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- उत्तरकाशी सिल्क्यारा सुरंग ढहने से 40 मजदूर फंसे, बचाव अभियान का छठा दिन| चार धाम मार्ग
द20 मिनट पहले
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उत्तरकाशी में 12 नवंबर को शाम 4 बजे संगीत्यारा टनल का एक भाग नृत्य किया गया। आधा 4 किमी लंबा यह टनल यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर मस्जिद्यारा और डंडलगांव के बीच बनाया जा रहा है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 116 घंटे (6 दिन) से 40 मजदूर काम करते हैं। अन्वेषक की हर कोशिश अब तक नाकामयाब रही है। गुरुवार 16 नवंबर की सुबह न्यू लीख से अमेरिकन ऑगर्स मशीन की स्थापना शुरू हुई। हैवी ऑगर मशीन को सेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तराखंड लाया गया।
एनएचआईडीसीएल के निर्माता अविनाश मनीष खलखो ने बताया, 25 टन की भारी ऑगर मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक चलती है। अगर, ये काम होता है तो अगले 10 से 15 घंटे में इंक्वायरी की जा सकती है। हालाँकि, यह अंदर के परिदृश्य पर भी निर्भर करता है।
हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के प्रवेश बिंदु से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी। मजदूर फंस गया अंदर। मालबा 70 मीटर तक फैला हुआ है। ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

ऑगर मशीन को अलग-अलग हिस्सों में 15 नवंबर को दिल्ली से उत्तराखंड के चिन्यालीसौड़ हेलीपैड में लाया गया। यहां से ट्रेन पर ले जाया गया।
टनल के इन्टरनेट में मध्य प्रदेश के केंद्रीय मंत्री वीके सिंह शामिल हैं
मंत्री सेंट्रल वीके सिंह 16 नवंबर को टनल के अंदर फिल्मांकन करेंगे। उन्होंने कहा- मजदूर टनल के अंदर 2 किमी की खाली जगह में घूमे हुए हैं। इस गैप में रोशनी है और हम खाना-पानी भेज रहे हैं। एक नई मशीन काम कर रही है, पावरफुल और स्पीड पुरानी मशीन से बेहतर है। हमारी कोशिश इस अवशेष ऑपरेशन को 2-3 दिन में पूरा करने की है।
पुनर्जन्म में कितने लोग थे
200 लोगों की टीम 24X7 काम कर रही है: नेशनल हाईवे एंड इंफ्रा अलैह्मिक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रही है। इसके अलावा चिप्स, नार्वे, फ़िनलैंड समेत कई देशों के लिए ऑनलाइन वसीयतनामा ली जा रही है।
अब तक क्या हुआ?
- 13 नवंबर: सबसे पहले शोकेस टीम ने टनल का मालबा हटाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई। टैब से नमूनों को पाइपों के माध्यम से लगातार ऑक्सीजन और भोजन-पानी की आपूर्ति की जा रही है।
- 14 नवंबर: 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप्स के अंदर की ओर लॉन्च किया गया। इसके लिए ऑगर फ़ास्टिंग मशीन और सहकर्मी जैक की मदद से ली मैग को सफलता नहीं मिली।
- 15 नवंबर: टनल के बाहर एनिमेटेड फिल्म से पुलिस से हुई पूछताछ। वे अवकाश ऑपरेशन में देरी से नाराज़ थे। पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से हैवी ऑगर मशीन मंगाई गई। एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान लेकर आया।
- 16 नवंबर: हैवी अमेरिकन कास्टिंग मशीन का इंस्टालेशन पूरा हुआ, बेंचमार्क ऑपरेशन शुरू हुआ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुअमर सिंह धामी ने इंटरव्यू की समीक्षा की।
लैनी ने हैवी इंस्टॉलेशन मशीन क्यों लगाई

14 नवंबर को पुनर्स्थापना के लिए मशीन मंगाई गई थी। मालबा होने से ये मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद हैवी ऑगर मशीन मंगाई गई।

ये पुरानी ऑगर मशीन का टनल के अंदर का विजुअल है। इसकी जगह हैवी मशीन को स्थापित किया गया है।
इंजीनियर और वास्तुशिल्पी ने बताया कि ऑर्डर देने वाले जैन ने रविवार देर रात कहा, ’14 नवंबर से 6 बार तक मालबा डीएससी का भुगतान किया गया है और इसकी कीमत 70 मीटर तक बढ़ाई गई है। पहले जो कास्टिंग मशीन लगी थी, सिर्फ 45 मीटर तक ही काम हो सकता है, इसलिए बड़ी मशीन लगी है। टनल में सभी लोग 101% सुरक्षित हैं। ‘गुरुवार शाम या रात तक सभी को छुट्टी ले ली जाएगी।’
प्लांट नहीं होने की वजह से टनटल का 60 मीटर हिस्सा धांसा
एनडीआरएफ के सीईओ कमांडर कर्मवीर सिंह के मुताबिक, ‘साधे 4 किमी लंबा और 14 मीटर चौड़ा इस टनल के स्टर्लिंग पॉइंट से 200 मीटर तक बनाया गया था। उसके आगे कोई प्लास्टिसिन नहीं था, जिसके कारण ये हादसा हुआ।’
ग्राफिक से दर्शाया गया टनल से कैसे बाहर कार्यकर्ता…

जिस स्टील के पाइप के माध्यम से वाइटल को आउट किया जाएगा, उसकी लंबाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है। टनल के 60 मीटर के हिस्से में मलबा गिरा है, जो अब 70 मीटर हो गया है।
विद्यार्थी से क्यों ली जा रही मदद
टनल में पुतले के लिए पुतले की मदद ली जा रही है। समकक्ष लेकर खलखो ने बताया, 2018 में एक जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम के 12 सदस्य और उनके कोच अभ्यास सत्र के बाद आतंकवादियों की गुफा लुआंग नांग नॉन में चले गए थे। अचानक तेज बारिश हुई और गुफा में बाढ़ आ गई और समुद्र तट से बाहर निकलना बंद हो गया।
करीब 18 दिन तक ये फुटबॉल टीम गुफा के अंदर फंसी रही थी। किसी और के पास कोई लैपटॉप नहीं था। ऐसे में टीम उत्तरकाशी इवेंट में आपकी सलाह ले रही है। हालाँकि, खलखो ने कहा- साथियों के पास भारत नहीं आएगा। वे ऑफ़लाइन कर मदद कर रहे हैं।
ग्राफिक के माध्यम से जानें कहां हुआ हादसा…

सबसे बड़े झारखंड के
राज्य डीजेस्टर के अनुसार, टनल के झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है। बचाव कार्य देखने के लिए यहां के सीएम पुष्वर सिंह धामी ने बताया- सभी श्रमिक सुरक्षित हैं, मॉक वॉकी-टोकी के माध्यम से संपर्क किया गया है। खाना-पानी की सुविधा जा रही है।
एक गब्बर सिंह नेगी के बेटे की पुतली में से एक को मंगलवार को उसके पिता से कुछ याद दिलाने के लिए बात करने की जानकारी दी गई। आकाश सिंह नेगी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया- मेरे पिता सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे चिंता न करने को कहा।
घटना की जांच के लिए कमेटी बनायी गयी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को जनगणना ऑपरेशन को लेकर अंतिम बैठक की घोषणा की। धामी ने बताया- हम विश्वसनीयता ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से एक भी घटना की मॉनिटरिंग जारी है। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह मूर्ति समितियां बनाई हैं। समिति ने आज जांच भी शुरू कर दी है।
दर्शन ऑपरेशन की तस्वीरें…

यह टनल का प्रारंभिक भाग है। अधिकारियों का कहना है यहां से 200 मीटर टनल धंसी के अंदर।

ऑगर डिजाइनिंग मशीन के माध्यम से चिप्स के अंदर स्टील पाइप डाले जाएंगे। कौन सा मार्ग मजदूर बाहर निकलता है।

रिक्वेस्ट टीम के सामने दिख रही है इस रिकार्ड को हटाने का प्रयास जारी है। इसके पीछे श्रमिक कामगार हैं।
चारधाम परियोजना का हिस्सा यह टनल है
यह टनल चार धाम रोड परियोजना के तहत बनाया जा रहा है। 853.79 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही यह टनल हर सीजन में खुला रहेगा। यानि कि प्रोजेक्ट के दौरान भी लोग आना-जाना कर सकते हैं। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम होगी।
पूर्वी, समुद्र तट के बीच राडी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री राजमार्ग बंद हो जाता है। जिसमें यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालय बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राडी टैप में चट्टानों की समस्या से निपटने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी है।


ग्राफ़िक : पुनीश्वर
चित्रण : गौतम गौतम