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- कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र के ‘वित्तीय अत्याचार’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए चलो दिल्ली का आह्वान किया
नई दिल्ली12 मिनट पहले
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। उनका आरोप है कि सरकार टैक्स ट्रांसफर नहीं कर रही है और राज्य को आर्थिक मदद भी नहीं दे रही है। इस प्रदर्शन को दिल्ली नाम दिया गया है। कर्नाटक के अलावा केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना में भी केंद्र सरकार पर निवेशकों के बीच भेदभाव का आरोप लगाया गया है।
सिद्धारमैया ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 7 फरवरी को सभी मंत्री, दोनों सदनों के विधायक, 15वें केंद्र सरकार के 15 वें वित्त आयोग की सहमति से अन्याय के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं, कर्नाटक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, जैसे कि केंद्र सरकार की तरफ से कर्नाटक को समर्थित समर्थन भी नहीं दिए जा रहे हैं।
सिद्धारमैया बोले- 15वें वित्त आयोग लागू होने के बाद कर्नाटक का टैक्स शेयर कम हुआ
कर्नाटक सीएम के अनुसार, 15वें वित्त आयोग के लागू होने के बाद केंद्र की ओर से बैठक वाले टैक्स शेयर में कर्नाटक की हिस्सेदारी 4.17% से प्रतिबद्धता 3.64% जारी की गई। इसकी वजह से राज्य को कर में 62,098 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सिद्धरमैया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, केंद्र सरकार के वित्तीय अन्याय के खिलाफ दिल्ली आंदोलन शुरू कर रहे हैं। कल सुबह 11 बजे दिल्ली के जंतर-मंतर पर हम कर्नाटक को मीटिंग वाले टैक्स शेयर और फंड के बंटवारे में हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएंगे। ये वामपंथी बीजेपी के खिलाफ नहीं है, बल्कि कर्नाटक के लोगों के हित में काम करना शुरू कर दिया है। हम सब चाहते हैं कि आप किसी भी पार्टी के हों, आप धरनी पसंद में भाग लें।
शिवकुमार बोले- बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने बजट में हमारे साथ अन्याय किया
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डेके शिवकुमार ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि डबल इंजन की सरकार को मंजूरी देने वाली बीजेपी ने पहले भी राज्य को सही अनुदान नहीं दिया। जब हमारी सरकार आई तो हमें साहस की कमी का इंतजार था, लेकिन इस बार भी बजट में हमारे साथ अन्याय हुआ है।
हम केंद्र सरकार को सहयोग दे रहे हैं, लेकिन केंद्र की तरफ से हमारे साथ लगातार गलत व्यवहार किया जा रहा है। कोरोना के दौरान भी हमें राहत नहीं मिली, भारी बारिश के दौरान भी हमें अनुदान नहीं मिला। भद्रा मेलांडेंडे परियोजना के लिए 5300 करोड़ नहीं दिए गए हैं।