एक देश-एक चुनाव पर विधि आयोग का कोविंद समिति को सुझाव | 2 साल बाद चुनाव हो और सरकार बेकार तो सर्वदलीय सरकार संभव

नई दिल्ली5 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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विपक्ष और विधानसभाओं के चुनाव के साथ एक संकल्प का मुद्दा पूर्व राष्ट्रपति के राष्ट्रपति पद के राष्ट्रपतियों में संप्रदाय समिति और विधि आयोग की अहम बैठक आज हुई। आयोग ने इसमें ‘एक देश, एक चुनाव’ का रोड़ पोस्ट पेश किया। साथ ही तय किया से पहले सरकार देने की स्थिति में अगले चुनाव तक क्या व्यवस्था रही, इसके दो मॉडल सुझाए गए।

पहला- सरकार के साथ समय सीमा तय की जाए या विधानसभा का चुनाव 2 साल से कम बचा हो तो सर्वदलीय सरकार बनाई जाए। विपक्ष में इसे ‘राष्ट्रीय एकता की सरकार’ कहा जाएगा। मॉडल दूसरा- सरकार मध्य पूर्णता चुनाव हो तो यह 5 साल की सरकार के लिए नहीं, बल्कि बचे हुए राज्य के लिए ही चली जाए। मध्यपूर्णता चुनाव भी इसी समय हो, जब 2 साल से ज्यादा बचा हो।

आयोग की विधि ने समिति को बताया कि 1967 तक सभी देशों में चुनाव एक साथ ही हो रहे थे।

2029 या 2034 में आम चुनाव के साथ नई व्यवस्था लागू हो सकती है
आयोग ने साफ किया कि एक साथ चुनावी ढांचे, संघीय ढांचे या लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित नहीं किया जाएगा, बल्कि इन स्तंभों को मजबूत किया जाएगा। देश की प्रगति, लोकतंत्र की बचत और जनता के हितों के लिए यह जरूरी कदम है।

समिति को बताया गया कि 2029 या 2034 में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभाओं का चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पूरे राज्य में सरकार का चयन किया जा सकता है और इसमें कितना हिस्सा लिया जा सकता है। यह लक्ष्य विशेष प्रस्ताव के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

ये सुझाव भी- ​विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी करने का पूरा अधिकार राज्यपाल का हो
आयोग ने यह भी कहा है कि एक साथ संविधान में एक विशेष प्रस्ताव शामिल किया जाएगा। इस व्यवस्था में राज्य विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी करने के अधिकार राज्यपाल के पास होने की घोषणा की गई।

संभव हो तो स्थानीय निकाय के चुनाव भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के साथ। आयोग ने बताया कि संविधान में इस प्रावधान को जोड़ने की व्यवस्था मौजूद है। संसदीय माध्यम से इस प्रोविजन का एलेक्टिकल संविधान में जोड़ा जा सकता है।

सर्वदलीय सरकार में किस पार्टी को कितने पद, संख्या बल से तय करना होगा
आयोग ने कहा है कि सर्वदलीय सरकार में लोकसभा या विधान सभा के सदस्यों की संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व होना चाहिए। यानी, सरकार के ढांचे, मकानों में ताकतों के खाते से तय होगा। आयोग ने इस तरह की एक प्लांट की योजना का भी सुझाव दिया है।

बैठक में आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज, सदस्य प्रोफेसर आनंद पालीवाल और सदस्य सचिव केटी बिस्वाल ने 45 मिनट का प्रजेंटेशन दिया। सेंट्रल अमजिद अमित शाह, गुलाम नबी आज़ाद, सुभाष कश्यप सभी उपस्थित सदस्य।

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