दिल्ली20 मिनट पहले
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![मरीजों को आईसीयू में भर्ती को लेकर यूनियन हेल्थ मिनिस्टर ने गाइडलाइंस जारी की है। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/02/icu-bed_1704194472.jpg)
मरीजों को आईसीयू में भर्ती को लेकर यूनियन हेल्थ मिनिस्टर ने गाइडलाइंस जारी की है।
केंद्र सरकार ने गंभीर मरीजों के आईसीयू में भर्ती करने के लिए नई लाइब्रेरी जारी की है। इसके अनुसार, परिवार के लोगों की सहमति के बिना अस्पताल में भर्ती मरीज को आईसीयू में नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा अगर किसी मरीज का इलाज नहीं हो रहा है, स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है तो अस्पताल में उसे आईसीयू में रखना जरूरी नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 कम्युनिस्टों की टीम के विकास का आधार इस पब्लिशिंग हाउस पर रखा है। इन तर्कशास्त्रियों के अनुसार, महामारी या आपदा की स्थिति में जहां साधन सीमित हों, वहां धार्मिक व्यक्ति को निर्दिष्ट करने के लिए कहा गया है।
आईसीयू में अनगिनत भर्ती
सूत्रों के अनुसार, अगर किसी मरीज को हेमो नाइड अस्थिरता हो, ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हो, सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, मेजर हार्ट अटैक आया हो, कार्डियक आराम हुआ हो, खून की उल्टी हो रही हो, मेडिकल सपोर्ट की जरूरत हो, मेडिकल सपोर्ट की जरूरत हो कंडीशन या बीमारी गंभीर होने की संभावना हो तो उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है।
इसके अलावा, ऐसे मरीज़ों की हालत में रेस्पिरेटरी सपोर्ट की ज़रूरत पड़ी, क्रिटिकल बीमारी की स्थिति में इंटेंसिव मॉनिटरिंग की ज़रूरत पड़ी, सर्जरी के बाद जब मरीज़ की हालत खराब हो गई, तो गंभीर मरीज़ों की हालत में गंभीर मरीज़ों की भर्ती की गई, उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया जा सकता है.
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आईसीयू में मरीज की ये दवा भी मिलनी चाहिए
गाइडलाइंस में यह भी बताया गया है कि अस्पताल को आईसीयू बेड में बाल्ड स्केल, स्केल रेट, रिस्पाय रेटेरी रेट, ब्रीथिंग पैटर्न, हार्ट रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन, यूरिन डायमेंशन और न्यूरोलॉजिकल स्टेट्स के साथ अन्य रिसर्च की जांच होनी चाहिए। इसके अलावा मरीज़ की कंडीशन देना नामांकन होना या बेसलाइन स्टेटस पर आने के बाद अस्पताल में उन्हें आईसीयू से भर्ती करना चाहिए।
आईसीयू फ्रेमवर्क बनाने वाले पैनल में शामिल हैं डॉक्टर अख्तर मणि ने कहा- आईसीयू एक लिमिटेड रिज़र्स है। मस्जिद बनाने का मकसद है कि जिन लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत हो उन्हें आईसीयू मिल सके।
इंडियन कॉलेज ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सचिव डॉ. सुमित रे ने कहा कि ये सिर्फ आदेश है, बंदिशें नहीं। आईसीयू में डॉक्टर के विवेक पर डॉक्टर के विवेक पर बहुत कुछ छोड़ दिया गया है।
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एथेलिट के अनुसार, भारत में लगभग 1 लाख बन्धु बिस्तर हैं, जिनमें से अधिकांश निजी अस्पताल में हैं। वकील और पब्लिक हेल्थ एक्टिविस्ट अशोक अग्रवाल ने कहा, गरीब लोग जो प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज नहीं करवाते हैं, उन्हें स्टूडेंट बेड आईसीयू बेड आसानी से नहीं मिलता है।
आपदा की स्थिति के लिए उनके कंडीशन के आधार पर आपदा की स्थिति पर विचार करना अच्छा हो सकता है, लेकिन आम तौर पर सरकार को सभी महत्वपूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पर्याप्त सहायता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए।
असल, प्राइवेट हॉस्पिटल में स्तिथ बेड के चार्ज नॉर्म बेड की तुलना में 5-10 गुना अधिक होते हैं। ऐसे में कई बार प्राइवेट हॉस्पिटल में जिम्बाब्वे के बेड पर भर्ती का मामला सामने आया है।
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