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- आजीवन करावास | सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सज़ा पर सुनवाई अपडेट
नई दिल्ली22 मिनट पहले
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उम्र कैद की सजा का मतलब क्या होता है पूरी जिंदगी जेल में रहना, इस सवाल का जवाब उम्र कैद की सजा का पता एक सीरियल किलर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। शुक्रवार (9 फरवरी) को सर्वोच्च न्यायालय में इस सुनवाई की तैयारी हो चुकी है। साथ ही दिल्ली सरकार से भी जवाब मांगा है।
याचिका में यह भी पूछा गया है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 432 के तहत इस सजा को कम या माफ किया जा सकता है या नहीं, क्योंकि इस धारा में उम्रकैद की सजा को निलंबित करने का प्रावधान है।
असल में, 2003 से 2007 तक 6 लोगों की हत्या और साक्ष्य के आधार पर चन्द्रकांत ने याचिका दायर की थी कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी मृत्यु की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। लेकिन शर्त भी थी कि उसे मरते दम तक जेल में रहना होगा।
इसी के खिलाफ याचिका दायर करते हुए चंद्रकांत ने कहा कि मृत्यु तक दोषी एक दोषी के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इससे उन्हें सूरजने का मौका नहीं मिलेगा।
![जनवरी 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उसे मौत की सज़ा दी गई है, लेकिन दम तक दोषी नहीं ठहराया गया है और कहा गया है कि उसे वैज्ञानिक आधार पर दाखिला दिया जाना चाहिए।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/02/09/jha_1707492667.jpg)
जनवरी 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उसे मौत की सज़ा दी गई है, लेकिन दम तक दोषी नहीं ठहराया गया है और कहा गया है कि उसे वैज्ञानिक आधार पर दाखिला दिया जाना चाहिए।
6 हत्याएं करने वाले ने स्मारक की फाइलें निकालीं
मामला शुक्रवार को जस्टिस विश्वनाथ रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में शामिल हुआ। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह पुस्तिका 3 हत्याओं के चन्द्रकांत झा की नींव है। चंद्रकांत एलायंट की सजा काट रही है। जिन लोगों की हत्या की गई थी, उनमें 2006 और 2007 में 6 लोग शामिल हैं। चंद्रकांत ने इन लोगों को मारने के बाद उनके सिर को अलग करके धड़ तिहाड़ जेल के बाहर फेंक दिया था।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (अपराध के साक्ष्य खोना) के तहत दोषी ठहराया गया है।
मारने का उपाय वहशियाना था
सिर कटी लाशों को तिहाड़ जेल के बाहर आजीविका बेचने वाला सीरियल किलर चंद्रकांत झा बेचने वाला था। वह बिहार के मधेपुरा में रहने वाली हैं। चंद्रकांत लोगों की हत्या के बाद उनके सिर, हाथ और दृश्य को अलग-अलग कर दिया गया था और सिर कटी की मौत को तिहाड़ जेल के बाहर फेंक दिया गया था।
पुलिस के मुताबिक, चन्द्रकांत के मामूली व्यवहार से नाराज लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। जिन तीन शेयरों वाले अमित, पौराणिक और दिलीप की हत्या की थी, वे अपनी दुकान पर काम करते थे।