के42 मिनट पहलेलेखक: वैभव पलनीटकर
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![असली होने की वजह से दोस्त की पहचान संभव नहीं है, इसलिए हमने उसका चेहरा धुंधला कर दिया है। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/17/22_1700234775.jpg)
असली होने की वजह से दोस्त की पहचान संभव नहीं है, इसलिए हमने उसका चेहरा धुंधला कर दिया है।
इसी साल फरवरी महीने की बात है, कश्मीर घाटी के दक्षिणी जिले अनंतनाग में हम पंडित बने बंटू शर्मा का घर ढूंढते वानपोह गांव क्षेत्र। फरवरी का महीना था तो पूरे कश्मीर में रुक-रुककर उद्यम हो रही थी। बंटू शर्मा के बड़े भाई राकेश शर्मा से फोन पर निकले हम वानपोह गांव की गलियों से होते हुए बंटू के घर तक पहुंचे।
दो बंदरगाह घर थे, लेकिन अब वीरान था, बालकनी के बाहर ही दरवाजा परलॉक। कभी इस गांव में 1990 के दशक में मिलिटेंसी के बाद ज्यादातर अंधविश्वासी पंडित परिवार अलग हो गए थे, लेकिन बंटू शर्मा और उनका परिवार सितंबर 2021 तक रुका रहा। लेकिन फिर आया वो मनहूस दिन…
17 सितंबर 2021, शाम 6 बजे 5 मिनट का समय। नाग अनंत के वानपो में रहने वाले मठवासी और पंडित पंडित बंटू शर्मा को घर से सिर्फ 200 मीटर दूर के प्लांट ने 5 गोलियां मारीं। उन्हें तत्काल अस्पताल नहीं ले जाया गया, लेकिन वे बच गए।
बट्टू शर्मा की साख किलिंग होने के बाद उनके पूरे परिवार को खतरे की वजह से अपना पुश्तैनी घर छोड़कर जम्मू पलायन करना पड़ा। अब भी उनके बड़े भाई राकेश शर्मा दर-दर की चुनौती खा रहे हैं।
![बट्टू शर्मा पुलिस में फॉलोवर की रैंक पर थे, उनकी हत्या की जिम्मेदारी लोकल टेररिस्ट ग्रुप केमी फ्रीडम फाइटर्स ने ली थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/17/banyooo1675601002_1700226218.jpg)
बट्टू शर्मा पुलिस में फॉलोवर की रैंक पर थे, उनकी हत्या की जिम्मेदारी लोकल टेररिस्ट ग्रुप केमी फ्रीडम फाइटर्स ने ली थी।
बथू शर्मा के घर के ठीक सामने एक घर खुला दिखा, हमने उस घर में जोर-जोर से आवाज दी, कुछ देर बाद एक महिला आई और उसने कमरे का दरवाजा खोला। उस घर में बंटू शर्मा और उनके परिवार के बारे में हमें पता चला कि उनका परिवार इस गांव में क्यों चला गया? गांव के मूलनिवासी ने उस पूर्वोत्तर पंडित परिवार को क्यों नहीं खोजा? जब हम घर में मिले तो एक नई कहानी पता चली।
ये घर था, वे अपने घर में 4-5 छोटे बच्चों को गणित की किताबें पढ़ा रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं- एक 14 साल का और दूसरा 12 साल का। बड़े बेटे को 5 मई 2022 को घर से अकेले निकाला गया था कि वो पिकनिक पर जा रहा है, फिर वापस नहीं आया। शुक्रवार को कुलगाम में 4 साइंटिस्ट के साथ ये मारा गया।
कौन है ये मर्द
15 साल का छोटा सा लड़का जो बाद में बन गया एंमेल, ये अनंत नाग के वनपोह में रहने वाला था। उसके बड़े पापा हैं कि वह बड़ा जहीन लड़का था। पांचवी क्लास के बाद नवोदय में छठी एंट्रेंस के लिए उन्होंने जबरदस्त तैयारी की थी, उन्होंने नवोदय एंट्रेंस टेस्ट में टॉप भी किया था। उनके पिता और बेटे ने दिल्ली पब्लिक स्कूल जैसे सरकारी स्कूल में दाखिला लिया था।
बड़े पापा को जब सपोर्ट के बारे में पता चला तो वो राजधानी के पुलिस मुख्यालय अपने बॉस का चेहरा आखिरी बार देखने पहुंचे। महिला के माता-पिता भी अपने बेटे का चेहरा आखिरी बार देखना चाहते हैं। केमिस्ट्री में उनके शरीर को उनके परिवार ने काफी पहले ही बंद कर दिया था।
उनके बड़े पापा कहते हैं, ‘हमें कभी सांप ही नहीं लगा कि वह बुरी स्थिति में पड़ गया है। वो बिल्कुल सही लड़का था, सिर्फ 14-15 साल का लड़का अचानक एक दिन ये अकेला घर छोड़ गया कि वो आतिशबाजी पर जा रहा है। उस दिन के बाद आज तक उसका कोई अता-पता नहीं आया। न उसने कभी फोन किया और न ही पुलिस वालों को उसका कोई सुराग मिला। हमारे फोन पर उनके बारे में जानकारी होती रहती है, अगर वह हमें फोन करता है तो वैसे भी पुलिस को पता चल जाता है, लेकिन कभी फोन नहीं आता।
फरवरी में ही कुलगाम के एसएसपी साहिल सारंगल से उनके बारे में पूछा गया था, तब उन्होंने कहा था, ‘वह लड़का आधिकारिक तौर पर मिलिटेंट है, पता चला है कि वह आश्रम-ए-तैयबा तनशीम जॉइन की है।’
जब हमने बट्टू शर्मा के भाई राकेश शर्मा को उनके समर्थक में मारे जाने की बात बताई और फोटोग्राफ दिया तो उन्होंने तुरंत पहचान लिया। बोले कि मैंने तो बचपन से देखा है, वनपोह में मेरे घर के सामने ही रहता था। कभी यकीन ही नहीं हुआ कि यह लड़का एक दिन का दोस्त बन जाएगा।
मेरे भाई बंटू की जब गहराई किलिंग हुई, तो हमने वो गांव छोड़ दिया और उसके बाद कभी वापस नहीं लौटे। गांव छूटने के कुछ दिन बाद ही खबर मिली कि वह उग्रवादी बन गया है। इसके बाद तो और भी कभी जाने का मन नहीं किया।
वो मेरे पड़ोसी हैं, मेरा उनके घर रोज का उठना-बैठना था, हमने साथ-साथ तीज-त्योहार मनाए हैं, लेकिन अब सब कुछ पीछे छूट गए हैं। कश्मीर में कौन-क्या है कुछ पता नहीं चलता, काफी कुछ अंदर-अंदर रहता है। मेरा मन तो करता है कि कश्मीर अपने घर वापस लौट जाऊं, लेकिन ये भी पता है कि अब वापस नहीं लौटूंगा।
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