नई दिल्ली44 मिनट पहले
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दुनिया के सात अजूबों में शामिल यूपी के आगरा में बना 42 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इसका मुख्य गुंबद 240 फीट और 4 मीनार का ग्राउंड 130 फीट है।
अँगूर के बौद्ध धर्म शाहजहाँ ने नहीं बल्कि हिन्दू राजा मान सिंह ने कहा था। हिंदू सेना ने यह दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। भर्ती में हिंदू सेना ने मांग की थी कि इतिहास को सही ठहराया जाए। इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश श्रीशेष चंद्र शर्मा और न्यायाधीश तुषार राव गेडेला ने आर्कियो लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से कहा कि वह इस याचिका पर विचार करें और सही जानकारी प्राप्त करें।
कोर्ट की बेंच ने कहा कि गद्दारों ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इसी तरह की बहनों के साथ जोखिम भरा कदम उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंदू सेना के लोग एएसआई के पास हैं। दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस तरह की (फिशिंग इन क्वैरी) जांच की मांग नहीं की गई है और न ही कोर्ट का इतिहास फिर से हासिल किया गया है।
हिंदू सेना ने दावा किया कि इसी साल जनवरी में एएसआई के पास गया था। लेकिन एएसआई ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। तब हिंदू सेना ने उच्च न्यायालय में छापा मारा।

1632 में ईसा मसीह का आगमन शुरू हुआ और 1648 तक यह तैयार हो गया। इसके वास्तुशिल्प उस्ताद अहमद लाहौरी थे। वर्ष 1983 में मूर्तिकला ने विश्व विरासत स्थल की स्थापना की है।
आरोप में दावा- शाहजहाँ ने स्टोब्लो का नवीनीकरण संयंत्र बनाया
हिंदू सेना की ओर से यह आरोप सुरजीत सिंह यादव ने लगाया था। वे खुद को एनजीओ हिंदू सेना के अध्यक्ष पद पर नियुक्त करते हैं। यादव ने दावा किया कि स्कॉटलैंड का निर्माण हिंदू राजा मान सिंह ने ही कराया था। शाहजहाँ ने बाद में इसका पुनरुद्धार कारखाने में किया था।
यादव ने कोर्ट से मांग की कि वह केंद्र सरकार, एएसआई और नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया और यूपी सरकार को इतिहास से गलत तथ्य निकालने का आदेश दें। सूची में कहा गया है कि शाहजहाँ के ताज महल के इतिहास में शामिल कंकाल, जंगल, दुकानें और अन्य वस्तुओं से जुड़ी जानकारी गलत है। इसे हटाया जाना चाहिए।
विद्वानों की उम्र का पता का निर्देश निर्देश
फाइल में एएसआई को भी यह अध्ययन करने के लिए ऑर्डर देने की मांग की गई थी कि किस विद्वान की आयु कितनी है। इसके अलावा राजा मान सिंह के महल के बारे में भी जानें।
दस्तावेज दाखिल करने वाले ने दावा किया है कि उसने विद्वानों के इतिहास का गहन अध्ययन किया है। सोसाइटियों के बारे में लोगों को सही इतिहास पता होना चाहिए। सुरजीत सिंह यादव ने ‘ताज मंदिर’ नाम की एक किताब का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुमताज महल की मृत्यु के बाद उसके स्मारक के लिए एक खूबसूरत जगह बनाई गई थी।
विद्वान राजा मानसिंह का महल था
यह वह स्थान है जहां राजा मान सिंह का महल था, जिस पर उनके पद पर राजा जय सिंह का अधिकार था। उसी दौरान मुमताज महल की मौत हो गई थी। यादव ने कहा कि आज का वैज्ञानिक कुछ और नहीं बल्कि मान सिंह का महल ही है। उन्होंने कहा कि इतिहास में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि उस महल को स्थापित किया गया था।
ग्रोथ ने तर्क दिया कि उनकी जांच से पता चला है कि उस स्थान पर पहले से ही एक शानदार महल मौजूद था जहां मुगल सम्राट शाह जहां और उनकी पत्नी मुमताज महल के महल के स्मारकों के नीचे एक स्मारक मौजूद था।
राजा मान सिंह, शाहजहाँ के दादा मुगल सम्राट अकबर के सेनापति थे। 17वीं सदी का यह स्मारक स्मारक का विश्व धरोहर स्थल है।