बैंगलोर3 मिनट पहले
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![भारत में पहली बार यह वायरस कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बंदर पाया गया था। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/09/21_1704803204.gif)
भारत में पहली बार यह वायरस कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बंदर पाया गया था।
कर्नाटक के शिवमोगा जिले में रहने वाली 19 साल की लड़की की मंगलवार को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) से मौत हो गई। आम भाषा में इसे मंकी बुखार के नाम से जाना जाता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, तेज बुखार की शिकायत के बाद लड़की का केएफडी टेस्ट सामने आया, जिसका रिजल्ट 4 जनवरी को आया।
इसके बाद उसी दिन उन्हें उडुपी जिले के मणिपाल के केएमसी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। विभाग का कहना है कि मंकी बुखार के कारण राज्य में यह पहली मौत हुई है।
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1957 में मंकी फीवर का पहला केस आया था
मंकी फीवर, फ़्लेविरिडे वायरस का परिवार मेंबर है। 1957 में इसका पहला मामला सामने आया था। तब कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में एक बीमार बंदर मिला था। यह वायरस सर्वर हुआ। इसके बाद यह वायरस इंसानों में भी शामिल हो गया और अब हर साल 400-500 आतंकी मामले सामने आते हैं, जिनमें करीब 20 की मौत भी हो जाती है। रिकॉर्ड के अनुसार मंकी फीवर से मृत्यु दर 3 से 5% है।
मंकी बुखार एक वायरल हेमोरेजिक बुखार है। यह गुप्त जेनेरडेट डिजीज है, जिसे टिक या कीट फैलाया जाता है। अक्सर चहेरे और बंदरों में ये बीमारी होती है। टिक बेब या इंफेक्टेड ब्रेक के संपर्क में आने से यह इंसानों में चाकू है।
मंकी बुखार आमतौर पर बीमारी या हाल में ही मरे बंदर से होता है। अब तक KFD का मैहरन-तू-हमन म्यूज़िक नहीं देखा है। बकरी, गाय और भेड़ जैसे बड़े जानवर भी मांकी बुखार से पीड़ित हो सकते हैं, लेकिन मस्तिष्क संक्रमण नहीं होता है।
सिने और लक्षण
मंकी बुखार से संक्रमित व्यक्ति को 3-8 दिन के बाद बुखार लगना, अचानक बुखार के साथ सिरदर्द होना शुरू हो जाता है। शुरुआती लक्षण के 3-4 दिन बाद उल्टी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और ब्लीडिंग के लक्षण होते हैं। लो ब्लड सप्लाई, लो प्लेटलेट, रेड ब्लड सेल और वाइट ब्लड सेल की गिनती में एब्नॉर्मल चेंज हो सकता है।
कुछ स्पेशलाइजेशन पेशेंट 1-2 सप्ताह बाद बिना कॉम्प्लीकेशन के स्वस्थ हो जाते हैं। हालाँकि तीसरे सप्ताह में 10-20% मरीज़ों में वायरस के रिकवरी वेव के लक्षण दिखाई देते हैं। उन्हें लॉजिकल लॉजिकल मेनिफेस्टेशन, जैसे तेज सिरदर्द, मेंटल डिस्टर्बेंस, कंपकंपी और कम दिखना लगता है।
निदान
बुखार को संक्रमण के शुरुआती दिनों में पीसीआर से मॉलिक्यूलर डिटेक्शन या ब्लड से अटैक किया जा सकता है। इसके बाद एंजाइम-लिंड इम्युनोसॉरबेंट परख (एलिसा) से सीर रसायन परीक्षण होता है।
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मंकी फीवर के लिए अब तक कोई स्पेशल ट्रिटमेंट नहीं है, लेकिन जल्द ही अस्पताल में भर्ती करवाकर सपोर्टिव थेरेपी शुरू कर दी जाएगी। आम तौर पर डिहाइड्रेशन की समस्या होती है, जिसके लिए ड्रिप थेरेपी दी जाती है। वहीं हेमरेज़िक ब्लीडिंग डिसीज़ वाले पेशेंट के लिए सामान्य प्रिकॉशन आवश्यक हैं। डॉक्टर अधिक से अधिक पानी पीने और भरपूर प्रोटीनयुक्त भोजन लेने की सलाह देते हैं।
अंततः
मंकी फीवर के लिए वैक्सीन डोज उपलब्ध है। डीजल वाले क्षेत्र में डोज पौधे मिलते हैं। 7-65 साल ऐज ग्रुप के लोग एक महीने में दो डोज लेते हैं। सबसे बड़ा बचाव है कि टीक और गार्डन वाली जगह में असावधानी जूता-चप्पल।
भारत में शुरुआत से ही मानकी फीवर कर्नाटक के पश्चिमी और मध्य फीवर तक ही सीमित है। हालांकि नवंबर 2012 में राज्य के दक्षिणी जिलों में भी इंसानों और बंदरों के मांकी बुखार के केस मिले थे। नवंबर से जून तक ड्रिक सीजन में केएफडी के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं।
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