कॅब्यूनर45 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केरल के एक कॉलेज में प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में मुख्य और अंतिम बैचलर सावद को बुधवार (10 जनवरी) को गिरफ्तार कर लिया। वह 13 साल से ज्यादा समय से लड़खड़ा रही थी। एनआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि 10 लाख करोड़ रुपये का अवैध घोटाला हुआ था।
एजेंसी के लगातार प्रयास के बाद रविवार सुबह उसे उत्तरी केरल के कम्बलर जिले के मट्टनूर से पकड़ लिया गया।
पीड़ित प्रोफेसर टीजे जोसेफ। शिष्यों ने सर्जरी करके अपना हाथ जोड़ा था। -फाल फोटो
घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीड़ित प्रोफेसर जोसेफ ने कहा कि मुख्य अनाथालय से उनका कोई मतलब नहीं है। उनका अब भी मानना है कि उन हमलों के पीछे के मास्टरमाइंड अभी भी दोस्त बने हुए हैं। कौन से मुख्य अपराधी हैं। उन तक जांच एजेंसी नहीं है। यह बताता है कि हमारे कानूनी सिस्टम में अभी भी कमी है।
प्रोफेसर ने कहा कि आपराधिक पुलिस के लिए राहत की बात हो सकती है, लेकिन इस मामले में उनकी भर्ती में कोई और व्यक्ति भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस बात पर विश्वास नहीं करते कि किसी भी सांस्कृतिक अपराध या दण्ड से किसी भी तरह की धार्मिकता को न्यायसंगत माना जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि वह क्या स्वाद को पहचान सकता है, जोसेफ ने कहा कि हां क्योंकि उन्हें अभी भी हमला याद है।
पहले मामला जान लेते हैं
यह घटना 4 जुलाई 2010 को एर्नाकुलम जिले के मुवत्तुपुझा में हुई थी। प्रोफेसर जोसेफ अपने परिवार के साथ चर्च से घर लौट रहे थे। रास्ते में पीएफआई के 7 सदस्यों ने अपनी गाड़ी रोकी और प्रोफेसर को गाड़ी से बाहर खींच लिया।
सातों ने अपने यहां काम किया और फिर मुख्य सुपरमार्केट ने अपने बाएं हाथ का पंजा काट दिया। हालांकि डॉक्टरों ने सर्जरी करके पंजा जोड़ दिया था।
प्रोफेसर जोसेफ इडुक्की जिले के थोडुपुझा स्थित न्यूमैन कॉलेज में तैनात थे। उन्होंने बीकॉम सैंपल परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र बनाया था। आरोपी का आरोप था कि प्रश्न पत्र में कथित तौर पर एक धर्म विशेष के खिलाफ़ धार्मिक स्थल का आरोप लगाया गया था। इसी कारण से हमलावर जोसेफ को पीटा जाना था।
हमलों के दो महीने बाद जोसेफ की नौकरी चली गई। उनकी पत्नी का 2014 में निधन हो गया था। पत्नी की मृत्यु के कुछ दिन बाद ही जोसेफ ने कॉलेज में फिर नौकरी पर रख लिया। चंद दिनों बाद 31 मार्च 2014 को वे चले गए।
13 को दोषी ठहराया गया
शुरुआत में केरल पुलिस ने 54 लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन अप्रैल 2011 में एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने जांच शुरू की। उसने अनपेक्षित रूप से 37 लोगों को अस्पताल बनाया था। इनसे 31 पर मुकदमा चला।
पहले चरण में 2015 में एनआईए कोर्ट ने इसी मामले में 13 लोगों को दोषी ठहराया था। शेष 18 को जन्म दिया गया था।
3 आदर्श को उम्रकैद की सजा हुई
13 जुलाई 2023 को केरल की एनआईए कोर्ट ने मामले में 3 दोषी साजिल, नसर और नजीब को उम्रकैद की सजा सुनाई। बाकी तीन मानक- नौशाद, पी पी मोइदीन कुन्हू और अयूब को तीन साल की सजा सुनाई गई थी। मूलनिवासी को शरण दी गई थी। बेशुमार पर कुल 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट ने यह पैसा पीड़ित को दिया था।
सा कोजिल पर हमला करने और उसकी साजिश रचने, हत्या की कोशिश और विस्फोटकों के इस्तेमाल के अपराध के लिए 10-10 साल की सजा का भी प्रावधान किया गया था।
नसर और नजीब को भी हत्या की कोशिश और हथियारों के इस्तेमाल के जुर्म में 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी।
फैसले के बाद जोसेफ ने कहा था कि उन्हें 13 साल पहले ऐसा लगा कि उनका जीवन नष्ट नहीं हुआ। हाँ जीवन में कुछ बदलाव आये और उनका नुकसान हुआ। उन्होंने अपने शिष्यों के प्रति भी सहानुभूति व्यक्त की।
ये खबर भी पढ़ें…
प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में 3 साल की उम्र में एनआईए कोर्ट ने किया हमला, पीड़िता ने कहा- मुझे माफ कर दिया
केरल की एनआईए कोर्ट ने प्रोफेसर का हाथ काटने के मामले में 3 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले में रविवार को 6 लोगों को दोषी ठहराया गया था। जस्टिस अनिल के भास्कर ने साजिल, नसर और नजीब को उम्रकैद की सजा सुनाई। पढ़ें पूरी खबर…