द1 घंटा पहले
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![12 नवंबर को सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गए थे। 28 नवंबर को सभी को सम्मानित किया गया था। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/tunnel_1703332376.gif)
12 नवंबर को सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गए थे। 28 नवंबर को सभी को सम्मानित किया गया था।
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर को 41 मजदूर फंसे थे। 17वें दिन टनटल से सभी पाठ्यपुस्तकों की मदद से बाहर निकला गया था। हालांकि ऑपरेशन के फाइनल स्टेज में रैट होल माइनर्स की अहम भूमिका थी। उत्तराखंड सरकार ने 21 दिसंबर को इन्हें सम्मानित किया था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 12 रैट माइनरों को शॉल और 50-50 हजार रुपये का चेक सौंपा था। दो दिन बाद अब इन रैट माइनर्स ने चेक को कैश वॉल्व से खारिज कर दिया है। इनका कहना है कि हमने जो काम किया, उसका हमारा सम्मान नहीं हुआ।
रैट माइनर्स के लीडर वकील हसन ने कहा कि जब भी सोसाइटी की मदद से टैंटल में टोकियो रॉक्स तक नहीं पहुंचा जा सका तब हम बिना किसी शर्त की मदद के आए थे। अपनी जान जोखिम में नामांकित हाथों से सैद्धांतिक की। हम सीएम धामी के इस कदम की पुष्टि तो कर रहे हैं, लेकिन राशि से सहमत नहीं हैं। हम सभी ने चेक कैश का कोई निर्णय नहीं लिया है।
![उत्तराखंड के सीएम पीटर सिंह धामी ने रैट होल माइनर्स को 50 हजार रुपये के चेक बेचे हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/k-2_1703332424.jpg)
उत्तराखंड के सीएम पीटर सिंह धामी ने रैट होल माइनर्स को 50 हजार रुपये के चेक बेचे हैं।
स्थायी नौकरी विवरण की मांग
वकील ने कहा कि जिस दिन हमें नीचे दिए गए चेक करें, मैंने उसी दिन सीएम धामी से स्पष्ट रूप से बात की थी। हमें अधिकारियों ने सदस्यता दी, साथ लेकर हम वापस लौट आए। हमें लगा कि एक-दो दिन में सरकार हमारे लिए नई घोषणा करेगी। अगर अधिकारियों का वादा पूरा नहीं हुआ तो हम अपना चेक वापस कर देंगे। हसन ने रैट माइनर्स को स्थायी नौकरी के बारे में बताया।
एक और श्रमिक मुखिया का कहना है कि टनल में शिकार के लिए हम मौत के मुंह में चले गए। अपने परिवार वालों की भी कोई बात नहीं मानती। 50 हजार रुपए बहुत ही मामूली नोट है।
रैट होल खनन क्या है?
चूहे का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और खनन का मतलब खोदना। मतलब से ही साफ है कि छेद में चूहे की तरह खुदाई करना। मूल से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और धीरे-धीरे छोटे हाथ की ड्रिलिंग मशीन से छेद किया जाता है और हाथ से ही ढलान को बाहर की ओर निकाला जाता है।
रेट होल खनन नाम की प्रक्रिया का उपयोग आम तौर पर सीमेंट के खनन में बहुतायत में हो रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग बेहद खतरनाक है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इस पर कई बार प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
![सिलक्यारा टनटल स्क्रीनशॉट में अहम भूमिका वाले किरदार वाले रैट माइनर्स की टीम। इंस्टिट्यूशनल इंस्टिट्यूटिंग द्वारा मजूदरों को आउट आउट किया गया। ऑपरेशन की सफलता के बाद टीम हैप्पीनेस नजर आई थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/whatsapp-image-2023-11-28-at-83215-pm1701183898_1703326871.jpeg)
सिलक्यारा टनटल स्क्रीनशॉट में अहम भूमिका वाले किरदार वाले रैट माइनर्स की टीम। इंस्टिट्यूशनल इंस्टिट्यूटिंग द्वारा मजूदरों को आउट आउट किया गया। ऑपरेशन की सफलता के बाद टीम हैप्पीनेस नजर आई थी।
सिलक्यारल टनल दुर्घटना के बारे में दिनांक दिनांक से दिनांक
12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो शाम 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर तक भारी मात्रा में पानी जमा हो गया। टनल से पानी के निकास के लिए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा गया। बचाव कार्य में एनडीआरएफ, आईटीबीपी और बीआरओ को शामिल किया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर मालबा तक हटाई गई।
13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली गई। कंपनी मालबा आने से 20 मीटर बाद ही काम लाभ प्राप्त हुआ। कंसिस्टेंसी और खाना-पानी के माध्यम से पाइपों के निर्माण की शुरुआत हुई।
14 नवंबर: टनल में कॉन्स्टेंट मिट्टी धंसने से नॉर्वे और अनुयायियों के स्नातकों की सलाह ली गई। ऑगर प्रशिक्षण मशीन और पर्यवेक्षक जैक को काम पर रखा गया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 वर्ष की आयु करीब 35 इंच मोटी पाइप असेंबली को आउटर स्ट्रेच का प्लान बनाया गया। इसके लिए ऑगर लॉन्चिंग मशीन और डेमोक्रेट जैक की मदद ली गई, लेकिन ये मछलियां भी खत्म हो गईं।
15 नवंबर: ऑगर मशीन के कुछ देर बाद अविष्कार ऑपरेशन के तहत कुछ तत्व खराब हो गए। टनटल के बाहर लाइब्रेरी के फ्लोरी की पुलिस से कीमतें हुई। वे अवकाश ऑपरेशन में देरी से नाराज़ थे। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हेवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौद हेलीपैड पहुंच गया। ये प्लांट विमान में ही फंस गया, जिसमें तीन घंटे बाद निकल कर जा सका।
![रैट माइनर्स ने टनल के अंदर से कुछ इस तरह छोटे फावड़े से मिट्टी निकाली थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/comp-31-31701144774_1703326946.gif)
रैट माइनर्स ने टनल के अंदर से कुछ इस तरह छोटे फावड़े से मिट्टी निकाली थी।
16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन कॉस्टिंग मशीन ऑगर का पूरा हुआ। शाम 8 बजे से वास्तुशिल्प शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप लगाए गए। मुख्यमंत्री पुस्र्ष सिंह धामी ने प्रतिष्ठा ऑपरेशन की समीक्षा बैठक की।
17 नवंबर: सुबह की दो दवाइयाँ। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आगमन से रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाले गए। नई ऑगर मशीन को रात में इंदौर से गोपाल डिपो, जहां उत्तरकाशी के लिए भेजा गया था। रात में टनटल के दूसरी जगह से ऊपर से विचित्र लोगों को निकालने के लिए सर्वेक्षण किया गया।
18 नवंबर: निजीकरण का काम रुका रहा। खाने की कमी से बेरोजगारी की शिकायत की। पीएमओ के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी कंसल्टेंट मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी। पांच स्थानों से स्थापना की योजना बनी।
19 नवंबर: सुबह के समय केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी उत्तरकाशी के दौरे पर गए और लोगों की छुट्टी ले ली गई। शाम चार बजे प्लामिक्यारा एंड सेस्टैम्पटिंग शुरू हुई। खाना पकाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मालबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट श्रमिक भोजन या रिजर्व टनल बनाने का प्लान बनाया गया।
20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग रॉकेट्स ऑरनाल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी इंस्टॉलेशन का सर्वेक्षण और वर्टिकल इंस्टॉलेशन के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। 6 इंच की नई पाइपलाइन के लिए बाइबिल को खाना देने की जानकारी मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मूर्ति के लिए छवि टनल बनाई गई। बीआरओ ने प्लास्म्यारा के पास वर्टिकल डिजाइन के लिए सड़क बनाने का काम पूरा कर लिया है।
![21 नवंबर को पहली बार टनल के अंदर 6 इंच की पाइप के जरिए एंडोस्कोपिक कैमरा भेजा गया था। पहली बार 41 मूर्तियाँ देखीं। इसी पाइप से गणित को खाना और जरूरी सामान भेजा गया था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/comp-41700536561_1703327056.gif)
21 नवंबर को पहली बार टनल के अंदर 6 इंच की पाइप के जरिए एंडोस्कोपिक कैमरा भेजा गया था। पहली बार 41 मूर्तियाँ देखीं। इसी पाइप से गणित को खाना और जरूरी सामान भेजा गया था।
21 नवंबर: एंडोस्कोपी के माध्यम से अंदर भेजा गया कैमरा और पहली बार देखी गई मूर्ति की तस्वीरें आई। उनकी बात भी कही गयी. सभी मजदूर ठीक हैं। बाइबिल तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के माध्यम से खाना पकाने में सफलता मिली। ऑगर मशीन से लॉन्चिंग शुरू हुई।
केंद्र सरकार की ओर से 3 पदनाम नामांकन जारी किये गये। पहला- ऑगर मशीन के सामने 2 से 3 दिन रिवाइवल में कोई विरोध नहीं था। दूसरा- टनटल की ओर से खोदाई करके 10-15 दिन के उत्खनन में नहरों को खोदना। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन।
![उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा टनल चारधाम रोड परियोजना का हिस्सा है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/1699947641_1703327430.jpg)
उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा टनल चारधाम रोड परियोजना का हिस्सा है।
22 नवंबर: अंयथार्थ, उदित और बिजनेसमैन को डेस्टिनेशन में सफलता मिली। मॉस्कोयारा की तरफ से ऑगर मशीन से 15 मीटर की कीमत तय की गई। 41 सार्जेंट स्कॉर्पियो के दर्शनीय स्थल। दार्शनिकों की टीम को टनल के पास स्थापित किया गया। चिल्यानियासौद में 41 बेड का हॉस्पिटल तैयार किया गया।
23 नवंबर: अमेरिकी ऑगर मशीन थ्री बार रोकनी पोस्ट। देर शाम विज्ञापन के तेज कूल होने से मशीन का मंच धंस गया। इसके बाद अगले दिन सुबह तक लॉन्चिंग पर रोक लगा दी गई। इससे पहले 1.8 मीटर की लॉन्चिंग हुई थी। इसके बाद ऑगर मशीन के लिए कास्टिंग फिर से शुरू हो गई, लेकिन टेक्निकल ग्लिच की स्टॉक टीम को ऑपरेशन में मदद मिली। उधर, एनडीआरएफ ने मॉक प्रोजेक्ट के लिए अमूर्त को तैयार किया है।
24 नवंबर: सुबह जब कास्टिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप आ गए, जिससे पाइप मुड़ गया। स्टील के पाइपों और टनल में डाले जा रहे पाइपों के हिस्सों को बाहर निकाल दिया गया है। ऑगर मशीन भी खराब हो गई थी, उसे भी ठीक कर लिया गया।
25 नवंबर: शुक्रवार को ऑगर मशीन बिल्डर के अवशेष का काम शनिवार को भी रुका रहा। इंटरनेशनल टनलिंग पार्टनर्स अर्नाल्ड डिक्स ने कहा है कि अब ऑगर से टेस्टिंग नहीं होगी, न ही दूसरी मशीन इंट्रोड्यूस की जाएगी।
अन्य चार लोगों की मदद के लिए बाहर निकलें। बी प्लान के तहत टनल के ऊपर से वर्टिकल स्टार्टअप की तैयारी हो रही है। एनडीएमए का कहना है कि अब तक करीब 86 मीटर की खुदाई की जाएगी।
26 नवंबर: उत्तरकाशी की मस्जिद्यारा टनल में झील 41 मठों को बाहर निकालने के लिए पहाड़ की चोटी से वर्टिकल की शूटिंग शुरू हो गई है। रात 11 बजे से 20 मीटर तक खुदाई हुई। वर्टिकल इंस्टॉलेशन के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल बनाकर रास्ता बनाया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा- अगर कोई अनुशासनात्मक नहीं है तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में बाइबिल तक पहुंचेंगे।
27 नवंबर: सुबह 3 बजे मियामीरा की तरफ से 13.9 मीटर लंबी टुकड़ियों को निकाला गया। देर शाम तक ऑगर मशीन का हेड भी स्क्रैप से निकाल लिया गया। इसके बाद रैट माइनर्स ने नामकरण की शुरुआत कर दी। रात 10 बजे तक पाइप को 0.9 मीटर तक बढ़ाया गया। साथ ही 36 मीटर वर्टिकल सेटअप हो गया था।
रिट माइनर्स 800MM के पाइप में डॉयरेक्टिंग की थी। ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते हैं, फिर हाथ के प्यारे छोटे-छोटे फावड़े से खोदते थे। ट्रॉली से एक बार में रिजर्व 2.5 क्लासिक मालबा लेकर आए थे। पाइप के अंदर सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मे और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद था।
28 नवंबर: 28 नवंबर की शाम 8.35 बजे यानी 12 नवंबर से 17 दिन, करीब 399 घंटे बाद पहला वर्कर शाम 7.50 बजे निकला। पहले बैच में 5 शैतान बाहर निकले थे। 45 मिनट बाद रात 8.35 बजे सभी को बाहर निकाला गया। मजदूर खुद ही 800MM के स्टील पाइप से क्रॉल करके (घुटों के बल) बाहर आ गए थे।
भास्कर एक्सप्लेनर- 41 श्रमिक, 17 दिन और 6 बड़ी बाधाएँ: कुछ तकनीक, कुछ जुगाड़; उत्तरकाशी टनल से जीवित जल निकासी के लिए क्या-क्या किया गया
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/23/ezgifcom-video-to-gif-701700743085_1703327381.gif)
12 नवंबर 2023, सुबह करीब 5.30 बजे का समय। उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा-डंडालगांव तरंग का एक हिस्सा भरभराकर नृत्य किया गया। मालबा करीब 60 मीटर तक फेल हो गया और टनल से बाहरी रास्ता बंद हो गया। अंदर काम कर रहे 41 मजदूर बाकी दुनिया से पूरी तरह कट गए। पूरी खबर पढ़ें…