रामराम7 मिनट पहले
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चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरा था। इसके साथ ही भारत चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बना था।
चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट माउंटमेंट भारत ने इतिहास रचा है। भारत के इस कर्मचारी का लोहा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी माना है। इसरो प्रमुख एस.एस.सोम ने बताया कि नासा के पास भारत के लिए प्रौद्योगिकी वर्जित है।
जब हमने चंद्रयान-3 विकसित किया तो NASA-JPL (जेट प्रपुल्शन लेबो रेटरी) के हिस्से को बुलाया गया। ये वैज्ञानिक दुनिया के कई डिजाइन और कई कठिन मिशनों को अंजाम दे चुके हैं।
NASA-JPL से 5-6 लोग इसरो हेडक्वॉर्टर आए थे। हमने उनसे पूछा कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर नरम लैंडिंग कैसे होगी। हमने उन्हें अपना डिज़ाइन समझाया। ये भी बताया कि हमारे इंजीनियरों ने इसे कैसे बनाया। इन सभी बातों को सुनकर वे इतने ही बोले, नो कमेंट्स। सब कुछ अच्छा ही होने वाला है।
सोमन ने ये बातें रविवार 15 अक्टूबर को डॉ. राम राम को बताईं। एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन का एक कार्यक्रम कहीं और। उन्होंने कहा- भारत एक साहित्यिक देश है. हमारा ज्ञान और स्टाफ़ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है।

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चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 41वें दिन अर्थात 23 अगस्त को चंद्रमा पर होगा। इसी के साथ भारत मून के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया। इसरो के प्रमुख एस एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 के साउथ पोल पर उतरने के बाद कहा- पीएम सर नमस्कार। हमने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। इंडिया इज ऑन द मून। चंदा मामा दूर के नहीं, अब घर के। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 35 मिनट में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। 22 दिन बाद 5 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में प्रसारित हुआ। पूरी खबर पढ़ें…
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चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर पहुंच के पंचमी दिवस (28 अगस्त) को दूसरा ऑब्जर्वेशन भेजा। ऐसा कहा जाता है चांद के साउथ पोल पर। इसके अलावा चांद की सतह पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, प्लाज्मा की भी जांच की जाती है। इसरो के मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी मौजूद हैं, जबकि इंडिपेंडेंट की खोज जारी है। प्रज्ञान रोवर पर लगे लिब्स पेलोड ने ये खोज की। पूरी खबर पढ़ें…