एसबीआई चुनावी बांड बिक्री अपडेट; नरेंद्र मोदी सरकार | सुप्रीम कोर्ट | इलेक्टोरल बॉन्ड की 30वीं किश्त को सरकार की मंजूरी: 11 जनवरी तक बिक्री कच्चे माल; कोर्ट सुप्रीमो ने नी नीड पर ही सवाल उठाया है

नई दिल्ली2 मिनट पहले

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भारतीय स्टेट बैंक नामांकन बांड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।  - दैनिक भास्कर

भारतीय स्टेट बैंक नामांकन बांड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।

केंद्र सरकार ने राजनीतिक शास्त्र को चंदा के लिए जारी करने वाले 30वें किश्त को मंजूरी दे दी है। कच्चे माल की बिक्री 2 जनवरी यानी आज से शुरू हो गई है, जो 11 जनवरी से अब तक।

वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि ये बांड एसबीआई के 29 शेयरों में शामिल हो जाएगा। इनमें बैंक की बेंगलुरु, नाबालिक, विश्वास, कोलकाता, कोलकाता, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, गुड़गांव, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई शाखाएं शामिल हैं। कोई भी भारतीय नागरिक या निवेशक इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को पैसा चंदा के रूप में दे सकता है।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की ज़रूरत पर ही सवाल उठाया है। 5 जजों की बेंच ने निर्णय पर 4 भर्तियां सुरक्षित रख ली हैं और चुनाव आयोग से सभी आश्रमों के अनुयायियों की मांग की है।

29वीं किश्त में 1006 करोड़ की बॉन्ड बाइक थीं
इलेक्टोरल बॉन्ड की 29वीं किश्त पांच राज्यों के चुनाव से पहले 4 नवंबर को रिलीज हुई थी। इसकी बिक्री 6 से 20 नवंबर तक चली थी। बांड्स की सेल में यूनिवर्सिट से कुल 1109 बांड्स लॉन्च हुए। इसकी कीमत 1006 करोड़ तीन लाख प्रति डॉलर है। वहीं, 28वीं किश्त में यूनेस्को बॉन्ड की कुल 1213 करोड़ रुपए की बाइकें थीं।

इलेक्टोरल बांड​​​ क्वेश्चन पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सुनिश्चित

2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉइल केस में फैसला सुरक्षित कर लिया। हालाँकि, अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित नहीं है। कोर्ट ने वीडियो को मिली फंडिंग का डेटा इलेक्शन कमीशन से लेकर अब तक नहीं रखा। साथ ही आयोग से राजनीतिक आश्रम को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से मिली नंदी की जानकारी से जल्द ही निर्देश दिया गया है। पढ़ें पूरी खबर…

सरकार ने कहा- रिलीज के 15 दिन में धूम मच जाएगी बंधन
वित्त मंत्रालय का कहना है कि जारी होने की तारीख 15 दिन के लिए वैध होगी। इस समय सीमा के ख़त्म होने के बाद बांड ज़मा हो जाएगा तो किसी भी राजनीतिक दल को कोई पैमाना नहीं मिलेगा।

मंत्रालय ने यह भी कहा, ‘किसी पात्र राजनीतिक दल का उसके खाते में एक ही दिन में जापान का बांड जमा हो जाएगा।’

भारतीय नागरिक या देश में पंजीकृत संस्थाएँ खरीद सकती हैं। साथ ही रजिस्टर्ड डेमोक्रेट डेमोक्रेट पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में मतदान का कम से कम 1% वोट हासिल किया, वे डेमोक्रेट डेमोक्रेट काबिल हैं।’

व्हाईट बांड क्या है?
2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण अंशदान ने निर्वाची या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कॉच को पेश किया था। 29 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया।

ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है, जिसे बैंक नोट भी कहा जाता है। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।

अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं तो आपको ये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की खरीदी हुई मिल में मिल जाएगी। इसे गायब करने वाले इस बॉन्ड को अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकते हैं। बस वो पार्टी को पात्र होना चाहिए।

जिस पार्टी को डोनेट कर रहे हैं वो योग्य है, ये कैसे पता चलेगा?
बांड वाला 1 हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का बांड खरीदा जा सकता है। लिंक वाले को बैंक को अपनी पूरी केवाईसी डीटेल में शामिल करना है।

रिपेयर वाला जिस पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिलना चाहिए। डोनर के बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के भीतर उस पार्टी को चुनाव आयोग से रीरी बैंक खाते से कैश निकालना होता है।

इस पर विवाद क्यों…
2017 में अरूणाचल प्रदेश ने इसे पेश करते हुए दावा किया कि राजनीतिक दलों को फंडिंग और चुनावी व्यवस्था में जगह मिलेगी। ब्लैक मनी पर कटाव। दूसरी ओर इसके विरोध करने वालों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड धारक की पहचान स्पष्ट रूप से नहीं की जा सकती है, इसलिए इस चुनाव में काले धन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कॉच को बड़े पैमाने पर घरों को ध्यान में रखकर लाया गया है। इससे ये घराने बिना पहचाने सामने आए वेस्ट वेस्ट वेस्ट चांदा के राजनीतिक चित्रण को दे सकते हैं।

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