गर्ग चटर्जी सुरक्षा याचिका; पश्चिम बंगाल एक्टिविस्ट बनाम सुप्रीम कोर्ट | फॉक्सवैगन को मोती चमड़ी वाला होना चाहिए: पश्चिम बंगाल के एक पॉलिटिकल टिप्पणीकार की याचिका पर SC की टिप्पणी; कहा- जजों पर भी ये बात लागू

नई दिल्ली17 मिनट पहले

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पश्चिम बंगाल के राजनीतिक टिप्पणीकार गर्ग चटर्जी की सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 30 जनवरी को कहा कि आरोपियों को मोती चमड़ी वाला होना चाहिए। 2020 में असम के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची थी, जिसके बाद असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने अपने सहयोगियों के आदेश दे दिए थे।

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संजय कैरोल की बेंच ने कहा कि उन दिनों जजों को भी इन किरदारों और बदलावों में उनके खिलाफ गए जेल पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हम उनकी बात सिद्धांत शुरू कर देंगे तो काम नहीं कर पाएंगे।

गर्ग चटर्जी पॉलिटिकल टिप्पणीकार और बंगाल एक्टिविस्ट हैं।  2020 में असम के अहोम राजवंश के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी की गई थी।

गर्ग चटर्जी पॉलिटिकल टिप्पणीकार और बंगाल एक्टिविस्ट हैं। 2020 में असम के अहोम राजवंश के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में गर्ग चटर्जी की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ अग्रवाल और आशुतोष जोसेफ ने बेंच से कहा कि चटर्जी ने सार्वजनिक रूप से अपने कमेंट्स में माफी भी मांगी थी। अब उनके खिलाफ सभी एफआईआर दर्ज कर दूसरे राज्य में जांच की मांग की जा रही है, ताकि केसर की जांच हो सके।

असम के राजा को चीनी अक्रमणकारी कहा गया था

गर्ग चटर्जी ने जून 2020 में सोशल मीडिया पर असम के पहले राजा सुकाफा और उनके अहोम राजवंश के स्कॉटलैंड पर टिप्पणी की थी। उन्होंने सुकाफा को चीनी अक्रमणकारी बताया था। इसके बाद उनके खिलाफ असमंजस और पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। हालाँकि 19 अगस्त, 2020 को उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफ़ी भी माँगी थी।

2022 में चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया था

माफ़ी के बाद भी लोग उनके खिलाफ़ चैट के केस करते रहते हैं। ऐसे में असम की एक अदालत ने उनके खिलाफ दो बार गिरफ़्तारी जारी की थी। इसके बाद 2022 में कोलकाता पुलिस ने चटर्जी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था। हालाँकि उन्हें कुछ शर्तो पर ज़मानत दी गई थी।

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