नई दिल्ली21 मिनट पहले
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आईआईटी के दो मृतकों की मौत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार 1 फरवरी को सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा- आईआईटी छात्रों को यह छात्रों की कोशिश है कि एग्ज़ाम में अच्छे मार्क्स लाना ज़रूरी है लेकिन जीवन में यह सबसे ज़रूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बेस्ट विचारधारा के दबाव के बिना भी अपना बेस्ट दिया जा सकता है।
केस की सुनवाई पाठ्यपुस्तक भटनागर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों की दुकानें और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है। इससे जब वो अपने नेटवर्क लाइफ में होंगे तो उन्हें हर चुनौती का सामना करने का विश्वास दिलाना होगा।
असल आईआईटी- दिल्ली के दो एससी वर्ग के छात्रों पर पिछले साल हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मृतक के माता-पिता ने संस्थान पर जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में शिक्षकों की जांच के लिए फॉर्मूले कर कोर्ट से ऑर्डर देने की मांग की थी।
मित्र पर समुदाय में पास का दबाव था
पुलिस ने इस मामले की जांच के बाद कहा कि संस्थान में जातिगत भेदभाव का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन पाया गया कि कई विषयों में गलतियां हो रही थीं और अकादमी में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव था।
अदालत में न्यायाधीश भटनागर ने कहा कि मृतक के माता-पिता ने जो आरोप लगाया है, उनकी पुष्टि नहीं हो सकती इसलिए जातिगत भेदभाव के मामले में किसी भी प्रकार की जांच के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है।
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हर साल आईआईटी और कोटा से मृतकों की दसियों कहानियाँ आती हैं। बच्चों का लाइसेंस इतना छोटा हो गया है कि अपने करियर में मामूली हार को वो जिंदगी की हार मानकर आत्महत्या कर लेते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
सुप्रीम कोर्ट ने बोला-छात्रों की मौत के लिए जिम्मेदार जिम्मेदार:बच्चों पर दबाव डाला जाता है
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में बच्चों की मौत के बढ़ते मामलों के पीछे सबसे बड़ा कारण माता-पिता की ओर से बच्चों पर दबाव है। इसके अलावा बेहद कॉम्पिटिशन के अलावा मृतक की हत्या का एक बड़ा कारण है। पूरी खबर पढ़ें…