26 मिनट पहले
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एक बार फिर चर्चा में है डेमोक्रेट। असल में, सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि अभ्यर्थियों के बीच चुनाव आयोग ने राजनीतिक मठों को बंद करने की खुली चुनौती दी है।
- इस दावे से एक वीडियो भी साझा किया जा रहा है जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय से बताया जा रहा है कि प्रत्येक दल को 4 घंटे का समय मिलेगा।
- मिसोक हैक करने की चुनौती से स्टॉकहोम दावा एक्स (पहला ट्विटर) वायरल हो रहा है। जिसे कई वेरी ऑपरेशंस और नॉन वेरी ऑपरेशंस शेयर कर रहे हैं।
वेरी डेमोक्रेट एक्स डेमोक्रेट अशोक चौधरी ने ट्वीट किया- इलेक्शन कमीशन ने हर राजनीतिक पार्टी को ईवीएम हैक करने का चैलेंज दिया है। (पुरालेख ट्वीट)
ट्वीट देखें:
पूर्व नाविक अरविंद सहवाग ने ट्वीट किया- ऐसा लगता है कि ईवीएम हैक हो सकता है, इसलिए सभी को चुनाव आयोग का आश्वासन निश्चित रूप से स्वीकार है 🙏 (पुरालेख ट्वीट)
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वहीं, वेरी पोप एक्स डेमोक्रेट सरदार लक्की सिंह ने भी इस दावे से जुड़े वीडियो को शेयर करते हुए पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा को टैग किया है। (पुरालेख ट्वीट)
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एक्स अकाउंट इंदु ने भी ईवीएम हैक करके अपनी योग्यता सिद्ध करके दिखाओ…पुरालेख लिंक)
ट्वीट देखें:
दावे की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर ओपन किया लेकिन हाल के दिनों में ऐसी कोई खबर नहीं मिली जिसमें चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक सोसायटी को सर्च करने के लिए सर्च किया गया हो।
- वफ़ादारी के दौरान हमने वायरल क्लिप में देखा कि नसीम ज़ैदी को मुख्य चुनाव आयुक्त बताया जा रहा है। हालाँकि, नसीम ज़ैदी का कार्यकाल 2017 में ही समाप्त हो गया है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, जैदी का बयान 19 अप्रैल 2015 से 05 जुलाई 2017 तक था।
- वहीं, वर्तमान में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं।
वायरल वीडियो की पड़ताल के दौरान हमें यह आज तक के मेटा अकाउंट पर मिला जिसे 20 मई 2017 को अपलोड किया गया था।
वीडियो देखें:
- दरअसल, यह पूरा मामला साल 2017 का था। जब उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और बौद्ध मठों में चुनावों के बाद कुछ भिक्षुओं ने मठ पर सवाल उठाया था।
- ऐसे में चुनाव आयोग ने सभी आश्रमों को खुली चुनौती दी थी कि वे छात्रों और मठाधीशों को हक देकर तसल्ली कर लें।
- बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, टैब के मुख्य चुनाव आयुक्त रह रहे नसीम जैदी ने यह दावा किया था कि मोस्क के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है।
देखें प्रशिक्षण:
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यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक शास्त्र को मठवासी हक देने की चुनौती अभी नहीं बल्कि साल 2017 में दी थी। वीडियो पुराना है जो अभी का ही है उत्तर और झूठ दावा के साथ वायरल किया जा रहा है।
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