उत्तराखंड सुरंग बचाव; सिल्क्यारा सुरंग निर्माण में भू-तकनीकी सर्वेक्षण रिपोर्ट की अनदेखी की गई | रिपोर्ट में चट्टान का वर्णन,पूर्ववर्ती मिट्टी; कंपनी का दावा- मई 2024 से पहले काम पूरा होगा

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नई दिल्ली35 मिनट पहलेलेखक: एम. रियाज हाशमी

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12 नवंबर को उत्तरकाशी की मस्जिदयारा-डंडलगांव टनल का एक हिस्सा अचानक ढह गया था।  इसके अंदर 41 मंजदूर फंस गए थे।  - दैनिक भास्कर

12 नवंबर को उत्तरकाशी की मस्जिदयारा-डंडलगांव टनल का एक हिस्सा अचानक ढह गया था। इसके अंदर 41 मंजदूर फंस गए थे।

उत्तराखंड में यमुनोत्री प्रॉजेक्ट पर चार धाम प्रोजेक्ट के तहत ऑल वेदर रोड पर सिल्क्यारा-डंडालगांव गंगे के धनसने को लेकर तथ्य सामने आ रहे हैं।

कंपनी (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में जियो टेक्निकल सर्वे की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया गया है। जिस पर्वत में टनल बन रही है, रिपोर्ट में उसे सॉलिड चट्टान (हार्डरॉक) बताया गया और जब खुदाई शुरू हुई तो यह भुरभुरी मिट्टी का पर्वत निकला।

भास्कर भास्कर में टनल प्रोजेक्ट की स्ट्रीमिंग एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग राजमार्ग) से लेकर रंग बनाने वाली कंपनी नवयुग (एनईसीएल) तक इस बारे में कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं है। जबकि नवयुग कंपनी ने ऑस्ट्रिया-जर्मनी की बर्नार्ड कंपनी से यह वुल्फ बनवाई थी।

बर्नार्ड कंपनी के, इस सुरंग के निर्माण की शुरुआत यहीं से हुई है, भूवैज्ञानिक (जियोलॉजिकल) के अनुसार, खतरे के बाद खतरा भी बेहद कठिन साबित हुआ है।

ये टनल के उस हिस्से की फोटो है, जहां 41 मजदूर मजदूर थे।  छवि से पहले उन्हें नए कपड़े और परिधान दिए गए।

ये टनल के उस हिस्से की फोटो है, जहां 41 मजदूर मजदूर थे। छवि से पहले उन्हें नए कपड़े और परिधान दिए गए।

जुलाई 2022 में टनल का काम पूरा करना था
टनटल से जुड़े दस्तावेज के, सेंट्रल रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री को सिलक्यारा ऑरेंज साइट की जियो डिजिटल रिपोर्ट टीएसपीएल और जी ईएस फर्म के अनुसार जोड़ा गया था। दोनों ही फर्मों का इससे पहले इस तरह के प्रोजेक्ट में काम करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

वैसे सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का काम साल 2018 में शुरू हुआ था। इसकी डेडलाइन जुलाई 2022 जारी की गई थी। अन्य भी 16 महीने गुजरात गए।

कंपनी का दावा- अगले साल मई से पहले काम पूरा होगा
रंगेंग बनाने वाली नवयुग कंपनी के इंजीनियर प्रदीप नेगी और रेजिडेंट मैनेजर राहुल तिवारी का दावा है कि अब मई 2024 से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। कंपनी का दावा है कि सुरंग में मालबा गिराने का कारण पावर फेलियर है।

यहां भुरभुरी सतह पर होने का कारण ऐसा है। जिस जगह पर मालबा गया वहां पर कोई खतरा नहीं था। यहां पर सभी प्रकार के डिज़ाइन दिए गए थे।

नवयुग कंपनी को सिलक्यारा-डंडालगांव गंग बनाने का काम इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट एंड एरियल (ईपीसी) मॉड में दिया गया था। टेंडर के आवेदकों का कहना है कि किसी भी तरह की खामी के लिए निर्माण कंपनी सीधे तौर पर गैर जिम्मेदार है।

हाइवे ने कहा- सुरक्षा सर्वेक्षण के बाद काम शुरू होगा
हाइवे ने कहा- सुरंग निर्माण से पहले तकनीकी समिति सुरंग का सर्वेक्षण करेगी। सुरक्षा के सभी बिंदु हल होने के बाद ही नया निर्माण शुरू होगा। एनएचआईडीसीएल ही सर्वे के लिए समिति बना रही है।

सुरंग के मुहाने के बाद 80 से 260 मीटर तक का हिस्सा

टनल प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक दीपक प्लाट के अनुसार मुहाने के बाद 80 से 260 मीटर तक का हिस्सा गिरा है। इस पर 120 मीटर तक का काम (री-प्रोफाइलिंग) हो गया था, जिससे दुर्घटना हो गई। 5 साल में सुरंग में मलबा डाले की 20 घटनाएं हुई हैं।

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