नई दिल्ली36 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने वकीलों की ओर से बार-बार ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कहे जाने पर लोर्डिस्ट को बुलाया। दरअसल, कोर्ट में गुरुवार को एक नियमित मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जस्टिस एएस बोपन्ना के साथ बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी बैठे थे। इस दौरान एक वरिष्ठ वकील उन्हें बार-बार ‘मे लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कह रहे थे।
तब जस्टिस नरसिम्हा ने सीनियर वकालत से कहा था कि आप बहुत बार ‘मे लॉर्ड्स’ की वकालत करते हैं। यदि आप यह कहते हैं बंद कर देंगे, तो मैं आपको अपनी अर्ध-आपूर्ति वेतन दे दूंगा।

जस्टिस नरसिम्हा ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि वे ‘मे लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ की जगह सर शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में किसी मामले में बहस के दौरान जजों को हमेशा मेम लॉर्ड या योर लॉर्डशिप का खुलासा किया जाता है। इसका विरोध करने वाले बार-बार इसे औपनिवेशिक युग के स्ट्राइक और गुलामी की निशानी कहते हैं।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, आप लॉर्ड्स को बंद न करें तो वे गिनाना शुरू कर देंगे कि आप लॉर्ड्स को कितनी बार कहेंगे।
काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक प्रस्ताव पारित किया था
2006 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें निर्णय लिया गया था कि कोई भी वकील जजों को लॉर्ड और योर लॉर्डशिप में शामिल नहीं किया जाएगा। यह निर्णय भारत के राजपत्र में प्रकाशित हुआ।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2006 में राजपत्र में अधिसूचना जारी करने के बाद नियमों का पालन करने की गुज़ारिश की थी। वकालत अधिनियम 1961 के नियम 49((1)(जे)) के अनुसार सुनवाई के दौरान वकीलों द्वारा ‘मे लार्ड’ और ‘योर लार्डशिप’ की जगह ‘योर ऑनर’ और ‘ऑनर डिविजनल कोर्ट’ शब्द का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। था.
लेकिन व्यवहार में इसका पालन नहीं किया गया। आज के वकील सुप्रीम कोर्ट में इन शब्दों का उपयोग करते हैं।
प्रोग्रेसिव एंड विजिलेंट लॉ इयर्स फ़ोर्ट्स ने पत्र लिखा था
चार सार पहले सुप्रीम कोर्ट प्रोग्रेसिव और विजिलेंट लॉयर्स फ़ोर्स ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, देश के सभी उच्च न्यायालय एसोसिएशन के प्रमुख न्यायाधीशों और जजों, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, सभी बार काउंसिल के अध्यक्षों, सभी बार को पत्र लिखा था.
फ़ोरम के सदस्य एडवोकेट संजीव भटनागर ने कहा है कि ब्रिटिश हाउस और सुप्रीम कोर्ट में इन मस्जिदों का उपयोग होता था। देश को आज़ाद हुए 75 साल हो गए हैं, इसके बावजूद प्रयोगशाला के परिचायक ‘मे लार्ड’ और ‘योर लार्डशिप’ का इस्तेमाल जारी है।
थ्री जजों ने बंद प्लास्टर लगाया था
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.अनामी भट्ट और न्यायमूर्ति मुरलीधर और चेन्नई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंद्रू ने अपने न्यायालय कक्ष के बाहर नोटिस बोर्ड पर आदेश जारी करते हुए कहा था कि उनकी अदालत में सुनवाई के दौरान किसी भी ‘माय लार्ड’ और ‘योर लार्डशिप’ का उपयोग नहीं किया जाएगा। न करें.