जम्मू कश्मीर धारा 370; फारूक अब्दुल्ला, महाराजा हरि सिंह | फारूक बोले- आर्टिकल 370 हम नहीं, महाराजा हरि सिंह बोले: उन्हें डर था डिविजन के बाद पंजाब के लोग जम्मू-कश्मीर आ जाएंगे

जम्मू25 मिनट पहले

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फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए 370 लागू किया था।  - दैनिक भास्कर

फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए 370 लागू किया था।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रभाव को ख़त्म कर दिया था। 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने भी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर बंदी बनाए रखने का फैसला सुनाया है।

सोमवार (8 जनवरी) को जम्मू में राष्ट्रीय सम्मेलन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हम लेकर नहीं आए, यह तो महाराजा हरि सिंह ने 1947 में लागू किया था।

उन्हें विभाजित करने के बाद पंजाब के लोग यहां बस जाएंगे और राज्य के गरीब लोग अपनी जमीन पर कम कीमत पर उन लोगों को बेच देंगे।

महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए धारा 370 लागू की थी। केवल जम्मू-कश्मीर और अल्पसंख्यकों के लिए स्थानीय लोगों के लिए अनाज की दुकानें।

11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अपने दूसरे अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 सीमांत जम्मू-कश्मीर और इंडोनेशिया में बाँट दिया गया था।

इसके सर्वोच्च न्यायालय में कुल 23 पदयात्राएँ हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी पट्टों की एक साथ सुनवाई की थी।

संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिवा चंद्रचूड़, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।

बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के 96 दिन बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रखने का फैसला 11 दिसंबर 2023 को तय किया था।

संविधान पृष्टि में कहा गया था- जम्मू और कश्मीर भारत का सिद्धांत
पीरिन ने अपने निर्णय में कहा कि अनुच्छेद 370 की परिकल्पना थी। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का सिद्धांत है।

भारतीय संविधान के सभी प्रोविज़न वहां लागू हो सकते हैं। 476 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं।

हम विपक्ष को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए दोषी ठहराए गए हैं। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव के आदेश दिए थे।

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केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से 370 हटा दिया था। इसके 4 साल, 4 महीने और 6 दिन बाद 476 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा, ‘हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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26 वकील, 23 ​​याचिकाएँ, 16 दिन और 5 न्यायाधीश। इस सैद्धांतिक बहस के बाद 11 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 पर अपना निर्णय सुनाया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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