नई दिल्ली10 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक
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वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार कर रही पूर्व राष्ट्रपति राष्ट्रपतियों की राष्ट्रपति पद की राष्ट्रपति पद की राष्ट्रपति पद की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की तैयारी। आयोग के इस प्रस्ताव पर सभी दलों ने सहमति जताई तो यह 2029 से लागू होगा।
लेकिन, इसके लिए दिसंबर 2026 से 25 दिसंबर तक राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम शामिल नहीं हैं, क्योंकि इन राज्यों में इसी महीने नतीजे आ जाते हैं।
इसलिए विधानसभाओं का कार्यकाल 6 माह अंतराल जून 2029 तक होगा। उसके बाद सभी राज्यों में एक साथ विधानसभा-लोकसभा होगी। ‘एक देश-एक चुनाव’ का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का चुनाव घटेगा।
5 राज्यों के विधानसभाओं का इतिहास सबसे ज्यादा घटेगा
2029 में लोकसभा-विधानसभा चुनाव के साथ, इसके लिए 2026 तक 25 राज्यों में चुनाव होंगे। विधानसभाओं का स्थायी अनुबंध घटेगा और बाद में भी घटेगा।
वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने के तीन चरण…
![एक देश-एक चुनाव का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का चुनाव घटेगा।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/24/33er6cf-highres1693554472_1703365984.jpg)
एक देश-एक चुनाव का सिद्धांत लागू करने के लिए कई राज्यों में विधानसभा का चुनाव घटेगा।
पहला चरणः 8 राज्य, वोटिंग जून 2024 में
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और आदिवासियों का ये साल जून 2024 में पूरा हो रहा है। हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्लीः इनमें से 5-8 महीने में कटान करना होगा। फिर जून 2029 तक इन राज्यों में विधानसभाएं पूरे 5 साल चलेंगी।
दूसरा चरणः 6 राज्य, वोटः नवंबर 2025 में
बिहारः एप्लाई पूरा होगा। बाद का पांच तीन साल ही रहेगा। असम, केरल, तमिल, प. बंगाल और पुड्डुचेरीः स्थायी समझौता 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का साल भी साढ़े तीन साल का होगा।
तीसरा चरणः 11 राज्य, वोटः दिसंबर 2026 में
उत्तर प्रदेश, गोवा, टोक्यो, पंजाब और उत्तराखंड: अंतिम लक्ष्य 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा। गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुराः निश्चित लक्ष्य 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहो।
इन तीन चरणों के बाद सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त हो जाएगा। के अनुसार, बिरादरी समिति विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय व्यापारियों के चुनाव को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।
23 सितंबर को वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। दिल्ली के जोधपुर में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। समिति अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति मिर्ज़ाअमर सहित बाकी सदस्य शामिल। 2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति की राष्ट्रपति की अध्यक्षता में बनी इस समिति में गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद नबी आजाद समेत 8 सदस्य शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन रामवाल मेघा समिति के विशेष सदस्य बनाये गये हैं।
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वन नेशन वन इलेक्शन क्या है
भारत में आंध्र प्रदेश के राज्यों और देशों के आम चुनावों का अलग-अलग समय होता है। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब यह है कि पूरे देश में एक साथ ही वोट और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानि कि डेमोक्रेट और राज्य के विधानसभाओं के दलों के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
आज़ादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही हुए, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएँ समय से पहले ही भंग कर दी गईं। इसके बाद 1970 में जॉन ने भी भंग कर दिया। इस कारण से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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