चीन सेना सैन्य बेस अद्यतन; लद्दाख | अरुणाचल प्रदेश | अविश्वास से नामांकित सीमा पर गांव बसाने के नाम पर चौकियां बनाई गईं; इनका खर्च 34,400 करोड़

नई दिल्ली13 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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यूक्रेन की सीमा से लगा ये गांव चीन ने 2021 में बसाया था।  चीन ने ऐसे और भी कई गांव बसाए हैं।  - दैनिक भास्कर

यूक्रेन की सीमा से लगा ये गांव चीन ने 2021 में बसाया था। चीन ने ऐसे और भी कई गांव बसाए हैं।

चीन की सेना ने आतंकियों से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के उस पार गांव बसाने के नाम पर सैन्य अड्डे का नाम रखा है। इस तरह से बनाई जा रही है कश्मीर की इन्फ्रा असेंबली, जिसका इस्तेमाल सैन्य ठिकानों के रूप में किया जा सकता है। राजस्थान में निर्मित वॉच टावर, बड़े वेयर हाउस और कॉन्सक्रिट के रेस्टॉरेंट ओरिजिनेशन करते हैं। एलएसी की रखवाली से जुड़ी सुरक्षा ट्यूटोरियल ने इस बारे में केंद्र सरकार को विस्तृत जानकारी दी है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चीन के पास 3,488 किमी लंबी एलएसी के पास ‘सियाओकांग’ नाम से 628 गांव बसा हैं। सियाओकांग का मतलब चीनी भाषा में ‘समृद्ध’ होता है। इनमें से ज्यादातर गांव उत्तराखंड, खंड और अरुणाचल प्रदेश से लगे सीमा के पास हैं। इनमें निगरानी चौकियां, स्टोरेज और हेलीपैड जैसे सामान बनाए गए हैं।

चीन के जवाब में भारत की ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’
भारत ने वाइब्रेट विलेज योजना बनाई है। इसके तहत 2,900 जोड़े जाएंगे। सभी गांव एलसी पर हैं। वहाँ इन्फ्रा इलेक्ट्रिक डेवलप का निर्माण चीनी क्षेत्र के खंडों में कठिन है। इसलिए सरकार उन को आकर्षित करती है, जहां से पलायन हुआ है। ऐसे ज्यादातर गांव उत्तराखंड में हैं। फिर से बसाना भी वाइब्रेंट विलेज योजना का हिस्सा है।

भारत ने अनाम से 17 को जीवंत गांव बनाने की योजना बनाई है।  चित्र अरुणाचल प्रदेश के जेमिथांग गांव का है।

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चीन ने हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ा
भारत के सुरक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि चीनी सेना शांतिकाल के दौरान इन पर निगरानी चौकियों के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। जबकि सैन्य शत्रुता की स्थिति में इन रेगिस्तान को पूर्व छावनियों की तरह इस्तेमाल किया गया। ख़ास बात यह है कि इन दुकानदारों को पक्की चॉकलेट से जोड़ा गया है। उत्तर, मध्य और पूर्वी सेक्टर में सड़कें बनाने का काम तेजी से चल रहा है।

नए गांव बसाने का खर्च 34,400 करोड़ रु.
सुरक्षा शिक्षा की जानकारी के अनुसार, चीन ने नए गांव बसाने पर 30 अरब युआन यानी करीब 34,400 करोड़ रु. खर्च किये गये। इसके अलावा इसमें रहने वाले लोगों को विशेष सब्सिडी भी दी जा रही है, जो 55,000 से 85,000 रु. भाग है।

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