उत्तरकाशी सुरंग पतन अद्यतन; कार्यकर्ता काम पर लौटें | उत्तराखंड समाचार | उत्तरकाशी टनल में काम पर लौटे एक मजदूर ने कहा- डर से काम नहीं छोड़ा जा सकता; नवंबर में 41 मजदूर 17 दिन चले रहे

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25 मिनट पहले

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17 दिन बाद 28 नवंबर को टोकियोरा टनल के मृतकों की मृत्यु हो गई।  - दैनिक भास्कर

17 दिन बाद 28 नवंबर को टोकियोरा टनल के मृतकों की मृत्यु हो गई।

उत्तरकाशी की मस्जिद्यारा टनल का निर्माण कार्य एक बार फिर शुरू हो गया है। 2 महीने पहले इस टनल हादसे में 41 शैतान के बच्चे होने के बाद इसकी पुष्टि की गई थी। इनमें से एक मजदूर टनल में काम पर लौट आया है।

बंगाल में रहने वाले इस मजदूर का नाम माणिक तालुकदार है। एथिल के अनुसार, माणिक तालुकदार ने कहा कि घटना बंधक थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डर के कारण काम बंद कर दिया गया। हम आपके काम के जोखिमों को जानते हैं।

12 नवंबर की सुबह 5.30 बजे संगीत्यारा टनल का एक हिस्सा डूब गया था। टनल में मलबा जाम होने से अंदर काम करे 41 मजदूर फंस गए थे। इसके बाद ईसा मसीह की मूर्ति की शुरुआत हुई।

एक प्लान फेल हुआ तो दूसरा काम शुरू हो गया। कभी सुरंग के मुहाने से तो कभी पहाड़ के ऊपर से गहराई तक जाकर अवशेषों को निकालने की कोशिश की जाती रही और आखिर में 28 नवंबर की शाम तक यानी 17 दिन बाद मजदूर को बाहर निकाला गया।

रैट माइनर्स की सहयोगी गुड़िया की मूर्ति मिल गई थी
टनल में मूर्ति की बाहरी संरचना के लगातार प्लान फेल होते जा रहे हैं। 24 नवंबर को जब 12 मीटर पहले ऑगर मशीन टूटी हुई थी, तो ईसा पूर्व ऑपरेशन का समर्थन सेना और रेट माइनर्स को मंजूरी दे दी गई थी। रैट माइनर्स ने 800 मिमी के पाइप में डॉयरिंग की शूटिंग की और अंतिम रूप से एक कर आउट लिया गया था।

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मज़दूरों ने कैसे बनाया 17 दिन का पहला वीडियो

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मॉस्कोयारा टनल के अंदर 17 दिन से 41 तक मजदूर काम कर रहे हैं। वे 28 नवंबर की शाम को टनल से बाहर निकले। इस छवि के तीन दिन बाद 2 वीडियो सामने आए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि ये 17 दिन बाद की कहानी में किस तरह की मूर्ति शामिल है। पढ़ें पूरी खबर…

41 मजदूर, 17 दिन और 6 बड़ी रोबोटें: कुछ तकनीक, कुछ जुगाड़

12 नवंबर 2023, सुबह करीब 5.30 बजे का समय। उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा-डंडालगांव तरंग का एक हिस्सा भरभराकर नृत्य किया गया। मालबा करीब 60 मीटर तक फेल हो गया और टनल से बाहरी रास्ता बंद हो गया। अंदर काम कर रहे 41 मजदूर बाकी दुनिया से पूरी तरह कट गए। पढ़ें पूरी कहानी…

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