बैंगलोर13 मिनट पहले
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![इसरो ने सूट (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) पेलोड को 20 नवंबर को चालू किया था। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/08/cover-1_1702051790.gif)
इसरो ने सूट (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) पेलोड को 20 नवंबर को चालू किया था।
भारत के पहले सन मिशन आदित्य एल1 में लगे पेलोड सोलर वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) ने सन की फुल डिस्क तस्वीरें खींची हैं। उदाहरण के लिए, पेलोड ने 11 फिल्टर का उपयोग किया है।
इसरो ने शुक्रवार (8 दिसंबर) को एक्स पर इन आंकड़ों को साझा किया। साथ ही लिखा- SUIT ने जो तस्वीरें खींची हैं, उनमें सनस्पॉट, ब्लैक स्पॉट, सूरज का शांत क्षेत्र नजर आ रहा है।
सूर्य की फुल डिस्क इमेज के पास सूर्य की फुल डिस्क इमेज के सूर्य की किरणें मौजूद हैं। इनमें से 200 से 400 मीटर तक की वेबसाइट में सूर्य का पहला फुल-डिस्क रिप्रजेंटेशन शामिल है। सूर्य की तस्वीरें और क्रोमोस्फियर के क्रिटिकल डीटेल्स देख रहे हैं।
सूर्य के अध्ययन के लिए 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में शार्क स्पेस स्टेशन से पोलर सैटेलाइट सैटेलाइट (PSLV-C57) के माध्यम से आदित्य L1 मिशन को लॉन्च किया गया था।
इसरो प्रमुख का कहना है कि आदित्य एल1 मिशन अंतिम चरण में है। इसके 7 जनवरी 2024 तक लैगरेंज प्वाइंट पर पहुंचने की उम्मीद है।
![इसरो ने जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें अल्ट्रा वायलेट वेबलेंथ में सूर्य के कई रंगों का नजारा आया है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/08/ga05y3owaaaoi9m_1702044624.jpg)
इसरो ने जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें अल्ट्रा वायलेट वेबलेंथ में सूर्य के कई रंगों का नजारा आया है।
इन से क्या फायदा मिलेगा
SUIT के मंचन से मैग्नेटिक सौर एटमॉस्फियर की नैमिक अध्ययन में मदद मिलेगी। इससे संबंधित पृथ्वी पर सौर विकिरण के प्रभाव को रोकने के उपाय खोजने में भी मदद लें।
इससे पहले इसरो ने 7 सितंबर 2023 को आदित्य एल1 पर लगे कैमरा से ली गई सेल्फी के साथ पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें शेयर की थीं। आदित्य एल1 ने 4 सितंबर को ये तस्वीर खींची थी। फोटो में आदित्य एल1 पर लाॅज 2 पर फोटोग्राफर वीईएलसी और सूट भी दिखाई दे रहे थे।
![यह फोटो आदित्य एल1 ने 4 सितंबर को ली थी, जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा एक साथ नजर आ रहे हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/08/aditya-foto-111700905825_1702045186.gif)
यह फोटो आदित्य एल1 ने 4 सितंबर को ली थी, जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा एक साथ नजर आ रहे हैं।
लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज प्वाइंट का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैगरेंज का नाम रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल सम्मिलित है और सेंट्रीफ्यूगल बल बन गया है।
ऐसे में इस जगह पर अगर कोई सामान रखा जाए तो वह आसानी से उस बिंदु के चारों ओर चक्कर लगाने लगता है। पहला लैगरेंज बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/08/2-11693236585_1702045580.jpg)
सूर्य की पढ़ाई क्यों जरूरी?
जिस सौर्य प्रणाली में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है। सभी आठ ग्रह सूर्य का ही चक्कर हैं। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य से लगातार ऊर्जा उत्पादन होता है। हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं। सूर्य का अध्ययन करके यह समझा जा सकता है कि इसमें होने वाले परिवर्तनों से अंतरिक्ष और पृथ्वी पर जीवन कितना प्रभावित हो सकता है।
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सूरज में समा सकते हैं 13 लाख पृथ्वी, हर साल 1 लाख करोड़ विस्फोट; इसका रहस्य पताआदित्य L1
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/08/ezgifcom-video-to-gif-981693589044_1702048039.gif)
सूरज इतना विशाल है कि इसमें 13 लाख पृथ्वी समाई है। ये गर्मी इतनी है कि 1 लाख करोड़ परमाणु बम के विस्फोट से एनर्जी भी फीकी पड़ जाएगी। सूरज 460 करोड़ साल का हो चुका है और इसके अगले 1,000 करोड़ साल तक बने रहने का अनुमान है। आदित्य एल1 सूर्य का रहस्य जानने के लिए ही भेजा गया है। भास्कर एक्सप्लेनर जानेंगे सूर्य की जादुई कहानी…पढ़ें पूरी खबर…