नई दिल्ली6 मिनट पहले
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एक पैनल ने एनसीईआरटी को सोशल साइंस के सिलेबस में बदलाव के सुझाव दिए हैं। कहा गया है कि सामाजिक विज्ञान में वेद और आयुर्वेद को भी पढ़ा जाना चाहिए।
भारत के महाकाव्य रामायण और महाभारत नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के सिलेबस में शामिल हो सकते हैं। क्वेश्चन स्कूल के इतिहास के सिलेबस में भारत के क्लासिकल संस्थानों की श्रेणी रखी जा सकती है। एक हाईलेवल पैनल ने अपने दोस्तों की तलाश शुरू कर दी है।
प्रो. सीआई इसाक ने न्यूज एजेंसी एएनआई को यह भी बताया कि पैनल ने स्कूल की हर क्लास की दीवार पर यह प्रस्ताव रखा है। ये प्रस्ताव वहां की क्षेत्रीय भाषा में लिखा होगा।
इसाक इतिहास के मझौले प्रोफेसर हैं।
कौन सी समिति और क्या प्रस्ताव रखे
असल में, एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान समिति में इस विषय के पाठ्यक्रम को फिर से तैयार करने के लिए बनाया गया है। समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि भारतीय नलेज सिस्टम तैयार किया जाए। साथ में ही वेद और आयुर्वेद को भी शामिल किया जाए।
यह प्रस्ताव एनसीईआरटी की नई पाठ्य पुस्तक मेकिंग इन असोथ असंगठित। हालाँकि, इन प्रस्तावों को अभी एनसीईआरटी से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है।

रामायण में महर्षि वाल्मिकी ने 24 हजार श्लोक लिखे। सातवीं शताब्दी में तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। रामायण काल, महाभारत से प्राचीन मान्यताएँ हैं।
इतिहास में चार प्रोटोटाइप में चमकते सितारे
प्रो. (रिटायर्ड) इसाक ने बताया- हमने इतिहास को चार सिद्धांतों में चमकाने की सलाह दी है। एक- शास्त्रीय वास्तुकला, दूसरा- मध्यकालीन वास्तुकला अर्थात मध्यकाल, तीसरा- ब्रिटिश काल और चौथा- आधुनिक भारत। अभी तक इतिहास में तीन और विचारधाराएँ ही हैं- प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत।
इसाक के अनुसार, शास्त्रीय मनोरंजन में हमने रामायण और महाभारत महाकाव्य के अनुयायियों की सलाह रखी है। हमारे विश्वास से पता चलता है कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था?

महाभारत में कौरव-पांडवों की कथा है। धर्मग्रंथों के अनुसार, महाभारत महर्षि वेद व्यास ने बोली और भगवान गणेश ने लिखी थी।