मुंबई32 मिनट पहले
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मीरां बोरवणकर 1981 बेक के अपराधी अधिकारी (रिटायर्ड) हैं। मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 में मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां की लुक-लाइन में फांसी दी गई थी।
पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरां बोरवणकर की किताब ‘मैडम कमिश्नर’ हाल ही में रिलीज हुई है। इस किताब में उन्होंने 26/11 मुंबई हमले के दोषी मोहम्मद अजमल कसाब के बारे में कई बातें बताई हैं। मीरां ने लिखा है कि कसाब को जेल में कभी भी बिरयानी नहीं दी गई। जब भी मैंने उनसे बात की तो वह चुप रह गई या फिर बस मुस्कुरा दी।
26 नवंबर 2008 को मुंबई हमला हुआ था। इसमें मोहम्मद अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था। 21 नवंबर 2012 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।
जेल में हाई इकोनोमिक रहता था
पुलिस वैर असिस्ट के बाद कसाब को आर्थर रोड जेल में रखा गया। कुछ दिन बाद उनका ट्रायल शुरू हो गया। जब मैं उनसे जेल में मिला तो हाई स्कूल वाली बराक में जाना हुआ। उसकी सुरक्षा के लिए इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की सुरक्षा की गई थी।
यह मुंबई की पुलिस से कहीं अधिक पेशेवर है। बैरक के बाहरी हिस्सों की सुरक्षा में आईटीबीपी से लेकर अलग-अलग हिस्सों में जेल की सबसे काबिल इकाइयां तैनात थीं। मैंने हमेशा उन्हें पेटेंट देखा।
अंतर्वस्तु-स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टर मना कर दिए गए
बोरवेनकर के अनुसार, कसाब के लिए वह एक वैज्ञानिक चिकित्सक था और उसके इलाज के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया जाता था। कसाब को कभी भी स्पेशल डिश नहीं बेची गई। वह खुद को गंतव्य में बिजी था। मैंने शुरुआत में उनसे बात करने की, कुछ सवाल पुतले की कोशिश की तो उसने या तो पहचान बनाई या मुस्कुरा दी। हालाँकि जेल के जादूगर ने बताया कि जब उसे पहली बार लाया गया था तो वह काफी गुस्से में था।
कसाब, पाकिस्तान के पॉकेटकोट के ओकारा में रहने वाला था। वह पाकिस्तान के ऑर्केस्ट्रा संगठन-ए-तैयबा से यात्रा पर गया था। उन्हें पाक के व्यवसाय वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी प्रशिक्षण दिया गया था।

पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरां बोरवणकर ने अपनी किताब ‘मैडम कमिश्नर’ के पेज नंबर 233 पर लिखा है कि कसाब को जेल में कभी भी बिरयानी नहीं दी गई।
फांग के लिए हर चीज पर ध्यान दें
मीरां लिखती हैं- एक बार सचिवालय के गृह मंत्री आरसी पाटिल ने मुझे पुणे के सर्किट हाउस में बुलाया और फांग की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया। इस दौरान पाटिल ने बताया कि कसाब की फांसी में दुनिया के कुछ देश शामिल हो सकते हैं।
इसके बाद मैंने दो अधिकारियों के नेतृत्व में एक टीम बनाई और पूरी योजना तैयार की, जिसमें योगेश और सुनील धूमकेतु अधिकारी शामिल थे। इससे पहले राज्य में तीस साल पहले फाँसी दी गई थी। कई जेलों में गंदगी भरी हुई थी, इसलिए कसाब की फांसी पर ध्यान दिलाया गया।
फ़ेज़ की जानकारी महाराष्ट्र के गृह मंत्री को दी गई थी
आईपीएस मीरां बोरवणकर के मुताबिक, कसाब मुंबई से पुणे आकर कई अधिकारियों के मोबाइल फोन जब्त करने के लिए गए थे। उस वक्त कुछ अधिकारी नाराज थे, लेकिन केवल दस लोगों को ही पता था कि कसाब को पुणे लाया गया था और उसके साइबेरियाई मुंबई के एक रिपोर्टर को भी पकड़ा गया था।
उन्होंने आर्थर रोड एडमिनिस्ट्रेशन और सीआरपीसी से इस बारे में सीधे सवाल किया था। उनके मना करने के बाद उस रिपोर्टर ने मुझे फोन किया, मैंने भी मना कर दिया। हालाँकि, इस जानकारी के लाइक होने से मेरा कुछ हद तक कम हो गया है।
20 तारीख को यानी कसाब की फाँसी से एक दिन पहले भी मुझे यरवदा जेल में डाल दिया गया था। मेरे पास ब्लेज़र परिधान था। फाँसी के दिन अजमल कसाब बिल्कुल बच्चे जैसा लग रहा था। इतना बड़ा दोस्त वह समय छोटा सा लग रहा था। उसने डाइजेस्ट करके अपना वजन कम किया था। जब कसाब को फाँसी दी गई तो मैंने इसकी जानकारी मोबाइल फोन से लेकर गृह मंत्री आरसी पाटिल को दी।
किताब में अजिताभ पर आरोप
मीरां ने अपनी किताब में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार पर भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा कि राइटर ने उन पर थ्री ओकलैंड ग्राउंड बिल्डर पर डिलीवरी के लिए दबाव डाला था। यह मामला 2010 का है।

मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां बोरवणकर की लुक-लाइन में फांसी दी गई थी।
रानी मुखर्जी की फिल्म मीरानी मीरां जीवन से प्रेरणा
मीरां बोरवणकर 1981 बेक के अपराधी अधिकारी (रिटायर्ड) हैं। आईपीएस का पोस्ट मिला, मीरां को महाराष्ट्र कैडर में पोस्टिंग के बाद। उन्होंने मुंबई में माफिया राज को ख़त्म करने में अहम भूमिका निभाई। इब्राहिम कास्कर और छोटे राजन गिरोह के कई दलों के पीछे पीछे की ओर उनका काफी योगदान रहा है।
मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां की लुक-लाइन में ही फांसी दे दी गई थी। इसके अलावा रानी मुखर्जी की फिल्म मर्दानी आईपीएस मीरां बोरवणकर की लाइफ के बेस्ट केस पर आधारित है।