चुनावी बांड के जरिए पार्टियों को चंदा 10 गुना बढ़ा | सीक्रेट रिकॉर्ड से स्टॉक फंडिंग, 77% चंदा इसी से मिल रहा है

नई दिल्ली37 मिनट पहले

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इलेक्टोरल बॉन्ड के सीक्रेट रूट रिकॉर्ड्स को विशेष चंदे के लिए जारी किया जा रहा है। इसके दो कारण हैं, पहला-बॉन्ड में दानदाता के गुप्त निवास की पहचान है, दूसरा-चंदे की नकद की कोई सीमा नहीं है।

2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड आने के बाद से पॉलिटिकल को चंदे की लगभग 77% नैट से मिल रही है। चेक और डोनेशन के अन्य खुले माध्यमों से चंदा लगातार कम हो रहा है।

2018-19 में 20 हजार से ज्यादा के 3491 करोड़ रुपये के चंदे में से 2539 करोड़ (73%) बॉन्ड से मिले। वर्ष 2019-20 में 77% और 2021-22 में 2665 करोड़ (77%) इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक रूप से हासिल हुआ।

दिल्ली-मुंबई सहित पांच शहरों से बड़ा चंदा
राजनीतिक अनैतिकता आयोग द्वारा चुनावी आयोग को सौपी गई बेंचमार्क रिपोर्ट के तहत अज्ञात संस्थाओं द्वारा चुनावी बांड के जरिए एक करोड़ रुपये का चंदा लेने का मामला सामने आया है। पांच बड़े शहरों मुंबई, कोलकाता, श्रीनगर, चेन्नई और नई दिल्ली से बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा दिया जा रहा है।

चुनाव आयोग के 2013-14 में वार्षिक औसत रिकॉर्ड चंदा 224 करोड़ रुपये था, जो पिछले पांच वर्षों के अनुसार लगभग दस गुना बढ़ा 2,171 करोड़ रुपये हो गया। जबकि 2004 से 2012 तक रिकार्ड चंदे का वार्षिक औसत 47 करोड़ रुपये ही था।

इलेक्टोरल बॉन्ड से पहले देश में राजनीतिक चंदा कैसे दिया गया था?
पहले आर्किक्स से पॉलिटिकल प्रोटोटाइप को चेक से दिया जाने वाला चंदा का वार्षिक नामांकन लिस्टेड हुआ था। उद्यम चुनाव आयोग को दाता का नाम और प्राप्त राशि का वर्णन था। ऐसे में आम तौर पर चेक से बड़ी नकदी का चंदा किराए पर लिया जाता था। पहले बड़े प्रमुख ऑर्केस्ट्रा को लगभग बराबर ही चंदा देते थे।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होता है, और ये चंदे के रूप में कैसे काम करता है?
बांड बांड एक प्रोमिसरी नोट (वचन-पत्र) अर्थात करंसी नोट के समान होता है। बॅडील आइजेल को देता है। इस बॉन्ड पर अनमोल का नाम नहीं है। निकटतम इसे किसी पार्टी को देता है। पार्टी बांड को आपके सहयोगियों के खाते में जमा किया जाता है। ये बांड उसी दिन क्रेडिट हो जाता है।

बॉन्ड के बाद क्या बदलाव हुए?
बॉन्ड अब चलन में है। क्योंकि डोनर की पहचान केवल एसबीआई और राजनीतिक पार्टी ही है। छात्रवृत्ति पर बांड से प्राप्त कुल नकद को चुनाव आयोग को शामिल किया जाता है लेकिन दानकर्ता का नाम नहीं बताया जाता है। कुछ उद्योग अब भी चेक या डिजिटल पोस्ट करते हैं, लेकिन बॉन्ड की तुलना में ये राशि कम होती है।

इलेक्टोरल ट्रस्ट भी जरिया, क्योंकि इसमें भी रिकॉर्ड की पहचान नहीं हो पाती
इलेक्टोरल बॉन्ड के साथ-साथ इलेक्टोरल चंदा का एक और इनडायरेक्ट रूट इलेक्टोरल ट्रस्ट है। इसका उपयोग भी किया जाता है। बड़े पैमाने पर पर्यटक आकर्षण अन्य पुरातात्विक से डोनेशन लेते हैं और फिर राजनीतिक जीव-जंतुओं को देते हैं। ये चंदा पुरातात्विक दान के रूप में दर्ज है। ट्रस्ट एक समाज के रूप में रूढ़िवादी वामपंथी चंदा देते हैं, किसी भी मान्यता की पहचान नहीं होती है।

चुनाव आयोग के अनुसार 2021-22 में ट्रस्ट के माध्यम से 78% डोनेशन इंटरमीडिएट को मिलाया गया। 2017-18 से 2021-22 के दौरान रेटिंग ट्रस्ट से 50% डोनेशन दिया गया। आसान शब्दों में प्रत्येक 100 रुपए के इलेक्ट्रॉनिक डोनेशन में 66 रुपए के इलेक्टोरल बांड और 17 रुपए के इलेक्टोरल ट्रस्ट से दिए गए हैं।

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