ज्ञानवापी केस| हिंदू पक्ष ने ASI सर्वे की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अर्जी | ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की सर्वोच्च अदालत में याचिका: सील किए गए परिसर के सर्वेक्षण की मांग की; मई 2023 में SC ने रोक लगायी थी

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नई दिल्ली17 मिनट पहले

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ज्ञानवापी परिसर में यह वजूस्थल है, जिसका सर्वेक्षण उदघाटन की तैयारी है।  अभी यह स्थल न्यायालय के आदेश को सील कर दिया गया है।  - दैनिक भास्कर

ज्ञानवापी परिसर में यह वजूस्थल है, जिसका सर्वेक्षण उदघाटन की तैयारी है। अभी यह स्थल न्यायालय के आदेश को सील कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के लिए हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिला लिया है। इस फाइल में एएसआई के डायरेक्टर जनरल से अपील की गई है कि वे परिसर में मिले लिंग का सर्वेक्षण करें, ताकि उसकी वास्तविकता का पता चल सके।

याचिका में कहा गया है कि सर्वेक्षण के लिए आसपास के कलात्मक या धार्मिक दीवार और फर्श को हटा दिया जाएगा। बिना दर्शन को नुकसान पहुंचाया जाए, पूरे इलाके का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाए। इससे पहले, 19 मई 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी परिसर में सीलबंद वुजुखाना (स्नान जल टैंक) के सर्वेक्षण की मांग करने की बात कही थी। उनका दावा है कि 10 सीलबंद तहखानों में हिंदू मंदिरों के साक्ष्य और विद्याएं हैं।

एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे में हिंदू धर्म, हनुमान, कृष्ण और विष्णु की मूर्तियां मिलीं।

एएसआई को ज्ञानवापी सर्वे में हिंदू धर्म, हनुमान, कृष्ण और विष्णु की मूर्तियां मिलीं।

25 जनवरी को एएसआई सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई
ज्ञानवापी की एएसआई सर्वे रिपोर्ट 25 जनवरी को देर रात सार्वजनिक की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और लिंग की मूर्तियां मिली हैं। पूरे परिसर पर मंदिर के स्तंभ पर 34 प्रतिमाएं अंकित की गई हैं। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति पैगाम’ नाम का एक शिलापट भी मिला हुआ है।

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। वह वक्ता ज्ञानवापी इलेक्ट्रानिक्स का निर्माण हुआ। कुछ विचारधारा को संशोधित किया गया। मूलरूप को प्लेस और चूने से छुपाया गया। 839 पेज की रिपोर्ट में एएसआई ने परिसर के प्रमुख स्थलों का जिक्र किया।

एएसआई की रिपोर्ट में जिन प्रमुखों का जिक्र है, उन्हें नीचे 5 आंकड़ों में देखें…

1. मस्जिद के ज्वालामुखी में स्थित मंदिर का स्तंभ

यह स्तंभ ज्ञानवापी के ज्वालामुखी में मिला हुआ है।  इस पर कई तरह के सिद्धांत भी उभर कर सामने आए हैं।

यह स्तंभ ज्ञानवापी के ज्वालामुखी में मिला हुआ है। इस पर कई तरह के सिद्धांत भी उभर कर सामने आए हैं।

2. चट्टान में मौजूद खंडित मूर्ति

एएसआई की रिपोर्ट में ज्ञानवापी के चट्टानों में खंडित मूर्तियां मिलने की बात भी कही गई है।

एएसआई की रिपोर्ट में ज्ञानवापी के चट्टानों में खंडित मूर्तियां मिलने की बात भी कही गई है।

3. दीवार पर मूर्ति उखाड़ने के निशान

ज्ञानवापी के ज्वालामुखी में मिली इस दीवार पर मूर्ति का निशान मिला हुआ है।

ज्ञानवापी के ज्वालामुखी में मिली इस दीवार पर मूर्ति का निशान मिला हुआ है।

4. दीवारों पर कमल, स्वस्तिक की आकृति

रिपोर्ट में ज्ञानवापी की दीवार पर कमल और स्वस्तिक जैसी मुलाकात का जिक्र है।

रिपोर्ट में ज्ञानवापी की दीवार पर कमल और स्वस्तिक जैसी मुलाकात का जिक्र है।

5. पश्चिम की दीवार नागा शैली की है

ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार नागा शैली की है, इस दीवार को बाहर से भी देखा जा सकता है।

ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार नागा शैली की है, इस दीवार को बाहर से भी देखा जा सकता है।

4 सागर में लिखावट, शिव के तीन नाम मिले
ज्ञानवापी की दीवारें, शिलापटों पर 4 समुद्र का ज़िक्र मिला। इसमें देवनागरी, कन्नड़, वर्गीय, और पाठ्य भाषाएँ हैं। इसके अलावा भगवान शिव के 3 नाम भी मिलते हैं। ये जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर हैं। सभी स्तंभ पहले मंदिर के थे, जिनमें मोदीफाई करम का उपयोग किया गया था।

पशु-पक्षी की उपाधियाँ और धार्मिक रचनाएँ
संयुक्त के स्थिर टुकड़ों में सजाए गए मस्जिदों के गुंबदों के सिरों पर उकेरी गई चट्टानों की चोटीयां बनाई गई हैं। ऑर्थोडॉक्स के प्राथमिक भागों को गणितीय डिज़ाइन से अपनाया जाता है। मंदिर का केन्द्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम से था। इस दरवाजे को बोल्ट और पक्षियों का निर्माण और एक सजावटी तोरण से अपनाया गया था।

पश्चिमी दीवार को मंदिर का हिस्सा बताया गया
रिपोर्ट में बताया गया है कि कन्नड़, प्रतिरथ और नागा शैली में बनी पश्चिमी दीवार के अध्ययन से पता चलता है कि यह हिंदू मंदिर का हिस्सा है। यह दीवार 5 हजार वर्ष पूर्व नागा शैली में बनी है। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने पिरामिड मिले हैं। यही नहीं, परिसर में एक संगीतकार का हिस्सा मिला हुआ है। जिसका मूल पत्थर एएसआई के सिद्धांतों में हैं। यह मशीनरी 1966 का है। इस पर महामुक्ति पैगाम लिखा है। औरंगजेब शासन (1792-93) के दौरान स्थल का मूल तत्व क्षतिग्रस्त हो गया।

स्तंभों पर दीपस्थल और घंटियों की छतें
रिपोर्ट में एएसआई ने बताया कि परिसर के सभी खंभे 1669 यानी 17वीं सदी से पहले के हैं। ये मंदिर के अद्भुत दृश्य होते हैं। इसमें भगवान का प्रतीक चिन्ह बने हुए हैं। ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार प्राचीन मंदिर के पत्थर (मलबे) से बनी है। इस दीवार से जुड़े सेंट्रल सेंटर में कोई बदलाव नहीं हुआ। अर्थात्, वास्तुशिल्प है। जबकि बाहर के दो कक्षों को संशोधित किया गया।

ज्ञानवापी चबूतरे के पूर्वी भाग में चट्टानों को तोड़ने के समय पुराने आर्च (मंदिर) के खंभों का उपयोग किया गया था। एक खंभा (स्तंभ) ऐसा मिला, जिसे घंटियों से गिराया गया है। इसमें चारों तरफ दीपक रखने की जगह बनी हुई है।

इस सर्वे रिपोर्ट के अलग-अलग पेज में लिखी लाइनें हैं।

इस सर्वे रिपोर्ट के अलग-अलग पेज में लिखी लाइनें हैं।

हिंदू पक्ष बोला- रिपोर्ट से हमारा दावा साबित हुआ
एएसआई ने कहा कि ज्ञानवापी के पास खाना एस-1 में दो मीटर का सिलेंडर है। इसे कवर किया गया है। मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में एक कक्ष था। उत्तर की ओर तीन कक्षों के द्वार हैं। दक्षिण और पश्चिम में कक्ष अभी भी मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में कक्ष के ढांचे और इसके आगे के विस्तार का भौतिक रूप से पता नहीं चल पाया है।

इस लेकर हिंदू पक्ष के कट्टरपंथियों के कट्टरपंथियों में से एक हैं। अयोध्या की तरह के मंदिरों में भी उनके स्तंभ और मस्जिदों का निर्माण किया गया।

मुस्लिम पक्ष का बयान-रिपोर्ट का जवाब दिया गया
एएसआई सर्वे रिपोर्ट में शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन सोलोतिया समिति ने सवाल उठाए। चॉकलेटिया समिति के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि यह एक रिपोर्ट है। निर्णय नहीं. 839 पन्ने की रिपोर्ट के अध्ययन में समय लगा। स्टूडेंट्स से राय लेगी फिर आगे विचार।

उन्होंने यह भी दावा किया कि यह मस्जिद 804-42 हिजरी के समय का एक मुस्लिम मुसलमान बनवाई था। बादशाह अकबर से करीब 150 साल पहले मुस्लिम यहां नमाज पढ़ रहे हैं।

ज्ञानवापी परिसर की कृति और खंभों का डिजाइन मंदिर की है।

ज्ञानवापी परिसर की कृति और खंभों का डिजाइन मंदिर की है।

24 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी में एएसआई की टीम तैनात थी
ज्ञानवापी परिसर में जिला जज डॉ. पर एलेवेशन सर्वे की याचिका। अजय विश्व कृष्ण ने 23 जुलाई 2023 को ऑर्डर किया था। कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष की ओर से रिसर्च वॉल का प्रस्ताव रखा था। साथ ही, ऑस्टिन के निदेशक को सर्वेक्षण के लिए आदेश दिया गया था।

कोर्ट ने कहा था कि किसी भी तरह की क्षति पहुंचाने वाले हथियार वैज्ञानिक तरीकों से सर्वे किया जाए। 24 जुलाई को एएसआई की टीम ने पूरे क्षेत्र को सील करने के लिए सर्वे शुरू किया और करीब 84 दिनों तक चले सर्वे के बाद सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई।

इससे पहले केस उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय गया था। 24 जुलाई को चार अगस्त 2023 से शुरू हुआ सर्वे, जो दो नवंबर तक पूरा हो सकेगा। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेशी की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की जा रही थी।

​36 दिन तक तीन देशों में तैयार हुई रिपोर्ट

  • पहली प्रतिलिपि ऊपरी तौर पर दिखने वाली थीम की है, जिसमें स्थलीय मजबूत, काल और समय आदि का विवरण है।
  • दूसरी प्रतिलिपि इसमें जमीन के अंदर जीपीआर सर्वे का विवरण शामिल है। इसमें तरंगों के माध्यम से ग्राफिक बनाया गया और उसके नीचे मौजूद अवशेषों का एक्स-रे किया गया। उनकी रिपोर्ट डिजिटल और कंसोर्टियम में तैयारी की है।
  • तीसरा कॉपी में वीडियो-फोटोग्राफी का स्थान अंकित किया गया है। ज्ञानवापी में तीन स्तरों पर तैयार रिपोर्ट पिछले दिनों पीपीटी स्लाइड्स में तैयार की गई है और उस दिन की प्रगति के अनुसार अलग-अलग सुझाव भी दिए गए हैं।

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