अमृतसर5 घंटे पहले
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से शिरोमणि गुरुद्वारे प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने ट्वीट कर कहा कि पंजाब में राजनीति में हलचल शुरू हो गई है। आज गुरुवार को सनातन की बैठक में भी एसजीपीसी चुनाव को लेकर बातचीत हुई है। लेकिन अगर हकीकत पर गौर करें तो एसजीपीसी के जून 2024 के चुनाव से पहले संभावित प्रयास संभव नहीं है।
जानकारी के अनुसार एसजीपीसी के चुनाव के लिए नामांकन सूची तैयार करने की प्रक्रिया 21 अक्टूबर से शुरू होगी। अवलोकन चुनाव कब हो सकता है या जब सम्मिलित हों, तो इस पर किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन देखना होगा कि 2024 में संसदीय चुनाव भी होने वाले हैं और विधानसभा संसदीय चुनाव भी होंगे। इसके साथ ही नगर परिषद और नगर निगम के चुनाव भी लंबे समय से लंबित चल रहे हैं। जिसमें आने वाले समय में शामिल होना जरूरी है।

2011 में 52 लाख करोड़ का हिस्सा लिया गया था
एसजीपीसी के चुनाव में 12 साल का समय चुकाया गया है। इससे पहले एसजीपीसी चुनाव 2011 में हुए थे। जिसमें 52 लाख से ज्यादा ‘योग्य’ कैथेड्रल ने हिस्सा लिया था। टैब से लेकर अभी तक 2011 में ट्रेनिंग बॉडी ही वर्कआउट के साथ प्रधान का चुनाव हो रहा है।
12 प्राचीन पौराणिक कथाओं में विविधताएं और अभिलेखों के पंजीकरण की प्रक्रिया एक समय लेने वाली प्रक्रिया होगी। एसजीपीसी चुनाव में हरियाणा के सिखों की भूमिका पर स्पष्टता की कमी भी बढ़ेगी।
45 दिन का अनियमित समय
अमृतसर के डीसी अमित तलवार ने कहा कि जब भी राज्य सरकार से आधिकारिक सूचना प्राप्त होगी, तो कॉलेज के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। हमें सूची तैयार करने या स्थायी आधार सूची को 45 दिनों में अपडेट करने के लिए कहें। इसके बाद, चुनावी हिस्सेदारी जा सकती है।
वहीं, एसजीपीसी सदस्य किरणजोत कौर ने कहा कि सीएम भगवंत मान और राज्य प्रशासन शिक्षा चुनाव प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं। एसजीपीसी की ओर से नए लाइसेंस के लिए वैधानिक पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की जानी है। वहीं, 25 मई को एसजीपीसी चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त, रॉबर्ट एसएस सरोन (रिटायर्ड) ने पंजाब के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और सभी डीसी को नए एसजीपीसी चुनाव आयोग के लिए नामांकन सूची तैयार करने के लिए लिखा था।

मई माह में जारी हुआ आदेश।
2016 को चुनाव होने वाले थे
एसजीपीसी की स्थापना वर्ष 1920 में 16 नवंबर को प्रारंभ सुधार आंदोलन के साथ हुई थी। सिखों की मिनी संसद के नाम से पहचान रखने वाली एसजीपीसी के चुनाव में अंतिम बार 2011 में शामिल हुए थे। हर 5 साल के बाद ये चुनाव 2016 में आम आदमी जाने वाले थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से लेकर अब तक हर वर्ष 2011 में चयनित मंडल की राजमंडी से ही प्रधान का चयन किया जा रहा है।
170 सदस्यों का चुनाव होता है
एसजीपीसी में कुल सदस्यों की संख्या 191 है। इसमें 170 निर्वाचित सदस्य, 15 मनोनीत, 5 तख्तों के प्रमुख और 1 सिरों वाला स्वर्ण मंदिर मौजूद हैं। कुल मिलाकर कुल संख्या 56,40,943 है। 2011 में हुए चुनाव के अनुसार सबसे ज्यादा वोटर पंजाब (52.69 लाख) से हैं। इसके अलावा हरियाणा के 3.37 लाख, 23,01 हिमाचल प्रदेश और 11,932 वोटर चंडीगढ़ से हैं।
डीजेएस साल ही हरियाणा के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के स्वामित्व वाली प्रबंधकीय समिति का गठन अलग हो गया। एसजीपीसी के चुनाव में इस साल यह वोटर वोटर बने या नहीं, इस पर अभी संशय बना है।