कोरोनावायरस वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स; कोविड-19 से अचानक हुई मौतों पर आईसीएमआर रिपोर्ट | इनके लिए फ्रैंचाइज़ी, हॉस्पिटल, अल्कोहल-ड्रग्स और इंटेंस पोर्टफोलियो जिम्मेदार हैं

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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इंडियन ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक अध्ययन में दावा किया है कि देश के बच्चों में कोविड-19 वैक्सीन लेने से अचानक संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ा है।

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, कोरोना के दौरान अस्पतालों में भर्ती होना, अचानक होने वाली आतंकवादी फिल्मों की श्रृंखला और कुछ लाइफस्टाइल युक्तियों के साथ अचानक होना शुरू हो गया है।

इन लाइफस्टाइल सिद्धांत में मृत्यु से 48 घंटे पहले तक कांस्टेंट अल्कोहल, पदार्थ या किसी और नशीले पदार्थ का सेवन करना और 48 घंटे पहले मृत्यु से अलग-अलग तरीकों के इरादे से दवा गतिविधि करना शामिल है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लेने से लोगों में ऐसी अचानक सर्जरी का जोखिम कम हो सकता है।

डेढ वर्ष 47 में एक अध्ययन किया गया
ये रिसर्च 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच यूनेस्को की 47 बड़ी कंपनियों में शामिल है। अध्ययन में 729 केएस और 2,916 नियंत्रण शामिल थे। इस स्टडी में 18 से 45 साल के उन लोगों पर फोकस किया गया जो स्वस्थ थे और जिन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं थी, इसके बावजूद अज्ञात लोगों की अचानक मौत हो गई।

अध्ययन में सामने आया कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो खुराक ली थी उनमें अचानक मौत की आशंका कम थी, जबकि एक खुराक लेने वाले में अचानक मौत की आशंका थोड़ी कम थी।

भारत ने वैक्सीन टोकन से 34 लाख से अधिक की कीमत चुकाई – स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी
फरवरी में स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि भारत में कोरोना काल में बड़े स्तर पर नेशनल वैक्सीन टोकन टोकन 34 लाख से ज्यादा का आंकड़ा सामने आ रहा है। वैक्सीन की अर्थव्यवस्था भी संभली और बुरा असर कम हुआ, जिससे 18.3 अरब डॉलर (15.17 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ।

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कोरोना महामारी का साइड इफेक्ट अब तक सामने आ रहा है। कम उम्र में आने वाले हार्ट अटैक के पीछे कोरोना का हाथ बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कोविड से गंभीर रूप से बीमार पड़े लोगों को एक-दो साल तक का सीक्वल मेहनत वाला काम या मुख्य लक्ष्य न करने की सलाह दी है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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