए हैं।

चुनौती- सीएम पद के आधे से ज्यादा दावेदार: चुनावी कांग्रेस आवासीय संस्थान से लड़ रही हो, पार्टी छह माह पहले मैदान पर पूरी तरह से सक्रिय है। पार्टी 6 को भी सही तरीके से नहीं भेजा गया। दूसरी चुनौती कांग्रेस में सीएम पद के आधे वोट से सबसे ज्यादा दावेदार हैं।

भाजपा का फोकस- आक्रामक प्रचार, हिंदुत्व, जातीय गणित पर
2019 में समाजवादी पार्टी के 4 और 2020 में रेजिडेंट ग्रेटर नगर कॉर्पोरेशन के 48वें प्रोजेक्ट के बाद एक बार ऐसा हुआ, जब बीजेपी बीआरके के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी। भाजपा उग्रवादियों और संघ के समर्थकों और परिवारवाद के आरोप में जमीन मजबूत कर रही थी।

हालाँकि समाजवादी पार्टी की समाजवादी पार्टी में समाजवादी पार्टी के नेता संजय बंदी की जगह केंद्रीय मंत्री जी शामिल हैं। किशन रेडडी को पोजिशन के बाद एक तरीके से इन्वेस्टमेंट धार कुंड हो गया। भाजपा के राज्य प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि हम कांग्रेस-कांग्रेस के गठबंधन-परिवारवाद से लड़ रहे हैं और जीतेंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगना के लिए 18 नवंबर को भाजपा का घोषणापत्र जारी किया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगना के लिए 18 नवंबर को भाजपा का घोषणापत्र जारी किया है।

प्रमोट के आखिरी दौर में, मिश्रित अधेड़ नेताओं की 150 से ज्यादा सभाएँ शामिल थीं। बीजेपी ने सीएम पद की घोषणा कर दी है और 40 से ज्यादा लोग असमंजस में हैं।

कलाकार अब कन्न फ़्यूज़न में वोट नहीं देंगे…प्रमोशन का आखिरी दौर अहम होगा
बी लेबल्स से कॉमिक्स और स्मारकों का खजाना है, लेकिन सरकार के खिलाफ लहर नहीं है। कांग्रेस-बीजेपी रसेल और सोसियो को मिल रही है तो बताएं बी कांग्रेस-भाजपा को। एक पत्रकार का कहना है कि अगर वोट कर्नाटक की तरह हुई, यानि कि मूर्ति, गरीब व मुस्लिमों ने बदलाव के लिए वोट किया तब बी रिजर्वेशन के लिए समस्या होगी।

वहीं, मौलाना आज़ाद नेशनल अरबिया यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. अफ़रोज़ आलम कहते हैं, कांग्रेस ने जगह बनाई, लेकिन जीत पर कुछ कहा जाएगा। आदिवासी कन्न फ़्यूज़न में वोट नहीं देता। लोग या तो बदलाव चाहते हैं या नहीं… ऐसे में प्रचार का आखिरी दौर अहम होगा।

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