डूबते हुए 345 लोगों को बचाने वाले गोताखोर की कहानी | ब्रेन हेमरेज से टॉलेटी मां को लॉर्ड्स में शामिल होने के लिए रवाना किया गया, अब तक 1700 डेडबॉडी खत्म हो चुकी है

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29 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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भगवानदीन निषाद…जैसा नाम वैसा ही काम। जिंदगी से हारे हुए लोग मौत के लिए संघर्षशील हैं और भगवान के आगमन पर उन्हें जीने का एक मौका मिलता है। अब तक 345 लोगों की मौत हो चुकी है। हर श्लोक में भगवानदीन का नंबर दर्ज है। जहां एनडीआरएफ और एसडीआरएफ भी गांवों तक नहीं पहुंच पाती, वहां भगवानदीन को बुलाया जाता है। अब तक 1700 से अधिक मृतकों का सफाया हो गया है।

भगवानदीन को लोगों को बचाने या फिर डेडबॉडी जल निकासी के लिए कोई नियुक्ति नहीं। उनकी पास लाइफ जैकेट तक नहीं है। कोई बीमा नहीं है. रहने के लिए घर नहीं है। लेकिन उनसे किसी ने कोई शिकायत नहीं की है। हर दिन लोग बाहर निकलने के लिए 20 से 30 फीट गहरे पानी में कूद जाते हैं।

भास्कर की टीम के इस दिग्गज से मुलाकात अयोध्या के उस सरयू घाट पर हुई, जहां जीवन से हारे हुए प्रायश्चित लोग अक्सर मौत की रोजमर्रा की संभावनाएं हैं। ‘कर्मवीर’ सीरीज का पहला एपिसोड आज की कहानी भगवानदीन निशाद की। उनका संघर्ष. उनकी छूट की।

शुरुआत 15 सितंबर 2023 की एक घटना से…
सुबह के 11 बज रहे थे. अयोध्या के गुप्तार घाट के किनारे भगवानदीन और उनके भाई पिपरी निषाद नाव की मरम्मत करा रहे थे। घाट के दूसरे लड़के पर लोग स्नान कर रहे थे। इस बीच एक लड़का नहाते-नहाते सरयू के समुद्र तट तक पहुंच गया। उस स्थान पर नदी का तेज़ बहाव था।

लड़के का नियंत्रण हटा दिया गया। तेज धारा में फंसकर वह चटपटाने लगा। उसे देख घाट पर मौजूद लोग चिल्लाने लगे। इस शोर को भगवानदीन ने पूरा माजरा समझ लिया। इधर…लड़का नदी में डूबा हुआ था। सिर्फ उसका हाथ ही नजर आ रहा था।

भगवानदीन सारा काम ठीक हो गया। बगल में बैठे प्रदीप से नाव को कहा और 15 फीट गहरी नदी में डूबा दिया। लड़के के भागने के लिए पानी में हाथ-पैर मार रहा था। भगवानदीन ने अपने बाल पकड़ लिए और पानी के ऊपरी छोर पर ले आए।

भगवानदीन से 20 साल पहले कलाकारी कर रहे हैं।  गुप्तार घाट पर ये सुबह-सुबह रहते हैं।  इनका घर भी नदी से सटा हुआ है।

भगवानदीन से 20 साल पहले कलाकारी कर रहे हैं। गुप्तार घाट पर ये सुबह-सुबह रहते हैं। इनका घर भी नदी से सटा हुआ है।

‘अंकल मुझे बचा लो…निकल लो मुझे।’ लड़का चिल्लाता रहा, भगवानदीन उसे नदी के किनारे खींचकर ले गया। तब तक उनका भाई ‍अंजीर ‍प्रदीप वहां नाव लेकर पहुंच गया। लड़के को बाहर निकलना। परिवार के सदस्यों का नवीनीकरण किया गया। लड़के की मां इतनी भावुक हो गई कि उसने भगवानदीन के पैर छुए और 500 रुपए का नोट हाथ में पकड़ लिया।

24 घंटे फोन पर रहता है 6 डिग्री तापमान में भी दर्ज
अयोध्या में जान देने के लिए सरयू नदी में कूदने वालों में कई जिंदा नहीं बचते, तो कुछ को नदी किनारे अवशेष बचाकर रखते हैं। भगवानदीन की तरह अयोध्या में करीब 28 लोग हैं, जो अपने पुरखों की तरह ये जोखिम भरा काम करते हैं। इनमें से कुछ तेज़-तर्रार कारीगरों को पुलिस से ‘उत्तर प्रदेश सरकारी संस्था’ की पहचान मिलती है। भगवानदीन भी उनमें से एक हैं।

यूपी पुलिस के दिए गए कार्ड में भगवान के दर्शन करते हुए लिखा है, ”सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक नदी के किनारे रहते हैं। पुलिस स्टेशन पर हमारा नंबर दिया गया है।

इसलिए 24 घंटे फोन चालू रखें। देर रात पुलिस स्टेशन से ऑफिस पर फोन आया। मुझे ठंड का समय 6 डिग्री तापमान में भी पानी में 20 फीट नीचे लोगों को पता चला है।

ये फोटो अक्टूबर 2021 की है।  भगवानदीन और उनके साथी सहयोगियों ने गुप्तार घाट के पास एक लड़के को बुलाया था।  लेकिन अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई।

ये फोटो अक्टूबर 2021 की है। भगवानदीन और उनके साथी सहयोगियों ने गुप्तार घाट के पास एक लड़के को बुलाया था। लेकिन अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई।

भगवानदीन साल 2003 से संतरी का काम कर रहे हैं। इस दरमियान में उन्होंने 300 से अधिक लोगों की जान बचाई। वहीं, 1700 से ज्यादा बड़ी डेडबॉडी सरयू नदी से निकली है। दीनदीन के पिता रामकुमार निषाद भगवान भी अयोध्या के पुराने मंदिर थे। साल 2016 में उनका निधन हो गया।

‘मां को ब्रेन हेमरेज हो गया…उस दिन भी नदी में कूदा’
भगवानदीन परिवार में सबसे बड़े हैं। 2 हर्ट्ज़ 2 हर्ट्ज़ विक्रम, सप्लायर और बहनें पूनम-नीलम की जिम्मेदारी है। पिता की मृत्यु के बाद माँ राजकुमारी घर का अंतिम संस्कार करती रहीं। लेकिन 2021 में उनके ब्रेन हेमरेज़ की मृत्यु हो गई। जब राजकुमारी की मृत्यु हुई, उस दिन भगवानदीन ने काम किया था।

वह कहते हैं, “2 साल पहले गर्मियों के दिन थे…मां को तेज सिरदर्द हुआ। वह खाना खाते हुए अचानक प्लास्टिक की दुकान में चले गए। मैं उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचा तो डॉक्टरों ने बताया कि ब्रेन हेमरेज हो गया है। जी माता मुझे स्वीकार करना होगा। मैं उन्हें भर्ती करने के लिए कागज की तैयारी करवा रहा था। उसी समय मेरे पास कैंट स्टेशन से फोन आया कि 2 लड़के नदी में कूद गए हैं। मैं अपने डॉक्टर की मां के पास इलाज के लिए वहां गया था।”

“जब मैं वहां पहुंचा तो लड़के नदी में कूद गए और 15 मिनट तक चले गए। मैं नाव में सवार था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैंने किसी तरह एक लड़के को बचा लिया, लेकिन दूसरे को डूबने से बचा लिया गया।” मेरे लड़के की मौत हो गई और पुलिस उसे वापस ले गई और मां के पास अस्पताल पहुंच गई। 2 दिन तक मां का इलाज चला…लेकिन उनकी मौत हो गई।”

  • यहां रुकते हैं। दीन की कहानी पर आगे बढ़ते भगवान से पहले विश्वनाथ में डूबे से जुड़े आँकड़े पर चढ़े हुए हैं…

दूसरे की जान बचाते हैं…खुद की बीमा पॉलिसी तक नहीं
नदी में डूबे लोगों को बचाते समय या डेडबॉडी स्मारक स्मारकों की जान भी खतरनाक रहती है। लंबे समय तक पानी में रहने से मृत शरीर का वजन बढ़ जाता है। इस कारण से गहराई में जाना जाता है कि कई बार स्थापत्य के लिए भी राक्षसी साबित होता है।

अरेस्ट टिंकू कहते हैं, “हम साधारण पानी में 3 से 4 मिनट तक सांस रोककर रहते हैं। इसके बावजूद हर वक्त जान का खतरा रहता था। कभी-कभी आप किसी डूबते इंसान को बुढ़ापे तक छोड़ देते हैं तो वह भी आपके लिए तेजी से बच जाता है।” पानी में कैमियो है। इसमें जहर का खतरा होता है। कई बार भागने और भागने वाले… पानी में डूबने से मौत हो जाती है।”

“अयोध्या के घाटों पर दिवाली यात्रा करने वाले 25 से अधिक लोग हैं। सभी हर दिन अपने-अपने जान जोखिम में डूबे हुए हैं, दूसरे कि जीवन बचाते हैं लेकिन खुद के पास बीमा गारंटी तक नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में हमें सरकारी आवास और मासिक आवास की जिम्मेदारी दी गई है। वादा पूरा हुआ, लेकिन आज तक कुछ नहीं मिला।”

भगवानदीन अयोध्या सामूहिक टीम के प्रमुख हैं।  वह सरयू किनारे रहने वाले युवाओं को साइंटिस्ट की ट्रेनिंग देते हैं।

भगवानदीन अयोध्या सामूहिक टीम के प्रमुख हैं। वह सरयू किनारे रहने वाले युवाओं को साइंटिस्ट की ट्रेनिंग देते हैं।

गोटा ऑयल-लगाते बॉडी ब्रेडेड गया…सेफ्टी किट नहीं मिली
अंधविश्वासी भगवानदीन कहते हैं, “हमारी टीम ने सिर्फ अयोध्या ही नहीं बल्कि स्टूडियो, जार्ज, मैसाचुसेट्स, गोंडा और स्ट्रेन्डील तक के लिए कोई डेडबॉडी नहीं निकाली है। यहां तक ​​कि राक्षसों को सुरक्षा उपकरण भी नहीं दिए गए हैं। फ्लोरिडा लाइफ-जैकेट काम करना है। कभी-कभी- काभार ​​डेडबॉडी जियोलॉजी नालोन्स में पट्टियाँ होती हैं। पत्थर के पानी में सांस रोककर शव मिलना मुश्किल भरा काम होता है। इसमें खतरे के साथ-साथ काल की बिमारियाँ भी होती हैं।”

आगे वो कहते हैं कि 2003 से हम इंजीनियरिंग कर रहे हैं। तीस वर्षों में गहरे पानी से मृत अवशेष-निकलते ओके लाल अंकित हैं। हाथ का सामान हो चुका है…बदन भारी पड़ गया है। ये काम करने का हमें कोई वेतन नहीं मिलता। हां… कभी-कभी लोगों को अपने घरवाले पर 300 से 500 रुपये जरूर दे देते हैं। कई बार जिस जगह एनडीआरएफ की टीम गांवों तक नहीं पहुंच पाती, उस जगह पर जगह-जगह प्लांटों की मदद ली जाती है। क्योंकि उन्हें पता चलता है कि नदी में किस जगह पर कितनी गहरी खाई है। किस जगह कम है।

पुलिस की मदद के लिए दिन-रात नदी में कूदने को तैयार रहने वाले साथियों को कोई खास सुविधा भी नहीं। गुप्तार घाट से लेकर 12 किलोमीटर तक साधारण भगवानदीन, प्रदीप, दिनेश और टिंकू आस्तिक हैं। सबने बताया कि साझीदार से जुड़े परिवार के सामुहिक प्रतिष्ठानों पर भी प्रशासन ध्यान नहीं देता। इतनी तंगी है कि घर के लिए कुछ साधारण लोगों ने होटल, चाय की टपरी और ली हुई कैरिएर का काम पकड़ लिया है।

जिन लोगों के साथ वह दोस्त बन गए…आज भी फोन करते हैं
भगवानदीन अब तक 300 से ज्यादा लोगों को बचा चुका है। जिन लोगों को वह मौत के मुँह से वापस लाया वह आज भी उन्हें फोन करते हैं। त्योहारों पर उनके लिए खास उपहार लेकर आते हैं।

भगवानदीन कहते हैं, “पिछले साल नदी में नहा रही महिला अचानक समुद्र में पानी में चली गई।” जब मैं उससे बाहर निकला तो वह सच में नहीं थी। हमारी टीम ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के बाद उसे ठीक किया गया और उसकी जान बचाई गई। वह महिला आज भी हमें फोन करके हालचाल पूछती है। होली-दिवाली पर हमारे लिए कपड़े लाती है। ऐसे लोग ही हमें इस काम को करने की ताकत देते हैं।”

गणेश चतुर्थी-नवरात्रि में काम दोगुना हो जाता है
धार्मिक भगवानदीन के अनुसार, त्योहारों और मूर्तियों के विसर्जन के समय कारीगरों का काम बढ़ जाता है, क्योंकि इस बीच नदी तट पर सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती है। नवरात्रि और गणेश चतुर्थी के समय अयोध्या के हर घाट पर 2 से 3 लोग रहते हैं। यहां सभी पुलिस स्टेशन और कर्मियों के नंबर दिए गए हैं। जहां भी जरूरत है तो हम तुरंत लोगों को पलायन तक पहुंचा देते हैं।

बरातियों को नौकरी के नाम पर सिर्फ लाइसेंस
वर्ष 2005 में अयोध्या के 28 गरीबों को ‘उत्तर प्रदेश सरकारी संगठन’ की स्थापना मिली। पासपोर्ट सेवा कार्ड दिए गए। साथ ही हर महीने 500 रुपये कोचिंग लेने की बात तय हुई, लेकिन एक बार भी यह सामान्य संरचनाएं नहीं मिलीं। 15 अगस्त 2023 को यूपी के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अयोध्या के भवनों का लोकार्पण किया। तब भी हर मंदिर को ठेके और दलाली का वादा किया गया था, लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।

अयोध्या के घाटों पर वास्तुशिल्पियों को ऐसे कार्ड दिए गए हैं।

अयोध्या के घाटों पर वास्तुशिल्पियों को ऐसे कार्ड दिए गए हैं।

भगवानदीन ने बताया, “हर दूसरे साल रिन्यू कराने के लिए गोताखोर कार्ड मिलता है। इस कार्ड से पुलिस के पास हमारे रिकॉर्ड में दस रहते हैं। जब यह कार्ड मिला तो कहा गया कि इसे खरीदना ही पड़ेगा। लेकिन कोई मदद नहीं मिली।” 3 साल से यही कार्ड चला रहे हैं

अब…
यहां तक ​​आपके साथियों की बहादुरी और संघर्ष की कहानी। ग्राहम मीटिंग वाली सुविधाओं के बारे में नेता लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी क्या कहते हैं। ये भी जानें…

पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा- सरदारों को नौकरी देने का कोई प्रावधान नहीं

यूपी के पूर्व विशेषज्ञ एके जैन कहते हैं, ”उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में मस्जिदों के लिए अलग से कोई पदस्थापना नहीं है. हां…नदी किनारे रहने वाले मल्लाहों को विशेष जल पुलिस का दर्जा दिया गया है. पुलिस उपयोगिता सहायता ले सके। इसके लिए अलग से कोई भी बैच अभी तक तय नहीं किया गया है, लेकिन बॉडी बनाने के बाद प्रशासन अपनी स्वीकृति से वंचित कर सकता है।”

भगवानदीन जैसे अप्राकृतिक समाज के लिए मसीहा: वैभव भूषण शरण
भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा अल्पसंख्यक बजरंगबली शरण सिंह भगवानदीन निषाद को प्रतिष्ठित कर दिया गया है। उन्होंने नदी तट पर रहने वाले लोगों के साथियों और उनके परिवार की सामाजिक सुरक्षा का मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखने की सलाह दी है।

वैभव भूषण शरण कहते हैं, “भगवानदीन जैसे असामी समाज के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं।” आयोध्या अयोध्या से लेकर बनारस तक डूबते लोगों तक पहुँच गया है। खुद हॉस्पिटल लेकर इलाज भी चलता है। मैंने उनसे स्थायी नौकरी के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बात की है। जल्द ही अनपेक्षित मदद।”

अंतिम रूप से उन आंकड़ों को देखें जब भगवानदीन को बड़े मंचों पर सम्मानित किया गया…

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