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![111 किलोमीटर लंबा कटरा-बनिहाल खंड में मुख्य रूप से सुरंग बनाना शामिल है। इसमें 27 मुख्य सुरंगें निर्मित हैं। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/22/new-project_1697979649.jpg)
111 किलोमीटर लंबा कटरा-बनिहाल खंड में मुख्य रूप से सुरंग बनाना शामिल है। इसमें 27 मुख्य सुरंगें निर्मित हैं।
भारतीय रेलवे के इंजीनियरों ने 111 किलोमीटर लंबे कटरा-बनिहाल खंड पर केश रेल लिंक परियोजना के तहत रेलवे स्टेशन पर सुरंग बनाने के लिए नई तकनीक विकसित की है। रेलवे के एक अधिकारी ने इस बारे में चेतावनी देते हुए कहा- इसमें गंगा की खुदाई के दौरान पानी के बहाव को रोकने के लिए पहले से तैयारी कर ली गई है.
रेलवे ने रेल लाइन के एलाइनमेंट को बदल दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मुश्किल इलाके से छोटा सा हिस्सा ही गुजरे। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के कटरा-रियासी खंड में त्रिकुटा शिलाखंड के तलहटी में स्थित 3.2 किमी लंबे सिंगल ट्यूब नेटवर्क को परियोजना का सबसे कठिन हिस्सा बताया गया है।
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इंजीनियर्स बोले- ISHB तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं
प्रोजेक्ट में शामिल रेलवे के सीनियर इंजीनियर ने बताया- हमने न्यू ऑस्ट्रियाई टैंटलिंग मैथड में इस्तेमाल की जाने वाली नकली गार्डर विधि के उलट आईएसएचबी तकनीक का इस्तेमाल किया है, जो रंग को दिखाता है। हम पहाड़ों में 9 मीटर के पाइप डाले गए हैं, जिसमें पाइप की रूफिंग कहा जाता है।
इनमें छेद वाले पाइपों के इस्तेमाल से एक छटे जैसी संरचना टूट जाती है और इसमें पीयू ग्राउट भरते हैं। पीयू ग्राउट केमिकल को मिट्टी के साथ जोड़ा जाता है। इसकी मात्रा मिट्टी की तुलना में तिगुनी राख़ होती है। यह मिट्टी को ठोस जैसा बना देता है। इस संरचना की स्थिरता का परीक्षण किया जाता है और फिर हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं।
इस गाने पर साल 2017 के बाद से यानि तीन साल से ज्यादा समय से काम रुका हुआ था। इंजीनियर्स ने अगले साल की शुरुआत तक इसे पूरा करने की रचनाएँ कीं।
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कटरा-बनिहाल खंड में बनेंगी 27 रंगें
111 किलोमीटर लंबा कटरा-बनिहाल खंड में मुख्य रूप से सुरंग बनाना शामिल है। इसमें 27 मुख्य सुरंगें जैन निर्मित हैं, जिनकी लंबाई 97 किमी है। 67 किमी में आठ एस्केप तरंगें निर्मित संरचना। इस खंड में 26 बड़े पुल और 11 छोटे पुल मिलाकर कुल 37 पुल बने हैं।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के कटरा-रियासी खंड में त्रिकुटा शिलाखंड के तलहटी में स्थित 3.2 किलोमीटर लंबे सिंगल ट्यूब नेटवर्क को परियोजना का सबसे कठिन खंड बताया गया है।