चेन्नई34 मिनट पहलेलेखिका: शिवानी चौधरी
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![फोटो कैप्टन कॉटन कैनाल की है, जिसे भरत बालासुब्रमण्यन ने क्लिक किया है। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/20/chennai-1_1697762937.jpg)
फोटो कैप्टन कॉटन कैनाल की है, जिसे भरत बालासुब्रमण्यन ने क्लिक किया है।
तमिलनाडु की राजधानी केलेस्ट्री में दवा उत्पादन होता है तो ताप-बूंद पानी को तरसा दिया जाता है। भविष्य में घोड़े और नरे शहर, चेन्नई को ‘नहरों का शहर’ बनाया जा रहा है। प्राचीन काल में चेन्नई में 53 किमी लंबी 33 नहरें थीं, जिनके अवशेष धीरे-धीरे खत्म हो गए।
ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन के कमिश्नर जे. राधाकृष्णन के अनुसार नया प्रोजेक्ट पुनर्स्थापन का है। इन 33 में से 21 सूक्ष्म नहरों की कंपनी नए सिरे से बनाई जा रही है। ये 10 मी. से सबसे अधिक विस्तृत सामग्री। काम जनवरी से शुरू होगा। शुरुआत में 86.4 करोड़ रु. खर्च होगा।
नहरों से न केवल बाढ़ का पानी निकलना, बल्कि सालभर में पानी रहने से भूजल स्तर में भी गिरावट। आगे मित्रवत नहरों को जोड़ने की योजना है। दोस्ती से जलमार्ग बनो। कोनारेल की शुरुआत इटली के वेनिस के दर्शन के रूप में हुई।
परी सेवा का प्रस्ताव तैयार…
जुलाई 2022 में तमिल राजमार्ग विभाग ने बकिंघम नहर पर 760 मी. वॉल्व ब्रिज बनाने का प्रस्ताव सेंट्रल जलमार्ग प्राधिकरण को दिया गया था। तब अथॉरिटी ने चेन्नई सेंट्रल से मरक्कनम को जोड़ने के लिए 110 किमी लंबी फेयरी सेवा आयोजित करने का प्रस्ताव दिया। इस रूट पर कई कम पाइपलाइन वाले ब्रिज और अतिक्रमण के निर्माण प्रस्ताव रुके हुए हैं।
राजमार्ग विभाग ने अब पुराने महाबलीपुरम रोड को ईस्टर्न तटवर्तीवेक्टरी रोड से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए दोनों सहायक उपकरण भी निकाले जा रहे हैं। यदि प्रस्ताव पर विचार होता है तो चेन्नई देश में पहला शहर होगा, जहां जलमार्ग पर परिवहन हो।
![बकिंघम नहर 796 किमी (494.6 मील) लंबी समुद्री जल की नेविगेशन नहर है। यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/20/buckinghamcanalnearkluniversity_1697763330.jpg)
बकिंघम नहर 796 किमी (494.6 मील) लंबी समुद्री जल की नेविगेशन नहर है। यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था।
कैसा कोयला : 28 किमी लंबा नहरों का नेटवर्क
- चेन्नई रिवर्स रेस्तरां ट्रस्ट प्रोजेक्ट का खर्चा। 21 नहरों की कुल लंबाई 28.27 किमी होगी। ये आखिरी बार समुद्र तट पर खुलागा।
- शहर में सबसे पहले मौजूद छोटे-छोटे नहरों जैसे स्कॉटलैंड, नुंगमबाकम, गिंडी, अडयार, कैप्टन कॉटन, नंदनम नहरों को भी पुनर्जीवित किया गया।
- सभी नहरें एक प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित होती हैं, ताकि समग्र इकाई सही ढंग से बढ़ सके। इसके लिए प्रत्येक घटक और समुद्र-तट में पुरावशेष गड्डे का मिश्रण होता है।
- सूक्ष्म नहर की स्थिति में भी बनी मावली। इस सीज़ को बढ़ाया जा सकता है। इस मेगा प्रोजेक्ट से चेन्नई का जल चक्र सूरत। साथ ही चेन्नई को जलमार्ग भी मिलेगा।
टिप्पणी- 21 बड़े शहरों में भूजल संकट… नहरें भूमि को नया जीवन प्रदान करता है
एना यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर क्लाइमेट चांग एंड डिजास्टर के एडमिनिस्ट्रेशन प्रो. कुरियन जोसेफ़ कहते हैं- देश में दिल्ली, पुणे, कानपुर, पाइथन जैसे बड़े शहरों में किसानी मंदी में डूबी हुई है। 2018 में नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया था कि 21 बड़े शहरों से जल्द ही दुकानें खत्म हो सकती हैं। 10 करोड़ लोगों पर असर।
इस रिपोर्ट के बाद बड़े शहरों में जल प्रबंधन शुरू हुआ। रोज़ की राजधानी में कटक करने लगे। लेकिन, यह उपाय बिल्कुल नहीं है, क्योंकि इससे कच्चे अनाज का भंडारण नहीं होता है।
यदि चेन्नई का यह प्रोजेक्ट ठीक से क्रियान्वित हुआ तो बाकी शहरों के लिए ये नजीर बन सकता है। परियोजना में वैज्ञानिक रूप से जल भंडार में सुधार होगा।