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- केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए 30 मार्च 2024 तक तैयार होने की उम्मीद है
कोलकाता43 मिनट पहले
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उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद अजय मिश्रा ने उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय को चिन्हित कर रहे थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा ने रविवार 26 नवंबर को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी सीएए का फाइनल ड्राफ्ट अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के नेता उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय को निशाना बना रहे थे।
इस दौरान अजय ने कहा कि कोई भी मतुआ समुदाय से नागरिकता का अधिकार नहीं छीन सकता, जो बांग्लादेश में धार्मिक प्रसार के कारण भाग गए थे।
31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले बौद्ध, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहता है।
CAA के पहले भारतीय नागरिकता के लिए 11 साल भारत में जरूरी था, इस समय को 1 से 6 साल कर दिया गया है।
अजय ने कहा- अगले साल तक लागू होने की उम्मीद है
अजय ने कहा कि पिछले कुछ समय से सीएए को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। कुछ इंस्टालेशन को लेकर सहमति बनी हुई है। कोई भी मतुआ लोगों से नागरिकता का अधिकार नहीं छीन सकता। अगले साल मार्च तक जिप का फाइनल ड्राफ्ट तैयार होने की उम्मीद है। उसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। इस दौरान वे स्थानीय भाजपा समाजवादी और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के साथ थे।
टीएमसी का दावा- बंगाल में CAA लागू नहीं होगा
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के दावे में कहा गया है कि टीएमसी के अल्पसंख्यक समुदाय के नेता शांतनु सेन ने कहा कि बीजेपी को केवल चुनाव के दौरान मतुआ और आदिवासियों की याद आती है। भगवा पार्टी पश्चिम बंगाल में कभी भी लागू नहीं कर सकती। बीजेपी के दावे के मुताबिक मतुआ और बाकी जनता के सामने साफा हो गए हैं। अगले साल के चुनाव में भगवा पार्टी को हार का मुंह देखना चाहिए।
CAA कानून बना तो मूल रूप से इसका विरोध हुआ। दिल्ली का रॉयल बाग़ नेशनल लॉ के विरोध से जुड़े आंदोलन का केंद्र बिंदु था।
दोनों सदनों का इस तरह हुआ निधन बिल
11 दिसंबर 2019 को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीएबी) के पक्ष में 125 और विपक्ष में 99 वोट पड़े थे। अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। मूल में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों के पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। इसे राइटर अमित शाह ने 9 दिसंबर को कॉम में पेश किया था।
1955 के कानून में किये गये बदलाव
2016 में सिकायत संशोधन फैक्ट्री 2016 (CAA) पेश किया गया था। 1955 के कानून में कुछ बदलाव किये गये। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम आबादी को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति का पास भेजा गया। समिति ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट दी थी।
विरोध में गाली-गलौज में 50 से ज्यादा बार देखा गया
लोकसभा में पहले भी ये बिल विवाद था, लेकिन जब ये कानून बना तो इसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया। दिल्ली के कई इलाक़ों में प्रदर्शन हुए। 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के जमावड़े के बाद भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों में दहशत हो गई।
दिल्ली के करीब 15 देशों में दंगे भड़के। कई लोगों की हत्या हुई, कई लोगों पर चाकू-तलवार जैसे रिज़ॉर्ट पर हमला किया गया। इनमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।