कोलकाता दुर्गा पूजा पंडाल थीम नवरात्रि 2023 | कोलकाता में 2000 का स्थान; थीम इतनी ओरिजिनल, जो किसी भी तरह से विरोधाभासी नहीं है

कोलकाता4 मिनट पहलेलेखक: मोहन कृष्ण तिवारी

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कोलकाता में 6 ट्रक मेगा से बना दुर्गा उत्पाद, फोटो- संदीप नाग - दैनिक भास्कर

कोलकाता में 6 ट्रक मेगा से बना दुर्गा उत्पाद, फोटो-संदीप नाग

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में दुनिया का सबसे बड़ा त्योहार दुर्गा पूजा शुरू हो गई है। यहां सड़क, घर, पार्क से लेकर पूरा शहर कला और भक्ति के कान्सास में समाप्त हो गया है।

200 सागर की तरह ही गंगा नदी के किनारे तीन किनारे इलाके में फल कुम्हार टोली के मूर्ति कलाकार मां की प्रतिमा गढ़ रहे हैं।

अब इस प्लेस प्री-वेडिंग शूट से लेकर शूट के एक डेस्टिनेशन में बदलाव का भुगतान किया गया है। यहां की तंग सब्जियों में हजारों ब्लॉगर्स जमा हैं।

दुर्गापूजा के लिए 2000 का सामान, 200 बेहद भव्य
कोलकाता में 500 साल पहले पूर्णिमा पूजा शुरू हुई थी। 20वीं सदी की शुरुआत तक ये संस्कृति बन गई। 21वीं सदी में यहां थीम बेस्ड कॉस्ट का दौर शुरू हुआ। यह काम का सार यह है कि किसी के डिजाइन में किसी अन्य वस्तु से कोई आपत्ति नहीं है। इस बार 2000 में प्रोडक्ट्स बने हैं। इनमें 200 से ज्यादा बड़े हैं, जिन्हें मिलाकर बनाने में 1 करोड़ से ज्यादा की लागत आती है।

कोलकाता में 80% मूर्तियां चाइना पॉल की हैं

करीब 2000 मूर्ति कलाकारों के बीच चीन पॉल मां की मूर्ति को फाइनल टच दे रही हैं। बमुश्किल बातचीत के लिए सहमत होते हैं। वो यहां की पहली महिला मूर्तिकार हैं। उनका कहना है कि 30-32 साल पहले बाबा की बीमारी के बारे में उनकी किताब पर घर की विरासत की जिम्मेदारी बताई गई थी।

आज चीन पाल की दुनिया में है पहचान। चीन के सिद्धांतों में भी उनके आदर्श हैं। उनके संघर्ष का जीवंत उदाहरण आज कुम्हार टोली में 15 महिला कलाकार हैं। कोलकाता में 80% से ज्यादा मूर्तियां इस्तेमाल होने वाली हैं।

पूजा समितियां की थीम कैसे तय होती हैं…
इस बारे में देशप्रिया पार्क से जुड़े रूप कुमार कहते हैं कि दुर्गा की पूजा का काम साल भर चलता है। दशमी को विसर्जन के दो सप्ताह बाद से ही प्रतिभागी थीम और रसायन लेकर आते हैं। समिति के लोग बजट के खाते से स्वीकृत होते हैं। कुछ समितियां अपनी-अपनी थीम बताती हैं।

समितियां थीम एक दिलचस्प बात करने के साथ ही प्रायोजकों की तलाश करती हैं। स्पॉन्सर के एक-दो ग्रुप में होर्डिंग्स मौजूद हैं। पूरे शहर की सड़कों पर होर्डिंग्स से झंडे गाड़े जाते हैं। उद्यम का काम इतना बड़ा है कि ख़त्म होने के दो महीने बाद ही श्रमिक कार्यशाला में काम शुरू कर देते हैं।

फिर पूजा से तीन से चार महीने पहले ही अंतिम स्थल पर काम शुरू हो गया है। एक प्रस्तावित में 100 तक कामगार काम करते हैं। यह अनपेक्षित रूप से स्वीकृत है।

ऐसा ही कुछ… सुबह 4 बजे चंडी पाठ से शुरुआत, 93 साल से हो रहा रेडियो टेलीकास्ट
कोलकाता में मां के आगमन के साथ ही पूरे शहर, मंदिर और घर-घर में सुबह 4 बजे से हो रही मां चंडी पाठ देवलोक सा का एहसास करा रही है। 10 दिन तक लोगों की सुबह महिषासुर मर्दिनी पाठ से होगी।

कोलकाता में एक रेडियो रिपेयरिंग शॉप जहां थोक रेडियो सुराजाने के लिए रहते हैं।

कोलकाता में एक रेडियो रिपेयरिंग शॉप जहां थोक रेडियो सुराजाने के लिए रहते हैं।

स्थानीय टीवी पर सुबह 4 बजे से सरदार शुरू हो जाते हैं। आज भी लोग इसे रेडियो पर सुनना ही पसंद करते हैं। आकाशवाणी 1931 से बीरेंद्र कृष्ण भद्र की आवाज में चंडी पाठ का प्रसारण हो रहा है।

लोकप्रियता का आकार ऐसा ही लग सकता है कि यहां रेडियो की दुकान पर सुराजाने में सैकड़ों पुराने रेडियो आते हैं।

बदलाव… 5 नहीं, अब 10 दिन तक का जश्न
पहले यह उत्सव षष्ठी से दशमी तक पांच दिन तक चला था, लेकिन त्योहारों का शुभारंभ अब राष्ट्र से पहले ही हो रहा है। इसका कारण यह है कि लोग अधिक से अधिक पूजा फर्नीचर देखते हैं।

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