इजराइल हमास युद्ध पर सोनिया गांधी | गाजा मानवीय संकट | लिखा- विश्व में हिंसा के लिए जगह नहीं; इजराइली नाकेबंदी ने गाजा को ‘खुली जेल’ बनाया

कुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक
सोनिया गांधी ने इजराइल-हमास जंग के लिए अंग्रेजी अखबार द हिंदू पर लेख लिखा है।  - दैनिक भास्कर

सोनिया गांधी ने इजराइल-हमास जंग के लिए अंग्रेजी अखबार द हिंदू पर लेख लिखा है।

इजराइल-हमास जंग के बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू के लिए एक लेख लिखा है। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस का मानना ​​है कि विश्व में हिंसा की कोई जगह नहीं है।

उन्होंने 7 अक्टूबर को इज़रायल में हुए हमलों को बताया। उन्होंने कहा- इसमें एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए. इनमें अधिकतर आम नागरिक थे। यह हमला इजराइल के लिए विनाशकारी था। हमने हमलों के अगले ही दिन इसकी स्पष्ट रूप से निंदा की।

उनका पूरा लेख यहां पढ़ें…
इजराइल-हमास का मामला गाजा में इजराइली सेना के अंधाधुंध अभियान चल रहा है और गंभीर हो गया है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में बच्चों, महिलाओं और पुरुषों समेत हजारों लोगों की मौत हो गई।

इजराइल ने अब उस आबादी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है, जो अब तक काफी हद तक आतंकवाद के साथ-साथ असंगत है। दुनिया की सबसे ताकतवर ताकतों का इस्तेमाल बच्चों, महिलाओं और पुरुषों पर किया जा रहा है। हमास के हमलों में कोई वास्ता नहीं था।

आज जंग का 24वां दिन है, गाजा में मृतकों की संख्या 8 हजार पार हो गई है।

आज जंग का 24वां दिन है, गाजा में मृतकों की संख्या 8 हजार पार हो गई है।

फ़िलिस्तीनियों को लेकर इज़राइल की फ़्रांसीसी भाषा
जंग में पूरे परिवार का सफाया हो गया है। गाजा गोदाम में प्लॉट हो रहे हैं। अस्पताल गाजा के लोग आए मानवीय संकट का सामना करने में असहाय हैं। पानी, भोजन और बिजली से वर्जित फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए किसी सामूहिक सज़ा से कम नहीं है। बाहरी दुनिया, विशेष रूप से जो लोग मदद करना चाहते हैं, उन्हें गाजा जाने से काफी हद तक रोक दिया गया है, धर्मों तक राहत और सहायता बहुत कम मात्रा में पहुंच रही है।

यह न केवल विदेशी है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी है। गाजावासी हिंसा से बहुत कम प्रभावित हैं। एक छोटे से इलाक़े में कैद गाजा की बड़ी आबादी के पास फिर से अलग होने के लिए कुछ नहीं बचा है। अब, तो वेस्ट बैंक में भी संघर्ष बढ़ रहा है।

भविष्य को लेकर चल रही हैं सुविधाएं भी अच्छी नहीं हैं। वरिष्ठ इज़राइली अधिकारियों ने गाजा के बड़े हिस्सों को नष्ट करना और जनसंख्या ख़त्म करना की बात कही है। इजराइली रक्षा मंत्री ने फिलिस्तीनियों को “मानव के भेष में जानवर” कहा है। यह विदेशी भाषा वाली है जो उन लोगों के कुलों से आ रही है जो स्वयं नरसंहार का शिकार थे।

तस्वीर 7 अक्टूबर की है, जब हमास ने इजराइल में अंतिम संस्कार किया था।

तस्वीर 7 अक्टूबर की है, जब हमास ने इजराइल में अंतिम संस्कार किया था।

गाजा में इंसान की परीक्षा
गाजा में इंसान की परीक्षा ली जा रही है। इजराइल पर क्रूस पर हमला किया गया था। अब इजराइल की रिजर्व और समान रूप से मजबूत प्रतिक्रिया से हम और ड्रा हो गए हैं। हमारी सामूहिक निजी के जगने से पहले न जानें क्या चाहते हैं।

इजराइली सरकार हमास की तुलना में फिलिस्तीनी लोगों से बड़ी गलती कर रही है। हमास को नष्ट करने के अपने दृढ़ संकल्प में, गाजा के आम लोगों के नरसंहार और विनाश को अंजाम दिया गया है। अगर फिलीस्तीनियों की पीड़ा के लंबे इतिहास को भी खत्म किया जा सके, तो तर्क से कुछ लोगों के काम के लिए पूरी आबादी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?

यह बार-बार दस्तावेज़ जारी किया जा रहा है कि फिलिस्तीनी आज जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वो उपनिवेशवाद की मांद है। इसका हल केवल बातचीत के जरिए बाहर जा सकता है। यह भी लगातार आश्वासन दिया जा रहा है कि इस बातचीत में फिलीस्तीनियों के जरूरी पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। जिसमें उनका एक देश भी शामिल है। जो दशकों से चल रहा है। साथ ही साथ इजरायल की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

पूरे मामले पर रुख
न्याय के बिना शांति स्थापित नहीं की जा सकती। विस्फोट के दशक से अधिक समय से इज़राइली नाकेबंदियों ने गाजा को “खुली जेल” में डाल दिया है। इसके 20 लाख लोग भीड़-भाड़ वाले रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हैं।

यरुशलम और वेस्ट बैंक में, इजरायली सेटलर्स इजरायल की मदद से फिलिस्तीनियों को आजादी की जमीन से उखाड़कर बेच रहे हैं। वो दो देशों वाले समाधान को पूरी तरह से ख़त्म करने का प्रयास कर रहे हैं।

इस इलाके में तभी शांति संभव है, जब दुनिया के प्रभावशाली देश दो देशों की अवधारणा को फिर से लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर सकें। यह वास्तविकता बन गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लगातार सदस्यों में यह दृढ़ विश्वास है कि फिलिस्तीनियों और इजराइलियों दोनों को न्यायपूर्ण शांति से रहने का अधिकार है। हम इजराइल के लोगों के साथ अपनी दोस्ती को महत्वपूर्ण बताते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी यादों से फिलीस्तीनियों के अंतिम संस्कार के बारे में बताते हैं।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति लंबे समय से यही रही है कि इजराइल के साथ शांति से सह-अस्तित्व में फिलिस्तीन के एक संप्रभु स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और सुरक्षित देश के लिए सतत बातचीत हो।

12 अक्टूबर, 2023 को विदेश मंत्रालय ने भी यही रुख अपनाया। सरकार ने फ़िलिस्तीन पर भारत के पुराने स्टैंड पर कब्ज़ा कर लिया जब इजराइल ने गाजा पर हमला शुरू कर दिया।

प्रधानमंत्री ने इजराइल के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपने पहले बयान में फिलिस्तीनियों के अधिकारों का कोई जिक्र नहीं किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गाजा में इजराइली सेना और हमास के बीच “शत्रुता की समाप्ति के लिए शत्रुता की समाप्ति, स्थिरता और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम” के लिए हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में भारत के अभाव का कड़ा विरोध किया गया है। दुनिया को कार्रवाई करनी चाहिए।

इस पागलपन को खत्म करने के लिए दोनों तरफ से आवाजें उठा रही हैं। मटाही के दोस्तों और परिवार को उबरने के बाद भी कई इजराइली मानते हैं कि फिलीस्तीनियों के साथ बातचीत से ही आगे बढ़ने का रास्ता निकल गया है। कई फ़िलिस्तीनी स्वीकार करते हैं कि हिंसा से केवल और अधिक पीड़ा होगी और यह उन्हें अपने सम्मान के जीवन के सपने से और भी दूर ले जाएगी।

इसका तात्पर्य यह है कि कई लोभशील देश पूरी तरह से पूर्व-पूर्व की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जबकि उन्हें युद्ध समाप्त करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। सबसे प्रारंभिक और सबसे शक्तिशाली आवाजें सैन्य अभियान की समाप्ति के लिए होनी चाहिए। अन्यथा, परिवर्तन लेने का यह चक्र जारी रहेगा और आने वाले लंबे समय तक इस क्षेत्र में किसी के लिए भी शांति प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *