कोई विकसित भारत संकल्प यात्रा नहीं| 5 दिसंबर तक चुनाव वाले राज्य| मतदान निकाय | इलेक्शन कमीशन का केंद्र को निर्देश, सरकार बोली- हम पालन करेंगे

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नई दिल्ली20 मिनट पहले

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इलेक्शन कमीशन ने गुरुवार को केंद्र सरकार को नासिक, राजस्थान में विकसित भारत संकल्प यात्रा के निर्देश दिए। इसके लिए कमीशनखोरी ने एक पत्र लिखा है।

आयोग के केंद्र का कहना है कि 5 दिसंबर तक जहां आचार संहिता लागू हो, वहां ये यात्रा नहीं की जाएगी। इस पर सरकार ने कहा कि हम इस निर्देश का पालन करेंगे।

बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनावों की घोषणा हो चुकी है। इन राज्यों में नवंबर में अलग-अलग तारीखों पर मतदान होगा और नतीजे तीन दिसंबर को घोषित किये जायेंगे।

20 नवंबर से शुरू होगी यात्रा
केंद्र सरकार ने देश भर में ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ का फैसला लिया है, जो 20 नवंबर से शुरू होगी और अगले साल 25 जनवरी तक चलेगी। यह यात्रा देश की 2.7 ग्राम लाख करोड़ रुपये में होगी। इस दौरान सभी 765 वरिष्ठ अधिकारियों को रथ प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया। यात्रा में केंद्र सरकार की मंजूरी का फायदा आम जनता तक की मंजूरी मिलेगी।

यह पत्र भारत सरकार के अधीनस्थ सलाहकार जेएस आमिर ने मुख्य आयकर आयुक्त के रूप में लिखा है।

यह पत्र भारत सरकार के अधीनस्थ सलाहकार जेएस आमिर ने मुख्य आयकर आयुक्त के रूप में लिखा है।

पीएम मोदी ने बताया 6 महीने का समय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 महीने में सभी लोगों तक सरकारी मंजूरी को लाभ का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए ही विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाली जाएगी। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने गोदाम के गोदाम से यह जानकारी दी है।

यात्रा में लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), राष्ट्रीय ग्रामीण अनाज योजना, राष्ट्रीय किसान योजना, फसल बीमा योजना, पोषण अभियान, ताजिया योजना, आयुष्मान भारत, जनऔषधि योजना, श्रमिक योजना और गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ दिया जाएगा।

खड़गे बोले – सरकारी वैधता का मिथक हो रहा है
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 22 अक्टूबर को मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार पर देश की सरकार पर मिथक बनाने का आरोप लगाया। खड़गे ने दो पन्ने के लेटर में लिखा- निदेशालय (ईडी) के अलावा सचिवालय विभाग और सीबीआई पहले से ही भाजपा के चुनाव विभाग के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन सरकार के 18 अक्टूबर वाले आदेश में पूरी तरह से सरकारी दस्तावेजों को ऐसे काम पर रखा गया है। दिया है, जैसे कि वे कूड़ेदान दल के एजेंट हैं। लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जरूरी है कि मुसलमानों और सशस्त्र सेनाओं का राजनीतिकरण ना किया जाए।

उद्यमों और सैनिकों को राजनीति से दूर रखें
खड्गे ने रक्षा मंत्रालय की ओर से 9 अक्टूबर को आदेश का भी त्याग कर दिया, जिसमें सैनिकों को सरकारी मंजूरी के प्रचार-प्रसार में समय की छूट देने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि अगर सैनिक कई महीने या एक साल की मेहनत के बाद घर चले गए हैं तो उन्हें अपनी छुट्टी आजादी से रहने का हक है।

राजनीतिकों के लिए उनकी विचारधारा का मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए। सिविल सेवकों और सैनिकों दोनों को ही राजनीति से दूर रखा गया है, खासकर पिछले महीनों में चुनाव से। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

प्रतीक चिन्ह- यह शासन का मूल सिद्धांत है
खड़गे के पत्र में कहा गया है कि बीजेपी के अध्यक्ष जरनिप पार्टिसिपेंट ने कहा- मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी को जन-जन तक की मंजूरी मिलने से लोकसेवकों को क्या परेशानी है। यह तो शासन का मूल सिद्धांत है, कांग्रेस इसके बारे में नहीं बताती?

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