केरल उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी को आईवीएफ उपचार कराने के लिए पैरोल दी | उच्च न्यायालय ने आईवीएफ परीक्षण के लिए पैरोल दी, कहा- हर किसी को जीने का अधिकार का सम्मान

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कोच्चिएक घंटा पहले

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केरल उच्च न्यायालय ने कैदी को 15 दिन की पैरोल दी है।  - दैनिक भास्कर

केरल उच्च न्यायालय ने कैदी को 15 दिन की पैरोल दी है।

केरल उच्च न्यायालय ने इन विट्रो फर्टिलजाम (आईवीएफ) का इलाज शुरू करने के लिए प्रतिभागी की सजा पाए एक अवशेष को पैरोल का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा- हर किसी को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। इसलिए कोर्ट, कैदी को कम से कम 15 दिन की पैरोल मिलती है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेल पर दो हफ्ते के अंदर कार्रवाई की जाए।

तीन महीने से भटक रही थी कैदी की पत्नी
कैदी के जेल से बाहर आने का मामला पिछले तीन महीनों से चल रहा है। पत्नी ने अस्पताल की तरफ से जारी डॉक्यूमेंट्री लेकर जिले में पैरोल की दवा रखी थी। हालाँकि तब सरकारी वकील ने कोर्ट से पैरोल न देने की अपील की थी।

इसके बाद उच्च न्यायालय के एसोसिएट्स और उन्होंने बताया कि आईवीएफ उपचार के लिए तीन महीने के दौरान उनके पति का बाहर आना जरूरी है। जस्टिस पीवी कुंहिकृष्णन ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों में यह देखा जाना चाहिए कि पैरोल की डिक्री में कितनी सच्चाई है।

कोर्ट ने कहा- डीलों पर आंखें मूंद नहीं सकते
हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक मामले में इंटेलीजेंस के आधार पर विचार किया जाए। अदालत ने आदेश जारी करते हुए पूछा कि वह तकनीकी आधार पर कैसे काम कर सकती है। सज़ा के बाद जो लोग बाहर आते हैं उन्हें समाज के हिस्सों के रूप में देखा जाना चाहिए। जिस व्यक्ति को जेल की सजा दी गई है और रिहा किया गया है, उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

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