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- कलकत्ता उच्च न्यायालय की टिप्पणी किशोर लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए
कोलकाता10 मिनट पहले
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पीएचडी कोर्ट ने नाबालिग को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। इसके खिलाफ़ हाई कोर्ट में अपील की गई थी।
पॉक्सो एक्ट के मामले में कलक्ट्रेट में सुनाए गए फैसले में कहा गया- ‘किशोरों को यौन उत्पीड़न पर रोक लगानी चाहिए।’ वे दो मिनट के सुख के लिए समाज की नजरों में गिर जाते हैं।’
कोर्ट ने अपने आदेश में वैज्ञानिकों को भी महत्व दिया। कहा- ‘किशोरों को भी युवतियों, महिलाओं की गरिमा और शारीरिक स्वावलंबन का सम्मान देना चाहिए।’
ये जज जस्टिस चित्तरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की बेंच ने नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप को खारिज कर दिया।
परिवार को सलाह-बच्चों को घर में सिखाएं
बच्चे, गर्लफ्रेंड पर लड़कियों को गुड टच-बैड टच, ग़लत इंस्टालेशन, गुड-बरी संगति और नागरिकता तंत्र के बारे में सही जानकारी। महिलाओं का सम्मान करने की सीख डॉक्टर चाहिए। क्योंकि, परिवार ही ऐसी जगह है जहां बच्चे सबसे ज्यादा और सबसे पहले सिखाए जाते हैं।
सहमति से संबंध के वृद्धावस्था का सुझाव भी
उच्च न्यायालय ने बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत यौन उत्पीड़न पर भी चिंता जताई। इनमें से एक में सहमति से यौन उत्पीड़न को अपराध माना गया है। बेंच ने 16 साल से अधिक उम्र के बीच सहमति से बने संबधों को अपराध की श्रेणी से हटाने की सलाह दी। भारत में यौन संबंध के लिए सहमति की आयु 18 वर्ष है। इससे कम उम्र में सहमति वैध नहीं मानी जाती।
जिला अदालत ने लड़के को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। दोनों के बीच प्रेम संबंध था और उनकी सहमति से संबंध बने थे।