नई दिल्ली5 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपराधियों के खिलाफ सुनवाई के लिए जल्द ही फैसला सुनाया। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की राधा वाली पीठ ने उच्च न्यायालय और न्यायिक अदालतों को कई निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों के लिए उच्च न्यायालय में एक विशेष बेंच रेस्तरां की जाए। साथ ही आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए मस्जिद-विधायकों के अपार्टमेंट: परमाणु लें।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के केस में अपराधियों को एक याचिका के रूप में पेश करना मुश्किल होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 4 बड़ी बातें…
- उच्च न्यायालय एमपी-एमएलए के खिलाफ आपराधिक सहयोगी की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, प्रमुख अध्यक्ष या तो मुख्य न्यायाधीश करेंगे, या मुख्य न्यायाधीश की तरफ से नामित पीठ की होगी।
- उच्च न्यायालय क्रिमिनल केसों में अपराधियों के विरुद्ध स्थिति की रिपोर्ट के लिए विशेष अभियोजकों को कॉल किया जा सकता है। ट्रायल कोर्ट में केवल दुर्लभ पदों को छोड़ दिया गया है, जो कि संसदीय सदस्यों, शेयरधारकों और एमएलसी के मामलों के खिलाफ हैं।
- सीजेआई कोर्ट ने सुनाते हुए फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधान जिले और सत्र न्यायाधीश कानून की सुनवाई करने वाली का नाम विशेषीकृत लघु उद्योग, तकनीकी सुविधा सुनिश्चित करेंगे।
CJI बोले- SC की तारीख पे डेट वाली कोर्ट नहीं जाएगी

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अदालत में खाली मामलों को लेकर पहले ही चिंता जताई जा चुकी है। चंद्रचूड़ ने 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को दस्तावेजों में विस्तार और सुनवाई तलने पर चिंता जताई थी, वकीलों ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली कोर्ट बने।
उन्होंने कहा कि हर रोज औसत 154 मामले सामने आते हैं। अगर तीन सारे केस एडजर्नमेंट (स्टैगन या टालना) में रहेंगे तो यह कोर्ट की अच्छी छवि नहीं दिखाएगा।
साथ ही CJI ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई की मांग न करें.
दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर ओझा की पेशी के दौरान एक मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट कॉन्स्टेंटिस्ट लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रही है और सबसे बड़े एडजर्नमेंट की मांग बिजनेस मामलों की है। पढ़ें पूरी खबर…
देश में 763 न्यूनतम, 306 पर क्रिमिनल केस

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सितंबर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया है कि देश के कुल 763 कलाकारों के खिलाफ 306 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 194 अपराधियों के ख़िलाफ़ हत्या और महिलाओं पर अत्याचार के गंभीर मामले हैं।
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप और अमेरिका के बीच गुटों की तरफ से हाफनामे के स्मारक जारी किए गए हैं।
बिहार के सबसे ज्यादा 41 अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लक्षद्वीप के एक मॉनसून से 29 मॉस्क से 23, बिहार के 56 मॉकअप से 41, महाराष्ट्र के 65 मॉकअप से 37, तेलंगाना के 24 मॉकअप से 13 और दिल्ली के 10 मॉकअप से 13 5 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

यूपी के सबसे ज्यादा 37 बदमाशों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लक्षद्वीप में एक, बिहार में 56 जंगल में 28, तेलंगाना में 24 जंगल में 9, केरल में 29 जंगल में 10, महाराष्ट्र में 65 जंगल में 22 और यूपी में 108 जंगल में 37 के ख़िलाफ़ गंभीर मामले दर्ज हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश दिया, एमपी-एमएलए के अपराधी केस वापस नहीं लेंगे, राज्य सरकार

अब राज्य प्रयोगशाला संग्रहालय और संग्रहालय पर चल रहे क्रिमिनल केस वापस नहीं लेगे। इसके लिए संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय की मंजूरी जरूरी होगी। आपराधिक मामलों में सज़ा देने वाले को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के लिए मुकदमे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। कोर्ट ने सितंबर 2020 के बाद केसल-माध्यमिकों को वापस लेने के लिए कहा। पढ़ें पूरी खबर…