चुनावी बांड | भाजपा कांग्रेस दान (चुनावी बांड) किश्त सरकार द्वारा स्वीकृत | 6 नवंबर से बिक्री शुरू होगी; कोर्ट सुप्रीमो ने नी नीड पर ही सवाल उठाया है

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नई दिल्ली3 मिनट पहले

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भारतीय स्टेट बैंक मार्केटप्लेस बांड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।  - दैनिक भास्कर

भारतीय स्टेट बैंक मार्केटप्लेस बांड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले ठीक सरकार ने शनिवार (4 नवंबर) को जॉनसन बॉन्ड की 29वीं किश्त रिलीज करने को मंजूरी दे दी है। इसकी बिक्री 6 नवंबर को खुलेगी।

यह निर्णय तब आया है, जब राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव प्रचार चल रहा है। इन राज्यों में 7 से 30 नवंबर तक वोटिंग है। जबकि गिनती 3 दिसंबर को होगी।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की ज़रूरत पर ही सवाल उठाया है। 5 जजों की बेंच ने निर्णय पर 4 भर्तियां सुरक्षित रख ली हैं और चुनाव आयोग से सभी आश्रमों के अनुयायियों की मांग की है।

वित्त मंत्रालय ने बयान दिया है कि “सरकार ने 6 से 20 नवंबर तक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 29वें चरण में बिक्री के लिए मंजूरी दे दी है।”

सुप्रीम कोर्ट से इलेक्टोरल बॉण्ड स्कॉच पर निर्णय बाकी

  • 2 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉटलैंड केस में फैसला सुरक्षित रखा। हालाँकि अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित नहीं है। कोर्ट ने वीडियो को मिली फंडिंग का डेटा इलेक्शन कमीशन से लेकर अब तक नहीं रखा। साथ ही आयोग से राजनीतिक आश्रम को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिली नंदी की जानकारी से जल्द ही निर्देश दिया गया है। पढ़ें पूरी खबर…
  • 1 नवंबर: एससी का केंद्र से सवाल- उम्मीदवार क्यों नहीं ले सकते चंदे की जानकारी: सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर राजनीतिक चंदे तक की स्थिति है। चंदा नहीं चाहती थीं कि उनके दान के बारे में दूसरी बार पार्टी को पता चले। इससे उनकी प्रति दूसरी पार्टी की कोई अन्य पार्टी नहीं बनी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो फिर अस्थायी दल नामांकन के बारे में जानकारी क्यों मिलती है? लिंग की जानकारी क्यों नहीं ले सकते? पूरी खबर पढ़ें…
  • 31 अक्टूबर: प्रशांत भूषण बोले- ये बंधन केवल एक ही सम्मान है: प्रशांत महासागर में तूफान ने उड़ान भरी। उनका कहना था कि ये बांड केवल बच्चे हैं, जो सरकारी संस्थाओं को प्रभावित करते हैं। यदि किसी नागरिक को अपनी संपत्ति, अपने आपराधिक इतिहास के बारे में पूछताछ करने का अधिकार है, तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि कौन सा राजनीतिक पंडित इसका समर्थन कर रहा है? पूरी खबर पढ़ें…

सरकार ने कहा-रिलीज के 15 दिन में जमा होंगे बॉण्ड
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बैंगलोर, नोएडा, कुवैत, इलेक्ट्रॉनिक्स, कोलकाता, कोलकाता, कोलकाता, नई दिल्ली, चंडीगढ़, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई के स्टोर्स से बॉन्ड्स की बिक्री होगी। वित्त मंत्रालय का कहना है कि जारी होने की तारीख 15 दिन से वैध होगी। इस समय सीमा के ख़त्म होने के बाद बॉन्ड जमा हो जाएगा तो किसी भी राजनीतिक दल को कोई समझौता नहीं होगा।

इसमें यह भी कहा गया है, “किसी पात्र राजनीतिक दल का उसके खाते में नामांकन किया गया था, उसी दिन नामांकन बांड में जमा किया गया था। भारतीय नागरिक या देश में पंजीकृत संस्थाओं की खरीद हो सकती है। साथ ही रजिस्टर्ड राजनीतिक दल का नामांकन पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में होगा।” वोटिंग का कम से कम 1% वोट हासिल हुआ, वे वोटिंग बॉन्ड से वोट पाने के काबिल हैं।

इस पर विवाद क्यों…
2017 में अरूणाचल प्रदेश ने इसे पेश करते हुए दावा किया कि राजनीतिक दलों को फंडिंग और चुनावी व्यवस्था में जगह मिलेगी। ब्लैक मनी पर कटाव। दूसरी ओर इसके विरोध करने वालों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड धारक की पहचान स्पष्ट रूप से नहीं की जा सकती है, इसलिए इस चुनाव में काले धन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कॉच को बड़े पैमाने पर घरों को ध्यान में रखकर लाया गया है। इससे ये घराने बिना पहचाने सामने आए ईस्टर्न वेस्ट वेस्ट चांदा के राजनीतिक चित्रण को दे सकते हैं।

इस मामले में 4 कलाकृतियां बिकीं। एक मोटोरोला ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट से कहा था- डेमोक्रेट बॉन्ड से अब तक 12 हजार करोड़ की फंडिंग हुई है। इसका 2/3 भाग एक खास पार्टी को मिला हुआ है।

केस सुप्रीम कोर्ट की ओर से…
योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई थी, लेकिन योजना 2019 में शुरू हो गई। 12 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल दस्तावेजों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक एक लाइफफे में नामांकन बांड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालाँकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।

इसके बाद दिसंबर, 2019 में डेमोक्रेट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक आवेदन के लिए रोक लगाने की योजना बनाई। इसमें मीडिया ने बताया कि किस तरह के नामांकित बांड योजना को चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की योजना को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी।

इस सुनवाई के दौरान पूर्व सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि मामले की सुनवाई जनवरी 2020 में होगी. चुनाव आयोग की ओर से जवाबी कार्रवाई के लिए सुनवाई फिर से जारी की गई। इसके बाद से अभी तक इस मामले पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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